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माइकोसिस जिसे फंगल इंफेक्शन भी कहते हैं नवजात या छोटे बच्चों में होने वाला एक बहुत ही सामान्य रोग है। आंकड़े बताते हैं कि 10 में से करीब 7 बच्चे त्वचा के इस रोग से प्रभावित होते हैं। माइकोसिस भले ही त्वचा पर पड़ने वाले लाल चकत्तों जैसा होता है लेकिन इसका प्रभाव काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
यह ऊतक पर हमला करता है जो एक बीमारी का कारण बन सकता है। यह रोग सिर्फ त्वचा तक ही सीमित नहीं होता है बल्कि् यह ऊतक, हड्डियों और शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
माइकोसिस रोग तब होता है जब सफेद रक्त कोशिकाएं जिन्हें टी-सेल भी कहते हैं बेकाबू हो जाती हैं यानि कि नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में ये कोशिकाएं रक्त से धीरे धीरे त्वचा की ओर बढ़ती हैं। जैसे ही यह त्वचा को अपनी चपेट में लेती है उसके बाद त्वचा में रैशेस होना, खुजली और दाद बनने लगते हैं।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि माइकोसिस फनगोइडिस बीमारी जान को खतरा नहीं पहुंचाती है। साथ ही इसका इलाज भी आसान है। कुछ डॉक्टर्स कहते हैं कि माइकोसिस के लक्षण भले ही ब्लड कैंसर से मिलते हैं लेकिन इसमें घबराने वाली बात नहीं है।
माइकोसिस रोग के लक्षण ?
चिंता या असुरक्षित माहौल होना इस रोग के पनपने का सबसे बड़ा कारण है।
शरीर के किसी भी अंग में एलर्जी या खुजली होना।
चिन्ताएं, मानसिक रोग, डिप्रेशन या तनाव की स्थिति।
त्वचा का कपड़ो या अन्य बैगेज एसेसरीज जैसे गियर्स से रगड़ना।
बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन।
सन या हीट के सामने अत्यधिक एक्सपोजर।
एक्जिमा, एक्ने जैसी त्वचा जनित बीमारियां।
किसी दवा या टीके के प्रति रिएक्शन होना।
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