एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि वयस्कों से कहीं ज्यादा युवाओं में दिल के रोग के मामले सामने आ रहे हैं। इसकी वजह है खानपान में गड़बड़ी, बेतरतीब जीवनशैली, एक्सरसाइज और योग ना करना (Yoga for heart)। इन वजहों से दुनिया भर में रहने वाले लोगों में दिल का दौरा और हृदय संबंधित अन्य समस्याओं के होने का अनुपात लगातार बढ़ रहा है। आपको लंबी उम्र तक जीना है, तो इसके लिए अपने दिल को फिट और हेल्दी रखना होगा। इससे आपका दिल सही तरीके से काम कर सकेगा। नियमित रूप से योगाभ्यास (Yoga for heart) करके आप हृदय रोग से बचे रह सकते हैं। आप चाहें, तो प्राणायाम का अभ्यास भी कर सकते हैं। मुख्य रूप से आप कपालभाति और भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करें। ये दोनों प्राणायाम दिल को हेल्दी रखने के लिए बेहतर होते हैं।
वर्ल्ड हार्ट डे (world heart day) पर जानें, आप किन दो प्राणायाम को करके अपने दिल को स्वस्थ रख सकते हैं।
हर दिन जब आप भस्त्रिका प्राणायाम करेंगे, तो हार्ट अटैक आने का खतरा कम हो जाएगा। सांस से संबंधित प्राणायाम में यह सबसे बेहतर होता है। यह शरीर और दिमाग को भी ताजा करता है। शरीर में नई ऊर्जा का संचार करता है। याद्दाश्त भी दुरुस्त होता है। इम्यून सिस्टम मजबूत होती है। तनाव से ग्रस्त हैं, तो भस्त्रिका प्राणायाम करना शुरू कर दें। लाभ होगा। इसके अलावा यह प्राणायाम खून भी साफ करता है। दिल की बीमारियों को रोकने के साथ ही यह माइग्रेन और अवसाद से भी बचाए रखता है।
किसी शांत जगह पर बैठें। सिद्धासन, वज्रासन, पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। आंखों को बंद कर लें। शरीर को ढीला छोड़ दें। कमर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। शरीर और मन को स्थिर रखें। अब तेज गति से सांस लें और तेज गति से ही सांस बाहर छोड़ें। सांस लेते समय पेट फूलना चाहिए और छोड़ते समय पेट पिचकना चाहिए। इससे नाभि स्थल पर दबाव पड़ता है।
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हृदय रोग के लिए कपालभाति प्राणायाम करें। इससे फेफड़ों, स्प्लीन, लिवर, पैनक्रियाज के साथ-साथ दिल के कार्य में सुधार होता है। कपालभाति प्राणायाम कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी कम करता है, साथ ही धमनी में आए अवरोध को भी दूर करता है। इस प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले आप पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएं। आंखें बंद कर लें। शरीर को ढीला छोड़ दें। अब आप सांस बाहर छोड़ने की प्रक्रिया करें। जब आप सांसों को बाहर की तरफ छोड़ें तो पेट को अंदर की तरफ ले जाएं। इस दौरान आपको खुद से सांस नहीं लेना है, क्योंकि इस क्रिया को करने के दौरान सांस खुद ही अंदर चली जाती है। अपना सारा ध्यान मूल आधार चक्र पर केंद्रित करें। जब भी कपालभाती प्राणायाम करें, तो उस समय यही सोचें कि आपके शरीर के सभी नकारात्मक तत्व, भाव, सोच शरीर से बाहर जा रहे हैं। दिल के मरीजों को कपालभाती प्राणायाम धीरे-धीरे करना चाहिए।
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