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ऑटिज्म तंत्रिका (neurological) और विकास से संबंधित डिसऑर्डर है, जिसके लक्षण बच्चों में जन्म से लेकर तीन वर्ष की आयु में नजर आने लगते हैं। ऑटिज्म से संबंधित लक्षण इससे पीड़ित बच्चों में अलग-अलग देखने को मिलते हैं। इसमें बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है। बच्चों में इस समस्या को पहचानकर इसका इलाज जल्द करना चाहिए।
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ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में किसी घटना पर प्रतिक्रिया करने की क्षमता बहुत कम हो जाती है, जिसके कारण वे लोगों के साथ घुलने-मिलने में हिचकते हैं। यदि इस समस्या से पीड़ित बच्चों को प्रतिदिन ज्ञान मुद्रा का अभ्यास पेरेंट्स करवाएं, तो बहुत हद तक लाभ हो सकता है।
योगाचार्य डॉ. अनुज कुमार कहते हैं कि ज्ञान मुद्रा मस्तिष्क के ज्ञान-तंतुओं को सक्रिय करती है। यह मुद्रा मस्तिष्क में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि और पीनियल ग्रंथि को प्रभावित करती है। इससे स्मरण-शक्ति बढ़ती है। नकारात्मकता दूर होती है। बुद्धि का विकास होता है तथा एकाग्रता बढ़ती है। यह मुद्रा छठी इन्द्रिय को सक्रिय करती है, इसलिए रचनात्मकता बढ़ाने के साथ ही आध्यात्मिक उन्नति में भी कारगर है। इससे शान्ति का अनुभव होता है।
करने की विधि- बच्चे के अंगूठे और तर्जनी के अग्र भाग को मिलाएं। शेष उंगलियों को सीधा रखें। धीमी, लंबी एवं गहरी सांस लेने को बोलें। यदि इसे 15-15 मिनट के लिए हर दिन बच्चा चार बार आपकी मदद से करेगा, तो उसे मानसिक रूप से काफी लाभ होगा।