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Home / Hindi / Fitness / तनाव, बेचैनी और गुस्से को नियंत्रित करने के लिए ABC Model का ऐसे होता है इस्तेमाल!

तनाव, बेचैनी और गुस्से को नियंत्रित करने के लिए ABC Model का ऐसे होता है इस्तेमाल!

3 चरणों में, किसी भी भावनात्मक या व्यवहार संबंधी परेशानी से निपटने का तरीका है एबीसी मॉडल!

By: Editorial Team   | | Updated: January 23, 2018 11:54 pm
Tags: Anxiety  Psychology  
anxiety problem Hindi

31 साल के आशुतोष बहुत लंबे समय से तनाव और चिंता जैसी परेशानियों से जूझ रहे हैं। उनकी बीमारियों को उन्होंने खुद बुलाया है और वह अपनी अस्त-व्यस्त ज़िंदगी की वजह से अपनी हालत को नियंत्रित न कर पाने की वजह मानते हैं। उदाहरण के लिए, वह एक प्रतिष्ठित कंपनी में एक बार नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गए थे। उनके दोस्तों और परिवार को जैसे यकीन था कि वह यह नौकरी ज़रूर हासिल करेंगे क्योंकि हाल ही में उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी थी और वह काम की तलाश में थे। लेकिन आशुतोष लगातार एक ऐसे इंटरव्यू के बारे में सोचते रहे जिसमें वह असफल रहे थे। आखिरकार, उस बड़े वाले इंटरव्यू के दिन, उसने बीमारी का बहाना बनाया और इंटरव्यू पर जाने से मना कर दिया। वह इस बात से आशंकित थे कि अगर इंटरव्यू पैनल के सामने उत्तर देने में गड़बड़ हो गयी तो उन्हें कितना अपमान सहना पड़ेगा, वह सामना करने से पीछे हट गए और निराशा से डर गये। लेकिन यह ऐसा इंटरव्यू था जिसमें वह आसानी से जा सकते थे, और अगर उन्हें खुद पर भरोसा होता तो आज वे  दुनिया की एक प्रतिष्ठित कंपनी में काम कर रहे होते। Also Read - सोचते वक्त बिल्कुल भी न खाएं-पिएं ये फूड और ड्रिंक, कांपने लगेगा शरीर का ये खास अंग 

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जब उन्होंने अपने पिछले कार्यों के बारे में सोचा, तो उन्होंने महसूस किया कि असफल होने के उनके थोड़े-से डर के कारण उन्होंने अपने हाथ से  करियर के एक बड़े मौके को खो दिया। यदि वह खुद को समझा पाते, खुद की भावनाओं पर काबू पा जाते, तो वह अपने जीवन में आज किसी बेहतर मुकाम पर होते। Also Read - कोरोना से लोगों के मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा है बुरा असर, मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करेंगी ये एक्टिविटीज

दूसरी तरफ, उनके दोस्त रितेश ने एक अलग परिप्रेक्ष्य के माध्यम से मौके पर गौर किया। यद्यपि वह आशुतोष की तरह योग्य नहीं था, लेकिन उनका दृढ़ विश्वास था कि वह इंटरव्यू में सफल हो सकते हैं। जब भी उन्हें आत्मविश्वास की कमी महसूस होती है, तो वह खुद के लिए सकारात्मक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। और यह कोई आश्चर्यचकित करनेवाली बात नहीं थी कि उनके दृढ़ विश्वास ने उनका इंटरव्यू लेनेवाले को प्रभावित कर लिया और उन्होंने जल्द ही कम्पनी में एक जगह हासिल कर ली।

इन उदाहरणों के आधार पर, यह स्पष्ट है कि आशुतोष और रितेश के जीवन की समस्याओं से निपटने के अपने विभिन्न तरीके हैं। एक अपने नकारात्मक विचारों को खुद पर हावी होने देता है और दूसरा अपने दिमाग में लगातार चल रहे नकारात्मक विचारों को पहचान जाता है और उससे प्रभावित होने से बचने की कोशिश करता है। इस समस्या से निपटने के रितेश के तेज तरीके से उन्हें स्थिति को सम्भालने में मदद मिली।

