फीफा विश्व कप के साथ ही पूरी दुनिया पर फुटबॉल का खुमार छाया हुआ है। यह दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है। पर क्या आप जानते हैं कि फुटबॉल सिर्फ खेल ही नहीं बेहतर व्यायाम भी है। इससे शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य को भी होता है लाभ।
बढ़ती है एरोबिक क्षमता : नब्बे मिनट तक तेज दौड़ने अथवा चलने के लिए जबरदस्त स्टेमिना की जरूरत होती है। फुटबॉल खेलने के लिए भी अच्छा स्टेमिना होना जरूरी है। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि फुटबॉल खेलने से स्टेमिना बढ़ता है। फुटबॉल खिलाड़ी लगातार दौड़ते हैं, जिससे उनका स्टेमिना बढ़ता है।
सुधरती है कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ : फुटबॉल खेलते हुए हर खिलाड़ी पूरी गेम के दौरान 5 से 7 मील चलता है। यह लगातार चलने या जॉगिंग करने के बराबर है। लगातार चलने से हृदय गति बढ़ती है, जिससे कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ में सुधार होता है। फुटबॉल खिलाडि़यों की कैलोरी बर्न करने के किसी अतिरिक्त व्यायाम की जरूरत नहीं होती।
कम होती है वसा : फुटबॉल खेलने से अतिरिक्त शारीरिक वसा खुद ब खुद जल जाती है जिससे मांसपेशी टोन में सुधार होता है। यह मांसपेशियों औ दिल के लिए विभिन्न तरीको से लाभदायक है। इससे मांसपेशियों में अधिक द्रव्यमान का निर्माण करता है। जिससे मांसपेशियों को जोड़ने वाले फाइबर के निर्माण में मदद मिलती है।
बढ़ती है मांसपेशियों की ताकत : फुटबॉल में आमतौर पर लात मारने, कूदने, शरीर को घुमाने और मोड़ने की क्रियाएं की जाती हैं। इससे शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। गोल बनाने, बचाने, विरोधियों को पकड़ने, फेंकने आदि में भी मांसपेशियों का भरपूर इस्तेमाल होता है। इससे शरीर मजबूत होता है और मांसपेशियों की ताकत भी बढ़ती है।
हड्डी होती है मजबूत : आम तौर पर देखा जाता है कि वृद़धावस्था में हड्डी य घनत्व कम हो जाता है। एक फुटबॉल मैच के दौरान शरीर पर बार-बार वजन डालने वाले व्यायाम हड्डी की ताकत बढ़ाने के लिए बेहतर व्यायाम है। फुटबॉल खेलने वाले लोगों की फिटनेस ताउम्र बरकरार रहती है।
सीखते हैं संतुलन बैठाना: कभी धीमे चलने तो कभी तेज दौड़ने के कारण शरीर की क्रियाओं में बदलाव आता है। फुटबॉल खेलने के दौरान खिलाडि़यों को लगातार अपनी क्रियाओं में बदलाव करना पड़ता है। इससे शरीर विभिन्न क्रियाओं के बीच आसानी से संतुलन बिठाना सीख जाता है। विभिन्न दिशाओं मे जाती फुटबॉल पर ध्यान रखने के लिए आंखों का भी बेहतर संतुलन होना जरूरी है।
बढ़ता है टीमवर्क और शेयरिंग: हालांकि कसरत करना निजी क्रिया है, लेकिन जब आप टीम में फुटबॉल खेलते हैं तो पूरी टीम एक निश्चित लक्ष्य के लिए दौड़ रही होती है। इससे टीम फिटनेस तो बढ़ती ही है, एक-दूसरे के साथ समन्यव बैठाने से टीम भावना और शेयरिंग भी बढ़ती है। इसका लाभ जीवन के अन्य पहलुओं में भी मिलता है। मैदान में सीखे हुए सबक बंद कमरों में बैठ कर पढ़ाए गए पाठ से ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं।
बढ़ती है मस्तिष्क की क्षमता : फुटबॉल खेलने से एकाग्रता, दृढ़ता और आत्म-अनुशासन में बढ़ोतरी होती है। यह एक तेज़ गति वाला गेम है, जिसके लिए मैदान पर त्वरित निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। यहां तक कि जब गति धीमा दिखाई देती है, तब भी खुद के लिए पास लेने के लिए या प्रतिद्वंद्वी पर हमला करने के लिए खिलाड़ी लगातार क्षेत्रीय फायदे की तलाश में रहते हैं।
बढ़ता है आत्मविश्वास : शारीरिक शक्ति बढ़ने और टीम वर्क के साथ ही फुटबॉल खेलने से खिलाडि़यों में आत्मविश्वास की भी भावना बढ़ती है। फुटबॉल चाहें स्कूल में खेला जाए, सोसायटी में या फिर बड़े मैदानों में, आपके प्रदर्शन पर जब दर्शक आपको सराहते हैं तो निश्चित ही आत्मविश्वास बढ़ता ही है। इससे चिंता और अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों से भी बचने में मदद मिलती है।
हर उम्र का खेल : अन्य खेलों की ही तरह फुटबॉल की भी खासियत यह है कि इसे किसी भी उम्र के लोग खेल सकते हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक। अब तो सीनियर सिटीजन्स ने भी फुटबॉल खेलने के लिए अपने अलग क्लब बना लिए हैं। तो हो जाएं शुरु अपनी फुटबॉल के साथ, कई शारीरिक और मानसिक लाभ लेने के लिए।
चित्रस्रोत: Shutterstock, Instagram/ @cristiano.
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