By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts. Cookie Policy.
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट अटैक (Heart Attack In Women) के मामले कम देखने को मिलते हैं। लेकिन हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले जिन लक्षणों पर ध्यान जाता है उनमें से 'सीने में दर्द होना' प्रमुख है। लेकिन ऐसा आमतौर पर पुरुषों में देखा जाता है। सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संतोष कुमार डोरा के मुताबिक, महिलाओं में हार्ट अटैक आने पर छाती में दर्द की संभावनाएं कम होती है। महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों की तुलना में अलग हो सकते हैं। महिलाओं में जब हृदय की धमनियों में खून का प्रवाह धीमा हो जाता है जिसे 'एंजाइना' कहते हैं, तो आमतौर पर छाती में दर्द के बजाए सांस लेने में तकलीफ, पसीना आना, चक्कर आना, गर्दन में दर्द और असहज महसूस होने जैसी स्थिति बन सकती है।
डॉक्टर डोरा के अनुसार, जिस प्रकार से पुरुषों में हार्ट अटैक देखे जाते हैं उससे कहीं ज्यादा महिलाओं में आराम करते वक्त या फिर नींद में दिल का दौरा पड़ने के लक्षण देखे जा सकते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि करीब दो तिहाई महिलाएं जिनकी मृत्यु कोरोनरी धमनी रोग से अचानक होती है जिसमें लक्षणों का अभाव देखा जा सकता है। महिलाओं को हार्टअटैक से जुड़े कुछ ऐसे लक्षण हैं उनको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
अक्सर उन महिलाओं में हार्ट अटैक की संभावनाएं ज्यादा देखने को मिलती हैं जो ज्यादातर तनाव में रहती हैं, जिनकी फैमिली में हार्टअटैक की हिस्ट्री है। इसके अलावा मेनोपॉज में हृदय रोगों के कुछ जोखिम कारक शामिल हैं। महिलाओं में मेनोपॉज के बाद कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
हार्ट अटैक को रोकने के लिए महिलाओं को निम्नलिखित बातों पर ध्यान रखने की आवश्यकता है:
(इनपुट्स: डॉ. संतोष कुमार डोरा, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, मुंबई)
Follow us on