आशुतोष की ही तरह, हम में से बहुत से लोग यह समझ नहीं पाते हैं कि हमारे विचारों का हमारे काम पर क्या असर पड़ता है। यदि आपको लगता है कि आपकी मनोवैज्ञानिक समस्याएं आपके जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रही हैं, तो संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी या कॉग्निटीव बिहेवियर थेरेपी (Cognitive Behaviour Therapy) के एबीसी मॉडल (ABC Model) की मदद आपके लिए सही साबित हो सकती है।

कॉग्निटीव बिहेवियर थेरेपी का एबीसी मॉडल क्या है?

सीबीटी एक चिकित्सीय दृष्टिकोण को संदर्भित करता है जो चिंता, तनाव, व्यक्तित्व विकार, डिप्रेशन, अनिद्रा और आपराधिक व्यवहार जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं की एक विस्तृत श्रृंखला को संबोधित कर सकता है। यह इस विचार में विश्वास करता है कि मानसिक विकार और मनोवैज्ञानिक संकट की वजह संज्ञानात्मक समस्याएं (विचार और विश्वास) हैं। सीबीटी की शुरुआत मनोवैज्ञानिक, डॉ. ऐरॉन बेक और डॉ. अल्बर्ट एलिस ने की थी। दुनिया के बारे में नकारात्मक विश्वास, स्वयं के बारे में विचार और भविष्य के बारे में विचार कुछ निश्चित परिस्थितियों में विशिष्ट और स्वचालित विचारों को जन्म देते हैं। सीबीटी के माध्यम से, कोई भी व्यक्ति इन नकारात्मक भावनाओं को काबू कर भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक समस्याओं को रोक सकता है। [1]

सीबीटी के तहत, डॉ. एलिस ने तर्कसंगत भावनात्मक व्यवहार थेरेपी या रैशनल इमोटिव बिहेवियर थेरेपी(Rational Emotive Behaviour Therapy) का सुझाव दिया, यह एक तकनीक है जिसकी मदद से पीड़ित व्यक्ति के तर्कहीन विश्वासों को तर्कसंगत रूप से बदलकर उसके भावनात्मक और व्यवहार संबंधी समस्याओं पर ध्यान देती है। इससे व्यक्ति को अपनी नकारात्मक भावनाओं की पहचानने और उनका सामना करने में मदद मिलती है। इस विचार पर अमल करने के लिए, डॉ. एलिस ने एबीसी फ्रेमवर्क या एबीसी मॉडल का निर्माण किया। [2], [3]

ए (A), बी (B) और सी (C) का क्या मतलब है?

A-एडवर्सिटी: ‘ए’ अक्षर एडवर्सिटी (Adversity) यानि प्रतिकूल परिस्थिति या समस्या को सक्रिय बनानेवाली घटना के लिए है।

B-बीलीफ: अंग्रेज़ी भाषा का अक्षर ‘बी’(B) किसी व्यक्ति में बीलीफ या विश्वास के लिए इस्तेमाल किया गया है। यह विश्वास ए अर्थात किसी विशेष स्थिति में व्यक्ति की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करते हैं।

C-कॉन्सिक्वेंसेस या परिणाम: इसी तरह अक्षर ‘सी'(C) परिणामों का प्रतिनिधित्व करता है।

डॉ. एलिस के अनुसार, व्यक्ति की विश्वास प्रणाली (यानि बी) अंततः तय करती है कि वह समस्या पर कैसी प्रतिक्रिया (ए) करेंगे। यह सीधे सी को प्रभावित करेगा, जो परिणाम हैं। आशुतोष के मामले में, ए एक पुरानी नौकरी का साक्षात्कार था जिसमें वह अतीत में विफल हो चुका था। इसने उसने अपनी बी या विश्वास को प्रभावित होने दिया कि वह काफी अच्छा नहीं है और इसके परिणा सी के रुप में दिखाई पड़े। जहां उन्होंने नए इंटरव्यू में उत्कृष्टता प्राप्त करने के अवसर खो दिए।

