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जब एक अच्छे और कारगर वर्कआउट की बात हो तो बूटकैम्प से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। बूटकैम्प वर्कआउट में स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग से लेकर कार्डियो बर्स्ट तक शामिल होते हैं जिससे आपका वर्कआउट असरदार बन जाता है। तेज़ गति से होनेवाले बूटकैम्प वर्कआउट में आपके शरीर के सभी मसल्स की कसरत हो जाएगी। इन कठिन एक्सरसाइजेस से आपके दिल की धड़कन बढ़ेगी जिससे आपकी कैलोरी बर्न होती है। बूटकैम्प हेल्दी वेटलॉस का एक अच्छा तरीका है क्योंकि यह मसल्स को मज़बूत बनाने के साथ फैट बर्न करता है और आपके शरीर की ताकत और चुस्ती बढ़ती है।
वेटलॉस के लिए एक्सरसाइज
स्क्वैट, पुशअप्स, जम्पिंग जैक, बर्पिस, क्रंचेस और लंजेस कुछ ऐसी एक्सरसाइजेस हैं जो बूटकैम्प में शामिल होती है। आइसलेशन एक्सरसाइज के उलट इन एक्सरसाइजेस से विभिन्न मसल्स पर असर पड़ता है। एक बेसिक बूटकैम्प ट्रेनिंग में रेत से भरे हुए बैग खींचने और तेज़ दौड़ने की बजाय स्प्रिंटिंग जैसी गतिविधियां करायी जाती है। बूटकैम्प में शामिल तरह-तरह के एक्सरसाइजेस के दौरान आपको आराम का भी मौका मिलता है।
शरीर को सुडौल बनाने में मददगार
आपका वजन घटने के बाद आपको लगने लगता है कि आपका शरीर जितना सुडौल होना चाहिए था वह नहीं हुआ है , तो इसके लिए आपको बूटकैम्प ट्रेनिंग लेनी चाहिए। कार्डियोवैस्क्यूलर एक्टिविटिस शामिल करें और आपके आराम का समय बढ़ाइए। अगर आप स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग एक्सरसाइज कर रहे हैं तो उसमें अधिक वेट ऐड करें। समतल ज़मीन पर दौड़ने के बजाय पहाड़ी इलाकों में दौड़ने और कूदने का काम करें। लेकिन अपने शरीर की क्षमता जानकर उतनी ही एक्सरसाइज करें जितनी आप कर सकते हैं। जल्दी रिजल्ट और दूसरों की देखादेखी शरीर के साथ जबरदस्ती करना ठीक नहीं। एक्सरसाइज करें लेकिन चोट से भी बचें।
एक से दो महीने की सही बूटकैम्प ट्रेनिंग 6 से 8 महीने की आम एक्सरसाइज के बराबर होती है। यह एक्सरसाइज आपका मेटाबॉलिज़्म बढ़ाता है और आपके दिल की सेहत बढ़ाता है। इसके अलावा, बूटकैम्प ट्रेनिंग से आपका कॉन्फिडेंस भी बहुत अधिक बढ़ जाता है।
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अनुवादक -Sadhna Tiwari
चित्र स्रोत- Shutterstock