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वजन कम करना क्यों है महिलाओं के लिए ज्यादा मुश्किल

वजन कम करना क्यों है महिलाओं के लिए ज्यादा मुश्किल
कुछ महिलाओं को आपने जरूर देखा होगा जो लगातार वर्कआउट के बाद भी अपना वजन कम कर पाने में कामयाब नहीं हो पातीं, हो सकता है इसके पीछे का कारण उनके हार्मोन हों। © Shutterstock.

कुछ महिलाओं को आपने जरूर देखा होगा जो लगातार वर्कआउट के बाद भी अपना वजन कम कर पाने में कामयाब नहीं हो पातीं, हो सकता है इसके पीछे का कारण उनके हार्मोन हों।

Written by Yogita Yadav |Updated : May 21, 2019 1:15 PM IST

वजन कम करना महिलाओं के लिए खासा चुनौतीपूर्ण होता है। कुछ महिलाओं को आपने जरूर देखा होगा जो लगातार वर्कआउट के बाद भी अपना वजन कम कर पाने में कामयाब नहीं हो पातीं। कई बार उन्‍हें भी लगता है कि आखिर इसका क्‍या कारण है। पर असल में शरीर के मेटाबॉलिज्‍म के साथ ही कुछ खास तरह के हार्मोन भी हैं, जो आपका वजन कम करने में अहम भूमिका अदा करते हैं। आइए जानते हैं कौन से हैं वे हार्मोन और जो आपका वजन कम करते हैं।

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वजन कम करना 

महिलाओं के शरीर में कुछ हार्मोन ऐसे होते हैं जो उनकी उम्र और स्थिति के अनुसार अपना कार्य बदलते रहते हैं। जैसे प्रेगनेंसी और मेनोपॉज के समय। इनकी प्रक्रिया में आजीवन उतार चढ़ाव आता रहता है। जिससे महिलाओं के लिए वजन कम करना पुरुषों की तुलना में ज्‍यादा चुनौतीपूर्ण होता है। महिलाओं को अपने जीवन के सभी चरणों में हार्मोनल असंतुलन, भोजन की कमजोरी और धीमी चयापचय का सामना करना पड़ता है।

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टेस्टोस्टेरोन

कुछ महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) नामक हार्मोनल विकार से ग्रस्ता होती हैं। यह टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाता है, जिससे वजन, मासिक धर्म संबंधी विकार, चेहरे का बाल, मुंहासे और इनफर्टिलिटी बढ़ जाती है। टेस्टोस्टेरोन महिलाओं में मसल्स  मास के लिए जिम्मेदार होता है। रजोनिवृत्ति के दौरान टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी के कारण, चयापचय दर में कमी आती है, जिसके फलस्वरूप वजन बढ़ने लगता है।

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कोर्टिसोल

वजन बढ़ने के लिए तनाव हार्मोंन यानी कोर्टिसोल भी अपराधी है। कोर्टिसोल के उच्च स्तर के कारण भूख लगती है और वजन बढ़ने लगती है। तनाव और नींद की कमी खून में उच्च कोर्टिसोल स्तर के दो कारण हैं। कुशिंग सिंड्रोम एक अतिसंवेदनशील स्थिति है जो कोर्टिसोल के उत्पादन को चलाता है।

थायराइड हार्मोन

थायराइड की कमी खासकर महिलाओं के बीच पाया जाता है। हाइपोथायरायडिज्म महिलाओं में वजन बढ़ने के लिए जिम्मेदार होता है। इसके आम लक्षणों में थकान, ठंडे असहिष्णुता, वजन बढ़ना, ड्राई  स्किन और कब्ज शामिल हैं। वजन बढ़ना शरीर में चयापचय दर की कमी के परिणामस्वरूप होता है।

एस्ट्रोजेन

एस्ट्रोजेन महिला सेक्स हार्मोन है। रजोनिवृत्ति के दौरान, एस्ट्रोजेन का स्तर गिरने से आंतों के आसपास वजन बढ़ने लगता है। वसा कोशिकाएं एस्ट्रोजन का एक और स्रोत है जो कैलोरी को वसा में बदल देता है। इससे मोटापा भी हो सकता है।

प्रोजेस्टेरोन

रजोनिवृत्ति के दौरान, शरीर में प्रोजेस्टेरोन के स्तर में कमी आती है। हालांकि इस हार्मोन के स्तर में गिरावट वास्तव में वजन बढ़ाने का कारण नहीं है। लेकिन वॉटर रिटेंशन और ब्‍लॉटिंग के कारण ऐसा होता है। जिससे महिला का शरीर फूला हुआ और भारी लगता है।

इंसुलिन

हार्मोन इंसुलिन का उत्पादन अग्न्याशय में बीटा कोशिकाओं द्वारा किया जाता है। इंसुलिन शरीर में फैट और कार्बोहाइड्रेट के नियमन के लिए जिम्मेदार है। इंसुलिन शरीर को ग्लूकोज का उपयोग करने की अनुमति देता है। इंसुलिन भी पीसीओएस के लिए एक कारण एजेंट है जो इनफर्टिलिटी की ओर ले जाता है। ब्‍लड में हाई इंसुलिन स्तर के कारण वजन बढ़ने लगता है।