तरबूज़ या वॉटरमेलन (watermelon) एक ऐसा फल है जो, भारत में गर्मियों के मौसम (Popular Summer Fruits in India) में खूब खाया जाता है। रसीले और मीठे तरबूज़ की स्लाइसेस (Eating Watermelon in Summers), गर्मियों की उमस से राहत दिलाती हैं और जब इस लाल फल का ठंडे जूस मुंह में घुलकर पेट तक पहुंचता है, तो हमारा गला, जीभ, पेट उससे तर हो जाते हैं। जिससे, मूड भी बेहतरर बनता है । तरबूज़ गर्मियों के सीज़न में घर-घर में खाया जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि लोग भले ही गर्मियों में खुश होकर इस फल का स्वाद लेते हैं लेकिन इस फल को खाने के अपने फायदे और नुकसान भी हैँ। यही नहीं तरबूज़ खाते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि इसके सेवन का (When to eat Watermelon) सही समय है या नहीं। जी हां, कुछ ऐसी स्थितियां और समय ऐसे होते हैं जब तरबूज़ खाने से आपकी सेहत को नुकसान हो सकता है। (When not to eat Watermelon)
जैसा कि तरबूज़ में पानी की मात्रा अधिक होती है। इसीलिए, यह शरीर को हाइड्रेट करने का काम करता है। यह गर्मी और लू से शरीर को सुरक्षित रखता है। इसी तरह यह प्रेगनेंसी में खाने के लिए एक बहुत ही अच्छा फल है जो प्रेगनेंसी में पिम्पल्स की समस्या को कम करता है। इसमें, पोटैशियम की मात्रा भी काफी अधिक होती है जो प्रेगनेंसी में एक ज़रूरी पोषक तत्व माना जाता है। इसी तरह यह वेट लॉस में भी मदद करता है। (watermelon for weight loss)
दरअसल, रात में खाने से तरबूज़ (Side effects of eating watermelon) डायजेस्ट नहीं हो पाता। इससे, बाउल से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। जैसा कि रात के समय दिन की तुलना में हमारा पाचन तंत्र अधिक सुस्त होता है। इसीलिए, रात में तरबूज़ खाने से इनडायजेशन यानि अपच हो सकती है। (When not to eat Watermelon)
भले ही लो-कैलोरी फूड होने की वजह से वेट लॉस के लिए तरबूज़ खाने (weight loss food) की सलाह दी जाती है। लेकिन, इसमें नैचुरल शुगर (Eating Watermelon in Diabetes) की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसीलिए, डायबिटीज़ में तरबूज़ का सेवन कम करना चाहिए। (diabetes diet tips)
चूंकि, तरबूज़ में पानी की मात्रा अधिक होती है। इसीलिए, यह एक डायूरेटिक (मूत्रवर्धक) फूड की तरह काम करता है। इसके सेवन से बार-बार पेशाब आती है। इसी तरह तरबूज़ के साथ बहुत अधिक पानी हमारे शरीर में पहुंच जाता है। इससे, ओवर हाइड्रेशन की स्थिति बन जाती है। शरीर में मौजूद यह अतिरिक्त पानी किडनियों को कमज़ोर करता है। इससे, पैरों में सूजन और सोडियम की कमी भी हो सकती है।
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