यौन विकारों को दूर करता है शीर्षासन, जानें कितनी देर करने से होते हैं क्या फायदे
शीर्षासन यौन विकारों का मुकाबला करने में मदद करता है जैसे प्रोस्टेट समस्या, ल्यूकोरिया, शुक्राणुरोधक और सभी सामान्य रजोनिवृत्ति और मासिक धर्म की बीमारियां।
Written by Anshumala|Published : February 28, 2019 11:37 AM IST
शीर्षासन हठ योग में मुख्य मुद्राओं में से एक है। सिर के बल किए जाने की वजह से इसे शीर्षासन कहते हैं। शीर्षासन एक ऐसा आसन है, जिसके अभ्यास से आप कई बड़ी बीमारियों से दूर रह सकते हैं।शीर्षासन एक बहुत ही लाभकारी योग है। इसमें व्यक्ति अपने पैर को नीचे और सिर को ऊपर रखता है। यहां सवाल यह उठता है कि शीर्षासन कितनी देर करना चाहिए? जानते हैं इस बारे में और इसके फायदों के बारे में...
कितनी देर करें शीर्षासन
कुछ योग शिक्षक इसे दो मिनट करने के लिए सुझाते हैं, तो कुछ तीन से पांच मिनट करने का सुझाव देते हैं। हालांकि, शुरुआत में करीब 30 सेकेंड तक शीर्षासन का अभ्यास करना चाहिए। फिर कुछ दिन बाद ही आप इसके समय को बढ़ा सकते हैं।
शरीर को मजबूत बनाता है। शीर्षासन आपके संतुलन करने की क्षमता को भी बढ़ाता है। इस आसन के जरिए आप आर्ट बैलेंस के बारे में सीखते हैं। बार-बार गिरने से जब आप खुद को बचाते हैं तो इससे आपकी संतुलन करने की क्षमता का विकास होता है।
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शीर्षासन तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाने में सहायता करता है। यह आपके दिमाग और शरीर को शांत करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह तनाव हार्मोन के उत्पादन को कम करके तनाव से निपटने में आपकी सहायता करता है।
शीर्षासन योग मस्तिष्क कोशिकाओं के लिए एक समृद्ध ऑक्सीजनयुक्त रक्त की आपूर्ति करता है। स्मरण शक्ति, एकाग्रता, उत्साह, स्फूर्ति, निडरता, आत्मविश्वास और धैर्य बढ़ाता है। शीर्षासन फोकस में सुधार करता है, क्योंकि इससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है।
यदि आप शीर्षासन को नियमित रूप से करते हैं तो यह ब्लड फ्लो में सुधार करता है, जिसकी वजह से यह आंख, कान और नाक के उचित कामकाज में भी मदद करता है। यह गले और नाक में दर्द, मायोपिया और बलगम निर्माण जैसी कई बीमारियों को दूर करने में सहायता करता है।
शीर्षासन करने से आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं, जिससे आप ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से दूर रहते हैं। इसके अलावा शीर्षासन इम्यून सिस्टम और कार्यक्षमता को बढ़ाकर एनेर्जेटिक बनाता है। दिमाग में ब्लड सर्कुलेट करता है। यह मुद्रा प्रत्येक अंग के पाचन कार्यों को बढ़ाने में सहायता करता है।
शीर्षासन यौन विकारों का मुकाबला करने में मदद करता है जैसे प्रोस्टेट समस्या, ल्यूकोरिया, शुक्राणुरोधक और सभी सामान्य रजोनिवृत्ति और मासिक धर्म की बीमारियां।
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