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डायबिटीज (Diabetes) एक बहुत पुरानी बीमारी है। जब हमारे शरीर में पैंक्रियाज पूरी मात्रा में इन्सुलिन का उत्पात्दन नहीं कर पाती या फिर हमारा शरीर इन्सुलिन को अच्छे ढंग से उपयोग नहीं कर पाता तो डायबिटीज का खतरा (Risk Factors For Diabetes) बढ़ जाता है। इंसुलिन शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है। ज्यादा इनकम वाले देशों की तुलना में कम इनकम वाले देशों में डायबिटीज अधिक तेजी से बढ़ रहा है। डायबिटीज से अंधापन, किडनी फेल्योर, दिल का दौरा और स्ट्रोक का रिस्क बढ़ जाता है।
डायबिटीज के स्तर को कंट्रोल किया जा सकता है और डाइट, एक्सरसाइज, मेडिसिन और समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच से डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। ब्लड शुगर के बढ़े हुए स्तर को हाइपरग्लेसेमिया भी कहा जाता है। यह डायबिटीज का एक सामान्य प्रभाव है लेकिन समय के साथ यह शरीर के अलग-अलग अंगो में, विशेष रूप से ब्लड वैसेल्स और नर्वस सिस्टम के लिए खतरनाक हो सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज इंसुलिन का शरीर द्वारा अच्छे से उपयोग ना करने के कारण होता है। इस तरह का डायबिटीज आमतौर पर शरीर में ज्यादा वजन और फिजिकल इक्टिविटी न करने के कारण होता है। डायबिटीज के 95% से अधिक मरीजों को टाइप 2 डायबिटीज है। जबकि टाइप 1 डायबिटीज की बात करें तो यह शरीर में इंसुलिन के कम उत्पादन के कारण होता है। इसमें इंसुलिन का हमारा शरीर अच्छे से उपयोग नहीं कर पाता। बार-बार पेशाब आना, ज्यादा प्यास लगना, ज्यादा भूख लगना, वजन का कम होना, थकान महसूस होना और दिखाई देने में परेशानी होना जैसे बदलाव इसके कुछ लक्षण हैं।
टाइप-2 डायबिटीज होने के 5 मुख्य कारण हैं, हालांकि ये ऐसे कारण हैं जिन्हें बदला जा सकता है। इससे आप डायबिटीज की संभावना को कम कर सकते हैं और यदि डायबिटीज है तो इसे ठीक कर ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है।
अधिक वजन होने से डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। स्वस्थ शरीर के वजन को बनाए रखने और हर रोज व्यायाम करने के अलावा लगभग दस प्रतिशत वजन कम करने से आपके डायबिटीज के स्तर में काफी कमी आ सकती है।
फिजिकल एक्टिविटी न करने से प्री डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए हर रोज व्यायाम करना शरीर को अपने इंसुलिन का अच्छे ढंग से उपयोग करने में मदद करता है। हफ्ते में पांच दिन आधा घंटा ब्रिस्क वॉक करें।
हाई ब्लड प्रेशर को डायबिटीज के खतरे से जोड़ा गया है। डायबिटीज और हाई बीपी वाले लोगों को ब्लड प्रेशर के स्तर को सामान्य बनाए रखना चाहिए।
तनाव के स्तर को प्रबंधित करें, क्योंकि अधिक स्ट्रेस लेना ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ाता है, हमारी रोज की जिंदगी में तनाव को प्रबंधित करने के तरीकों को खोजें और पूरी नींद लें, जिसका अर्थ है कम से कम नौ घंटे तक नींद लेनी चाहिए क्योंकि यह हार्ट और दिमाग के स्वास्थ्य के साथ साथ पूरे शरीर के लिए अच्छा है।
धूम्रपान नहीं करना चाहिए और शराब छोड़ दें क्योंकि यह पैंक्रियाज में सूजन पैदा कर सकता है और इंसुलिन का उत्पादन करने की क्षमता को कम कर सकता है। शराब हमारे लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है।
टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क को बढ़ाने वाले कुछ ऐसे फैक्टर हैं जिन्हें बदला नहीं जा सकता है:
डायबिटीज के खतरे को बढ़ाने वाले कुछ कारण हमे हमारे माता-पिता या करीबी रिश्तेदारों से विरासत में मिले होते है।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है डायबिटीज का खतरा उतना ही अधिक होता है, लेकिन डॉक्टर डायबिटीज के टाइप के मामलों में अधिक से अधिक बच्चों का इलाज कर रहे हैं।
महिलाओं को प्रेग्नेंसी के समय भी डायबिटीज हो जाती है। उस स्थिति में होने पर उन्हें जीवन में बाद में फिर से डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा हो जाता है।
डायबिटीज के ये 3 रिस्क फैक्टर को ठीक करना तो मुश्किल है मगर जीवनशैली में बदलाव कर डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।
(Inputs By: Dr. Vedpal Singh Punia, Head and Professor, Department of Internal Medicine, Sharda Hospital, Greater Noida.)