आरईबीटी(REBT) आशुतोष जैसे लोगों को यह महसूस करने की अनुमति देता है कि बाह्य घटनाओं (ए) का उनके बेकार प्रतिक्रियाओं (सी) पर कोई असर नहीं कर पातीं। यह उनका तर्कहीन विश्वास है (बी), जो उन्हें उस तरीके से जवाब देने के लिए प्रेरित करता है। यह अहसास उन्हें तनावपूर्ण स्थितियों पर प्रतिक्रिया देने के तरीकों को बदलने में मदद कर सकती है और उन्हें अपने जीवन से अधिक लाभ उठाने में मदद करती है।

अपने जीवन में ABC मॉडल का उपयोग कैसे करें?

घर के बाहर अक्सर हम डर या झिझक महसूस करते हैं, गुस्से में फट पड़ते हैं या बस हमारे जीवन में हाल ही में हुई किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बारे में चिंता करने लगते हैं। ऐसी स्थितियों में एबीसी की पहचान करने से हमारे विचारों का विश्लेषण करने और आगे की स्थिति के लिए खुद को तैयार करने में मदद मिल सकती है।

स्टेप 1: घटना या प्रतिकूल स्थिति (ए) की पहचान करें और उसे लिखें।

स्टेप 2: लिखें कि आप इसके बारे में कैसा महसूस करते हैं (बी)

स्टेप 3: कल्पना कीजिए कि कैसे आप बी (B) में दे सकते हैं तो स्थिति कैसे सामने आ सकती है।

उदाहरण – एक दोस्त ने मुझे सुबह (ए) में नमस्ते नहीं किया। इसका मतलब है कि उसे मेरे साथ कोई समस्या (बी) है। तो अगर मैं उसके साथ ऐसा ही करता हूं, तो मैं हिसाब बराबर कर हूं। लेकिन इसके साथ ही मेरा एक दोस्त (सी) कम भी  तो हो सकता है।

सी (परिणामों) का अंदाजा आपको अपनी ग़लत विश्वास प्रणाली के अनुसार काम करने और आपके जीवन में नयी समस्याओं को आने से रोकेगी। इस मॉडल का उपयोग करके हम खुद को उकसाने वाले कारण, हमारे विचारों और हमारे व्यवहार संबंधी प्रतिक्रियाओं के बीच के संबंध को बेहतर समझ सकते हैं। इससे हमें यह महसूस होगा कि कभी-कभी, हमारे विचार सही नहीं होते हैं। यह हमें लगातार ग़लतियों और बेवकूफियों से बचाएगा और हमें जीवन में अधिक व्यावहारिक निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

संदर्भ-

1. Hofmann, S. G., Asnaani, A., Vonk, I. J. J., Sawyer, A. T., & Fang, A. (2012). The Efficacy of Cognitive Behavioral Therapy: A Review of Meta-analyses. Cognitive Therapy and Research, 36(5), 427–440. http://doi.org/10.1007/s10608-012-9476-1

2. Ellis, A. (1957). Rational psychotherapy and individual psychology. Journal of Individual Psychology, 13(1), 38.

3. Turner, M. J. (2016). Rational Emotive Behavior Therapy (REBT), Irrational and Rational Beliefs, and the Mental Health of Athletes. Frontiers in Psychology, 7, 1423. http://doi.org/10.3389/fpsyg.2016.01423

Read this in Engliish.

अनुवादक-Sadhana Tiwari

चित्रस्रोत-Shutterstock

Published : January 23, 2018 11:53 pm | Updated:January 23, 2018 11:54 pm
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