विश्व में लगभग सभी काम डिजिटल माध्यमों से होने लगा है और रोजमर्रा का जीवन भी काफी कुछ उसी पर निर्भर हो रहा है। हर कोई किसी न किसी डिजिटल डिवाइस के संपर्क में रहता ही है। ऐसे में आंखों के लिए यह शोध बहुत महत्वपूर्ण है कि डिवाइसों से निकलने वाली नीली रोशनी खतरनाक ही नहीं अंधा भी बना सकती है।
अमेरिका स्थित युनिवर्सिटी ऑफ टोलेडो में किये गए एक शोध के अनुसार जो लोग लगातार नीला रोशनी देखते रहते हैं उनकी आखों में संवेदशील कोशिकाओं में जहरीले अणु बनने की संभावना बढ़ जाती है और यह आंख को धब्बेदार बना सकता है या अंधा कर सकता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि डिजिटल डिवाइसों से निकलने वाली रोशनी में अंधेपन बनाने के लक्षण होते हैं। ज्यादातर अमेरिकन लोगों के अंधेपन का एक प्रमुख कारण डिजिटल डिवाइसों की रोशनी ही है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
यूनिवर्सिटी के रसायन विभाग के सहायक प्रोफेशर अजित करुणाथने के अनुसार यह कोई रहस्य वाली बात नहीं है। नीली रोशनी हमारे देखने की क्षमता को नुकसान पहुंचाती ही है। नीली रोशनी आंख की रेटिना को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है, हमारे शोध से यह और स्पष्ट होता है। हमारा शोध इससे होने वाली परेशानियों के लिए दवाइयां बनाने के लिए मददगार होगा और नए तरह के आई ड्रॉप भी बनाये जा सकते हैं।
फोटोरिसेप्टर कोशिकाएं होती हैं नष्ट
आंखों में अंधेपन का मुख्य कारण फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं का नष्ट होना है। नीली रोशनी के कारण फोटोरिसेप्टर कोशिकाएं मरने लगती हैं और अंधेपन की ओर ले जाती हैं। फोटोरिसेफ्टर कोशिकांए रोशनी के प्रति काफी संवेदशील होती हैं।
चित्रस्रोत: Shutterstock.
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