World Environment Day 2020 : हम कई तरह के विषाक्त पदार्थों और रसायनों से घिरे हुए हैं। रोजाना इस्तेमाल होने वाले उत्पाद और सांस लेने की क्रिया के दौरान हम कई विषाक्त पदार्थों का ग्रहण कर लेते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारण होता है। हम जो भोजन खाते हैं, जो पानी हम पीते हैं, जिन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं, उसमें कहीं ना कहीं हानिकारण चीजें इस्तेमाल की गई होती हैं। ब्यूटी प्रोडक्ट्स से लेकर सामान्य घरेलू क्लीनर, कालीन, फर्नीचर, गद्दे इत्यादि चीजों में कहीं ना कहीं पर्यावरण को दूषित करने वाले पदार्थ मिले होते हैं। हम सभी 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day 2020) मनाने जा रहे हैं, ऐसे में हमें इन विषाक्त पदार्थों से परिचित होने की जरूरत है, जिन्हें हम नियमित रूप से इस्तेमाल करते हैं।
हम रोजाना जिन चीजों का इस्तेमाल करते हैं, उनमें सीसा, मरकरी, रेडॉन, फॉर्मेल्डिहाइड, बेंजीन और कैडमियम जैसे पदार्थ होते हैं। ये चीजें पर्यावरण (World Environment Day 2020) और मानव जाति दोनों के लिए खतरनाक होती हैं। इन चीजों की वजह से पर्यावरण दूषित होता है, जिससे कई तरह की बीमारियां होती हैं। इन विषाक्त पदार्थों के कारण व्यक्ति कई गंभीर समस्याओं का शिकार हो जाता है। आइए जानते हैं पर्यावरण दूषित होने से किस तरह की बीमरी हो सकती है।
बढ़ते प्रदूषण के कारण व्यक्तियों में हृदय रोग का खतरा काफी तेजी से बढ़ रहा है। दूषित हवा दिल का दौरा पड़ने का सबसे बड़ा कारण हो सकता है। इसलिए पर्यावरण को स्वस्थ रखना बहुत ही जरूरी है। हवा और आसपास के वातारण को स्वस्थ रखने के कई तरही की बीमारियों से दूर रहा जा सकता है। अधिक दूषित हवा के कारण सांस लेने में समस्या, सीने में दर्द, गले में दर्द जैसी कई अन्य दिक्कतें होने लगती हैं।
पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक असर गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं पर पड़ता है। गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान और डिलीवरी के बाद बहुत अधिक कष्ट का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर स्वच्छ हवा ना मिले, तो गर्भवती महिला की हालत बिगड़ सकती है। इतना ही नहीं, इसके कारण शिशु को भी गर्भ में गंभीर बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है। प्रदूषित वायु में अधिक समय तक समय बिताने से शिशु को निमोनिया जैसी बीमारियों का बढ़ता है। इसके साथ ही इसके इनकी इम्यूनिटी भी खराब होती है।
पर्यावरण प्रदूषण हर हाल में खतरनाक होता है। बढ़ते प्रदूषण के कारण शरीर की किडनी खराब होने की संभावना होती है। प्रदूषण के कारण नेफ्रोपैथी नामक बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। ये एक किडनी से संबंधी बीमारी है, जो खुद कई बीमारियों को जन्म दे सकती है।
World Environment Day 2020 : पर्यावरण दूषित होने से होती हैं कई गंभीर बीमारियां
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