Don’t Miss Out on the Latest Updates.
Subscribe to Our Newsletter Today!
Brain AVM : एवीएम (आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन) एक मेडिकल डिसऑर्डर है, जिसमें धमनियों (आर्टरी) और नसों का गलत कनेक्शन होता है जिससे दिमाग या रीढ़ में रक्त वाहिकाओं पर सूजन आ जाती है। इसका असर हाथ, पैर जैसे अन्य अंगों भी हो सकता है। आर्टेमिस अस्पताल गुरुग्राम में साइबरनाइफ सर्जरी के डायरेक्टर डॉक्टर आदित्य गुप्ता का कहना है कि धमनियों का मुख्य काम ऑक्सीजन युक्त ब्लड को दिल से दिमाग तक पहुंचाना होता है। नसें ऑक्सीजन रहित ब्लड को वापस फेफड़ों और दिल तक लाती हैं। जब एवीएम इस पूरी प्रक्रिया को प्रभावित करता है तो आसपास के टिशू को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है, और प्रभावित धमनियां व नसें कमजोर पड़ जाती हैं। अगर इस तरह की समस्या दिमाग में हो जाए तो ये मौत का कारण भी बन सकती है क्योंकि इससे दिमाग में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने का खतरा रहता है जिससे स्ट्रोक पड़ सकता है, ब्रेन हेमरेज हो सकता है। उन्होंने कहा हालांकि, सही समय पर इस रोग का पता लग जाए और सही इलाज करा लिया जाए तो इससे जीवन बचाया जा सकता है।
ब्रेन एवीएम के मामले में जब तक कोई संकेत या लक्षण नहीं दिखाई देता है जबतक कि ये फट न जाए, जिस कारण दिमाग में ब्लीडिंग होती है. हालांकि, कुछ लोग दिमाग में ब्लीडिंग के अलावा भी एवीएम (AVM) के कुछ लक्षण महसूस करते हैं, लिहाजा लक्षण दिखाई देने पर उन्हें इग्नोर न करें अन्यथा वो किसी बड़ी परेशानी का कारण बन सकते हैं. दिमाग में एवीएम की लोकेशन के हिसाब से जो कुछ सामान्य लक्षण होते हैं, वो हैं-
-सिर के एक हिस्से में बहुत ज्यादा दर्द
-कमजोरी, सुन्न पड़ना या पैरालिसिस अटैक
-बोलने में परेशानी और आंखों की रोशनी कमजोर होना
-दौरे पड़ना या मिर्गी का असर
-कंफ्यूजन और अस्थिरता
डॉ. आदित्य गुप्ता कहते हैं कि यूं तो ये समस्या किसी को जन्मजात भी हो सकती है लेकिन जीवन की बाद की स्टेज में भी ऐसी समस्याएं पैदा हो जाते हैं। इसके अलग-अलग कारण होते हैं। उन्होंने कहा कि उम्र- आमतौर पर ब्रेन एवीएम के लक्षण किसी भी उम्र में पनप सकते हैं लेकिन मुख्यत: 10-45 की उम्र के बीच ये ज्यादा नजर आते हैं। अगर गुजरते वक्त के साथ इनकी अनदेखी की जाए या इलाज न लिया जाए तो एवीएम ब्रेन टिशू को डैमेज करता है और इसका नुकसान बढ़ता ही जाता है।
उन्होंने कहा कि लिंग-कई स्टडीज और रिपोर्ट्स में ये बात सामने आई है कि ब्रेन एवीएम की समस्या पुरुषों में ज्यादा होती है, महिलाओं की तुलना में। इसके अलावा परिवारों के अंदर एवीएम के मामले सामने आए हैं, लेकिन जेनेटिक फैक्टर से जुड़े कारण अभी भी स्पष्ट नहीं हैं। ये माना जा सकता है कि एवीएम जैसी समस्याएं परिवार की पीढ़ियों तक जा सकती हैं।
ब्रेन एवीएम का पता लगाने के लिए हाई रिजोल्यूशन एमआरआई काफी बेहतर होता है। इसके बाद सेरेब्रल एंजियोग्राफी के जरिए घाव की डिटेल में जांच की जाती है। इस टेस्ट में एक स्पेशल डाई का उपयोग किया जाता है जिसे कंट्रास्ट एजेंट कहा जाता है जो धमनी में इंजेक्ट किया जाता है. एक्स-रेपर उन्हें बेहतर दिखाने के लिए इस डाई को रक्त वाहिकाओं पर हाइलाइट किया जाता है।
एवीएम के इलाज के लिए सर्जरी के साथ एंबोलाइजेशन सबसे बेहतर तकनीक मानी जाती है। लेकिन कभी-कभी एवीएम की जटिल लोकेशन और साइज के चलते, सर्जरी के लिए बहुत ही एक्सपर्ट और स्किल की आवश्यकता पड़ती है। हालांकि, आमतौर पर AVM को एक ही बार में नहीं ठीक नहीं किया जा सकता है, इसके लिए कई सेशन में इलाज करना पड़ता है।
साइबरनाइफ रेडिएशन सर्जरी के जरिए एवीएम हैमरेज का रिस्क कम हो जाता है। इसमें एवीएम को सिकोड़ने के लिए रेडिएशन की हाई डोज दी जाती है। लेटेस्ट इमेज गाइडेंस तकनीक और कंप्यूटर असिस्टेड रोबोटिक सिस्टम की मदद से इस प्रक्रिया में हाई फ्रीक्वेंसी की रेडिएशन अलग-अलग दिशाओं से दी जाती है। एक अन्य फायदा यह है कि मिसाइल गाइडेड ऑटोमेटिक ही मरीज के अंदर किसी भी मूवमेंट का खुद ही पता लगा लेती है ताकि रेडिएशन बीम एकदम सही लोकेशन पर जाए और सही तरह से इलाज हो पाए।
इलाज के दौरान रोबोटिक हाथ मरीज के चारों तरफ धीरे-धीरे घूमता है और मरीज को कुछ भी महसूस नहीं होता है। मरीज पूरी तरह से नॉर्मल रहता है. इस तरह एक सेशन होता है जो करीब 30 मिनट तक चलता है।
ये इलाज पूरी तरह से दर्द रहित है और 100 फीसदी सुरक्षित है, इसके साइड इफेक्ट भी नहीं हैं। इसमें एनेस्थीसिया का भी उपयोग नहीं करना पड़ता, और न ही स्थिरता के लिए सिर में किसी तरह की कोई और चीज लगाई जाती है, जैसे कि गामा नाइफ जैसे ट्रेडिशनल तरीकों में इस्तेमाल होती है. 99 फीसदी मामलों में मरीज एक ही सत्र में ठीक हो जाते हैं और इलाज के तुरंत बाद ही नॉर्मल हो जाते हैं।
90 फीसदी मरीजों में साइबरनाइफ रेडियो सर्जरी के तीन साल बाद एवीएम खत्म हो जाता है. एवीएम का यूं धीरे-धीरे और चरणबद्ध तरीके से खत्म होना दरअसल शरीर के लिए बहुत ही सुरक्षित होता है।
कभी-कभी एवीएम ब्लीडिंग के साथ रहता है या कभी इसका साइज छोटा होता है और ये दिमाग की सतह पर होता है। इस तरह के मामलों में माइक्रोसर्जिकल प्रक्रिया सबसे अच्छा विकल्प होता है, जिसमें तुरंत ही आराम मिलता है।