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निपाह वायरस के अटैक से बचना है, तो जरूर अपनाएं ये आसान से उपाय

निपाह वायरस के अटैक से बचना है, तो जरूर अपनाएं ये आसान से उपाय
A kind of coronavirus was found in Rousettus and Pteropus bat species in India.

लोगों के दिमाग को नुकसान पहुंचाने वाले निपाह वायरस से कुछ सरल उपाय अपनाकर बचा जा सकता है।

Written by Anshumala |Updated : May 31, 2018 6:06 PM IST

इन दिनों निपाह वायरस का खौफ लोगों में बढ़ता ही जा रहा है। केरल से शुरू हुआ इसका खौफ अब पूरे भारत में फैल चुका है। इस वायरस की चपेट में आने से केरल में लगभग 13 लोगों की मौत हो चुकी है और कम से कम 40 अन्य लोग इससे प्रभावित हैं। लोगों के दिमाग को नुकसान पहुंचाने वाले निपाह वायरस से कुछ सरल उपाय अपनाकर बचा जा सकता है। निपाह वायरस स्वाभाविक रूप से कशेरुकी (Vertebrate) जानवरों से मनुष्यों तक फैलती है। यह रोग 2001 में और फिर 2007 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में भी सामने आया था। यह पुष्टि की गई है कि केरल के बाहर के लोगों को केवल तभी सावधान रहना चाहिए, जब वे प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा कर रहे हों या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ रहे हों।

लक्षण हैं क्या-क्या

हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि नैदानिक रूप से (Clinically), निपाह वायरस के संक्रमण के लक्षणों की शुरुआत एन्सेफेलेटिक सिंड्रोम से होती है, जिसमें बुखार, सिरदर्द, म्यालगिया की अचानक शुरुआत, उल्टी, सूजन, विचलित होना और मानसिक भ्रम शामिल हैं। संक्रमित व्यक्ति 24 से 48 घंटों के भीतर बेहोश (comatose) हो सकता है।

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नहीं है कोई प्रभावी उपचार

डॉ. अग्रवाल ने कहा, "निपाह एन्सेफलाइटिस की मृत्यु दर 9 से 75 प्रतिशत तक है। निपाह वायरस संक्रमण के लिए कोई प्रभावी उपचार नहीं है। उपचार का मुख्य आधार बुखार और तंत्रिका संबंधी लक्षणों के प्रबंधन पर केंद्रित है। संक्रमण नियंत्रण उपाय महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि व्यक्तिगत रूप से ट्रांसमिशन हो सकता है। गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को गहन देखभाल की आवश्यकता होती है।"

डॉ. अग्रवाल ने बताया, "निपाह वायरस को जैव सुरक्षा स्तर (बीएसएल) 4 एजेंट के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्गीकृत किया गया है। खतरनाक और विदेशी एजेंटों के साथ काम के लिए बायोसेफ्टी लेवल 4 की आवश्यकता होती है, जो एयरोसोल-संक्रमित प्रयोगशाला संक्रमण और जानलेवा बीमारी का एक उच्च व्यक्तिगत जोखिम उत्पन्न करता है। यह अक्सर घातक होता है, जिसके लिए कोई टीका या उपचार नहीं होता है।"

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रहना होगा सतर्क

डॉ. अग्रवाल ने सुझाव देते हुए कहा, "सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खाते हैं, वह चमगादड़ या उनके मल से दूषित नहीं हो। चमगादड़ के कुतरे फलों को खाने से बचें। पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी पीने वाली शराब पीने से बचें। बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क में न आएं। अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करके ही खाना खाएं। आमतौर पर शौचालय के बाल्टी और मग, रोगी के लिए उपयोग किए जाने वाले कपड़े, बर्तन और सामान को अलग से साफ करें। निपाह बुखार के बाद मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को कवर करना महत्वपूर्ण है। मृत व्यक्ति को गले लगाने से भी बचना चाहिए।"

स्रोत:IANS Hindi.

चित्रस्रोत- Shutterstock Images.