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मई महीने में ही पारा कहीं-कहीं पर 47 डिग्री को छूने लगा है। बढ़ती गर्मी सिर्फ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत घातक होती है। अन्य मौसमों की तुलना में गर्मियों के मौसम में लड़ाई-झगड़े की संभावना ज्यादा रहती है। आखिर क्यों होता है ऐसा कि पारा चढ़ने के साथ ही हमारा गुस्सा भी बढ़ने लगता है।
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अधिक तापमान हमारी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। अधिक तापमान डिहाईड्रेशन और गर्मी में स्ट्रोक का कारण बन सकता है। इसके साथ ही अधिक तापमान के चलते कभी-कभी अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। जो लोग पहले से ही डायबीटीज और हार्ट की बीमारियों से पीड़ित हैं, उनके लिए बढ़ा हुआ तापमान और भी नुकसानदेह है। इस तरह बढ़ा हुआ तापमान आपके मूड और मेमोरी को प्रभावित कर सकता है।
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एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि बढ़ते तापमान के कारण आपसी हिंसा में 4 फीसदी और घरेलु लड़ाई में 6 फीसदी की वृद्धि होती है। बढ़ा हुआ तापमान आपके गुस्से को बढ़ाता है। इसके अलावा इसके कारण आपके सामने भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है और समन्वय की कमी भी हो जाती है। बढ़ते तामपान के चलते रोडरेज का खतरा बढ़ जाता है।
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कई अध्ययनों में इस बात का खुलासा हुआ है कि बढ़े हुए तापमान में आत्महत्या के मामले बढ़ जाते हैं। गर्मी के मौसम में मानसिक स्वास्थ्य के जोखिम बढ़ जाते हैं। इसके चलते आत्महत्या के प्रयास के मामले सामने आते हैं। जो लोग मानसिक स्वास्थ्य के लिए दवा लेते हैं उनके लिए बढ़ते तापमान में अधिक खतरा रहता है।
यह देखा गया कि अधिक तापमान में पढ़ने वाले छात्रों की अपेक्षा सामान्य तापमान में पढ़ने वाले छात्रों की सीखने की क्षमता अधिक थी। इससे यह बात साबित होता है कि बढ़ा हुआ तापमान हमारे सीखने की क्षमता को प्रभावित करता है। इसके अलावा यह हमारी मेमोरी पर असर करता है।