शरीर में विटामिन डी3 (Vitamin D3) की कमी की बात जब भी आती है तो सबसे पहले लोग कहते हैं धूप नहीं लेते हो क्या ? जब शरीर में विटामिन डी3 की कमी होती है तो शरीर पूरी तरह से काम नहीं कर पाता है. दरअसल विटामिन डी3 (Vitamin D3) की कमी एक तरह से विटामिन डी की ही कमी है. लेकिन विटामिन डी में मुख्य घटक के तौर पर विटामिन डी3 (Vitamin D3) ही होता है. विटामिन डी3 Vitamin D का ही एक रूप है.
जब शरीर में विटामिन डी3 की कमी होती है तो हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है. कुछ शोध में तो यहां तक पाया गया है कि विटामिन डी3 की कमी होने पर कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है. जब शरीर में विटामिन डी 3 की कमी होती है तो घबराहट बेचैनी भी होती है. कुछ लोगों को विटामिन डी3 की कमी के कारण डिप्रेशन की समस्या भी हो जाती है.
शरीर में विटामिन डी 3 की कमी होने पर मांशपेशियां कमजोर होने लगती है. जिनमें विटामिन डी 3 की कमी होती है उनको थकान बहुत जल्दी लगती है. विटामिन डी 3 की कमी होने पर संक्रमण का खतरा रहता है. विटामिन डी 3 कम होने पर हड्डियों के टूटने का खतरा रहता है. शरीर में विटामिन डी3 की कमी के मुख्य लक्षण थकान लगना, कमजोरी और दिमाग का तार्किक तरीके से काम न करना होता है.
जोड़ों में दर्द और घबराहट भी Vitamin D3 की कमी के लक्षण हैं. सुबह उठते ही बेचैनी और घबराहट अगर होती है तो विटामिन डी3 कमी हो सकती है.
नार्मल विटामिन डी लेवल्स की जानकारी हर किसी को होनी चाहिए. विटामिन डी नार्मल रेंज जब आपको पता होता है तो आप अपने नार्मल विटामिन डी लेवल्स को ठीक रख पाते हैं. शरीर में विटामिन डी 3 की कमी की जांच लैब टेस्ट के द्वारा की जा सकती है. आइए जानते हैं नार्मल विटामिन डी लेवल्स और विटामिन डी नार्मल रेंज के बारे में.....
लैब में विटामिन डी 25 OH की रेंज ng/ml या nmol/liter में मापा जाता है.
जब विटामिन डी का रेंज 20 ng /ml या 50 nmol/L से कम होता है तो विटामिन डी की कमी मानी जाती है.
वहीं जब विटामिन डी का रेंज 20 ng/ml या 50 nmol/L से 29 ng/ml या 74 nmol/L अपर्याप्त माना जाता है.
विटामिन डी की नॉर्मल रेंज 75 nmol/L से 250 nmol/L होती है.
250 nmol/L से अधिक विटामिन डी की रेंज होने पर खतरनाक माना जाता है.
वैसे तो विटामिन डी3 के स्रोत के बारे में अगर देखा जाए तो सूर्य की किरणों को ही माना जाता है. क्योंकि विटामिन डी किसी खाद्य पदार्थ में नहीं पाया जाता है. यह एक तरह का हॉरमोन है जो शरीर में धूप लगने पर कोलेस्ट्राल के द्वार बनने लगता है.
दूसरे माध्यमों में देखें तो समुद्र में पायी जाने वाली मछलियों में भी विटामिन डी3 पाया जाता है. दूसरे खाद्य पदार्थों में मशरुम में भी विटामिन डी 2 पाया जाता है. कुछ शोधों में डार्क चाकलेट से भी विटामिन डी 2 की कमी को पूरा करना पाया गया है.
फूड के तौर पर मछली के तेल को ही विटामिन डी3 का स्रोत सबसे अच्छा माना जा सकता है. लेकिन अगर आप में विटामिन डी3 की कमी हो गयी है तो आपको दवाओं का सहारा लेना पड़ता है.
विटामिन डी 3 की कमी शरीर में न हो इसके लिए मछली, मशरूम, जड़ वाली सब्जियों और दूध को शामिल किया जा सकता है. लेकिन इन सब में विटामिन डी3 की मात्रा बहुत कम पायी जाती है.
अगर आप में विटामिन डी3 (Vitamin D3) की कमी के लक्षण दिखाई देते हैं. तो सबसे पहले टेस्ट करवाकर विटामिन डी3 की रेंज को समझ लें. उसके बाद डॉक्टर के परामर्श पर जरूरी सप्लीमेंट ले सकते हैं.
शरीर में विटामिन डी3 की ज्यादा कमी होने पर ओरल की जगह इंजेक्शन की भी सलाह डॉक्टर देते हैं. Vitamin D 3 की कई दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं. लेकिन बिना डॉक्टर के सलाह के विटामिन डी3 (Vitamin D3) की दवा न लें.
विटामिन डी की शरीर में कमी तो नहीं, पहचानें इन संकेतों से.
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