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अल्जाइमर और डिमेंशिया (Dementia And Alzheimer In Hindi) दोनों ही न्यूरोलॉजिकल विकार है। इन दोनों ही बीमारियों में उम्र बढ़ने के साथ ही बदलाव देखे जाते हैं। यादाश्त का कमजोर होना सोचने समझने में दिक्कतों का सामना करना, महत्वपूर्ण बदलावों में से एक हैं। इसके ज्यादातर लक्षण एक जैसे होने के कारण या पहचान पाना मुश्किल होता है कि किसी व्यक्ति को अल्जाइमर है या डिमेंशिया। अल्जाइमर और डिमेंशिया के अंतर को समझने के लिए हमने दिल्ली के पीएसआरआई हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर कदम नागपाल (Dr. Kadam Nagpal) से बात की। उन्होंने हमें बताया कि अल्जाइमर और डिमेंशिया में क्या अंतर है और इनके लक्षण क्या हैं।
न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर कदम नागपाल कहते हैं, डिमेंशिया एक ऐसी टर्म है जिसका प्रयोग ऐसे डिसऑर्डर की व्याख्या करने के लिए किया जाता है जिसमें दिमाग पर प्रभाव पड़ा हो जैसे याददाश्त, व्यवहार, सोच विचार करने की क्षमता, जज्बात आदि। दूसरे शब्दों में अगर मरीज की कॉग्निटिव हेल्थ (सोचने-समझने की शक्ति) पहले से कमजोर है, जिस कारण उसकी रोजाना की गतिविधियां प्रभावित हो रही हो तो इसे ही डिमेंशिया कहा जाता है।
वहीं, अल्जाइमर बीमारी डिमेंशिया का सबसे प्रमुख प्रकार है। अन्य प्रकारों में वैस्कुलर डिमेंशिया, पार्किंसन डिजीज डिमेंशिया, फ्रंट टेंपोरल डिमेंशिया आदि शामिल हैं। अन्य प्रकार का डिमेंशिया मिक्सड डिमेंशिया कहलाता है जिसमें अल्जाइमर और वैस्कुलर के लक्षण मिले हुए होते हैं।
अल्जाइमर के मरीजों में कई तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं, जैसे:
डिमेंशिया के लक्षण कारणों के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं, लेकिन इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं जैसे:
जब भी डिमेंशिया या अल्जाइमर के लक्षण दिखें तो तुरंत आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। किसी भी प्रकार के मानसिक विकार को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए, और न ही किसी भी पेशेंट के साथ होने वाली इन घटनाओं का मजाक नहीं बनाना चाहिए बल्कि उसे चिकित्सक से मिलने की सलाह देनी चाहिए। इस प्रकार की समस्या किसी के साथ भी हो सकती है।