मिर्गी का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में यह बात आने लगती है कि क्या मिर्गी का कारगर इलाज है ? मिर्गी के दौरे को लेकर जागरूकता के लिए हर साल 26 मार्च को पर्पल डे मनाया जाता है। मिर्गी की बीमारी को लेकर लोगों के मन में एक सवाल यह भी रहता है कि मिर्गी का डॉक्टर कौन होता है। मिर्गी के इलाज के लिए किस डॉक्टर को दिखाना चाहिए ? क्या मिर्गी का इलाज संभव है या मिर्गी का स्थाई इलाज क्या हो सकता है ? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो मिर्गी रोगी और मिर्गी की बीमारी के शिकार व्यक्ति के घर वाले सोचते हैं। मिर्गी का कारगर इलाज के बारे में अक्सर लोग बात करते हैं लेकिन मिर्गी का आयुर्वेदिक इलाज या मिर्गी का रामबाण इलाज कोई नहीं है। मिर्गी का सफल इलाज हो सकता है इसके लिए इंसान को धैर्य का परिचय देना होता है। मिर्गी की बीमारी होने के बाद यह कभी-कभी यह ताउम्र रहती है। आइए जानते हैं मिर्गी के घरेलू उपचार के बारे में.....
मिर्गी का दौरा क्यों पड़ता है इस सवाल का जवाब या कारण जब तक नहीं पता चलता तब तक मिर्गी का इलाज संभव नहीं है। मिर्गी का सफल इलाज तभी संभव होता है जब मिर्गी का दौरा किस कारण से आ रहा है उसका पता लगाया जा सके। सामान्य भाषा में कहें तो मिर्गी की बीमारी एक तरह से मस्तिष्क की परेशानी है। मस्तिष्क में पाये जाने वाले न्यूरॉन्स दिमाग को सही निर्देश जब तक देते रहते हैं तब तक मिर्गी जैसी बीमारी नहीं होती है। मिर्गी का दौरा सामान्यतया उन लोगों में ही आता है जिनके दिमाग में किसी प्रकार की परेशानी होती है। ज्यादातर मिर्गी मरीजों में देखा गया है कि उनके सिर पर किसी प्रकार की चोट की वजह से दिमाग में कोई ट्यूमर हो जाता है। कुछ लोगों में मिर्गी का दौरा अत्यधिक एल्कोहल के सेवन से भी आने लगता है। मिर्गी का दौरा दिमाग में ऑक्सीजन की कमी की वजह से भी आता है।
मिर्गी की बीमारी या मिर्गी का दौरा कई बार ऐसा होता है कि उसे ठीक नहीं किया जा सकता है। मिर्गी की बीमारी जिनको इस तरह की होती है उनके लिए मिर्गी के दौरे को कम करने के लिए घरेलू उपचार या मिर्गी के आयुर्वेदिक इलाज ही सबसे ज्यादा कारगर होते हैं। कभी-कभी घरेलू उपाचार ही मिर्गी के रामबाण इलाज बन जाते हैं। आइए जानते हैं कुछ खास घरेलू व आयुर्वेदिक उपचार के बारे में जो मिर्गी के दौरे को कम करते हैं।
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भारत में आयुर्वेद और घरेलू उपचार में तुलसी का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। तलसी में पाये जाने वाले तत्व एंटीऑक्सीडेंट का काम करते हैं जो शरीर के सभी अंगों को रेडिकल्स से फ्री करने का काम करते हैं। मिर्गी का दौरा कम करने के लिए रोगी को रोजाना तुलसी के पत्ते खाना चाहिए। तुलसी के पत्तों को रस बनाकर भी उपयोग किया जा सकता है।
मिर्गी की बीमारी से परेशान इंसान को पता ही नहीं होता है कि कब उसे मिर्गी का दौरा आ जाए। मिर्गी के दौरे से बचने के लिए अपनी डाइट में करौंदे को शामिल करना चाहिए। मिर्गी रोगी अगर रोजाना करौंदे का सेवन करते हैं तो दौरे कम होने लगते हैं।
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आयुर्वेद में मिर्गी के उपचार के लिए सफेद प्याज का भी इस्तेमाल किया जाता है। मिर्गी के इलाज के लिए सफेद प्याज को पीसकर मिर्गी के रोगी को रोजाना 1 चम्मच पिलाया जा सकता है। अगर रस नहीं पीना चाहते हैं तो सफेद प्याज को खाने में भी शामिल कर सकते हैं।
मस्तिष्क या दिमाग को ठीक रखने के लिए अंगूर का सेवन अच्छा माना जाता है। मिर्गी के दौरे से परेशान इंसान को रोजान अंगूर के रस का सेवन करना चाहिए। अगर अंगूर का रस नहीं पी पाते हैं तो अंगूर को डेली डाइट में शामिल करना चाहिए।
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