• हिंदी

आपके मल से हो सकता है आंत और लिवर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज, जानिए क्या है सुपर पू स्टूल ट्रांसप्लांट

आपके मल से हो सकता है आंत और लिवर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज, जानिए क्या है सुपर पू स्टूल ट्रांसप्लांट

Fecal Transplant : स्टूल ट्रांसप्लांट थेरेपी की मदद से कई तरह की समस्याओं का इलाज संभव हो सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस बारे में-

Written by Kishori Mishra |Updated : September 29, 2023 3:47 PM IST

Fecal Transplant : अबतक आपने अंगदान के बारे में काफी बार सुना होगा। कई लोगों ने अपनी आंखें, लिवर, किडनी जैसे अंगों को दान भी किया होगा, लेकिन क्या आपने कभी ‘मल दान’ के बारे में सुना है या फिर इसपर विचार किया है? शायद आप में से कई लोगों को इस बारे में सुनकर अजीब भी लग रहा हो। कई लोग इस सोच में भी पड़ गए होंगे कि क्या सच में ऐसा होता है? तो हम आपको बता दें कि ऐसा जरूर संभव है। मल दान की मदद से कई गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। हालांकि, ऐसे दान में उच्च गुणवत्ता वाले मल से मल प्रत्यारोपण यानी सुपर पू स्टूल ट्रांसप्लांट किया जाता है। इन दिनों इस खास चिकित्सा पद्धति को काफी ज्यादा बढ़ावा मिल रहा है। वहीं, कुछ लोग अपने मल डोनेट करके काफी ज्यादा पैसे भी कमा रहे हैं। आइए जानते हैं क्या है सुपर पू स्टूल ट्रांसप्लांट और यह किन बीमारियों का कर सकता है इलाज?

स्टूल ट्रांसप्लांट क्या है? - What is a fecal transplant?

मल प्रत्यारोपण एक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें एक स्वस्थ दाता से मल को एकत्र किया जाता है और फिर इस स्वस्थ मल को रोगी के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मार्ग में डाली जाती है। यह प्रक्रिया प्राप्तकर्ता की आंतों में स्वस्थ बैक्टीरिया जोड़कर क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल या सी. डिफ नामक संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद करती है। बता दें कि स्टूल ट्रांसप्लांट बच्चों और वयस्कों में किया जा सकता है। बता दें कि यह हेल्दी बैक्टिया कई तरह से स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।

क्यों की जाती है स्टूल ट्रांसप्लांट ? - Why is stool transplant needed?

मालूम हो कि एक हेल्दी पाचन तंत्र में हजारों बैक्टीरिया मौजूद  होते हैं। ज्यादातर मामलों में, ये बैक्टीरिया पाचन में सहायक होते हैं या हानिरहित होते हैं।जब आप कुछ एंटीबायोटिक्स के साथ अपना इलाज करते हैं, तो ऐसी स्थिति में बृहदान्त्र में कई अच्छे बैक्टीरिया को नष्ट हो जाते हैं। इस स्थिति में क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल (सी. डिफ) नामक खराब बैक्टीरिया को पनपने की संभावना बढ़ जाती है।

Also Read

More News

सी. डिफ बुखार, दस्त और ऐंठन का कारण बन सकता है। संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक दवाओं से इलाज के बाद लोगों को सी. डिफ हो सकता है। 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और पुरानी बीमारी वाले लोगों में, सी. डिफ संक्रमण गंभीर - यहां तक कि घातक भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में एंटीबायोटिक्स इलाज के बजाय स्टूल ट्रांसप्लांट थेरेपी प्रभावी हो सकती है।

किन लोगों को होती है स्टूल ट्रांसप्लांट की जरूरत - Who may need a fecal transplant?

मल प्रत्यारोपण थेरेपी किसी भी व्यक्ति के लिए एक विकल्प हो सकता है। खासतौर पर जो व्यक्ति बृहदान्त्र में सी. डिफ संक्रमण की परेशानी से जूझ रहे हैं या फिर बार-बार उन्हें यह समलस्या हो रही हौ और कोलाइटिस (बृहदान्त्र में सूजन) का कारण बन रहा है। ऐसी स्थिति में स्टूल ट्रांसप्लांट किया जाता है।

हालांकि, शरीर में होने वाली सूज सूजन बावेल डिजीज, ऑटिज्म और मोटापे जैसी स्थितियों में भी एफएमटी के अन्य संभावित अनुप्रयोगों की सलाह दी जा सकती है, लेकिन  इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि सी. डिफ के अलावा अन्य समस्याओं के इलाज के लिए मल प्रत्यारोपण सुरक्षित और प्रभावी है। इसके अतिरिक्त लाभ के लिए फिलहाल रिसर्च जारी है।

कुछ रिसर्च से पता चलता है कि मल प्रत्यारोपण आपकी निचली आंत में हेल्दी बैक्टीरिया को बढ़ाने में प्रभावी होता है, जो सी. डिफ को नियंत्रित करने में आपकी काफी हद तक मदद कर सकता है। कुछ मामलों में, सी. डिफ को नियंत्रण में रखने के लिए एफएमटी एंटीबायोटिक दवाओं से अधिक प्रभावी हो सकती है।