विटामिन डी (Vitamin D deficiency) शरीर के लिए एक जरूरी विटामिन है। कई और पोषक तत्व ऐसे हैं जो विटामिन डी की कमी (Vitamin D deficiency) होने पर अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर पाते। विटामिन डी की कमी (Vitamin D deficiency) होने पर शरीर को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनमें बाल झड़ने से लेकर फ्रैक्चर होना तक शामिल हैं। पर क्या आप जानते हैं कि विटामिन की कमी के लक्षण कौन से हैं। आइए समझते हैं विस्तार से।
अगर आपको सुबह उठते ही मांसपेशियों में, खासतौर से पैरों में, एडि़यों में दर्द होता है, तो यह लक्षण है कि आप में विटामिन डी की कमी (Vitamin D deficiency) है। इसके अलावा लगातार थकान रहना भी विटामिन डी की कमी (Vitamin D deficiency) का एक सामान्य संकेत है। इसके अलावा और भी कई लक्षण हैं जो बच्चों और बड़ों में विटामिन डी की कमी के कारण नजर आते हैं।
बाल झड़ना, बार-बार फ्रैक्चर होना, हड्डियों का कमजोर और खोखला होना, जोड़ों और मसल्स में दर्द रहना, कमर और शरीर के निचले हिस्सों में दर्द होना खासकर पिंडलियों में, हड्डियों से कट की आवाज आना, बच्चो का बार-बार बीमार पड़ना। बहुत थकान और सुस्ती रहना, बेचैन और तुनकमिजाज रहना, इनफर्टिलिटी का बढ़ना, पीरियड्स का अनियमित होना।
अगर आप स्वयं में या अपने परिवार के किसी सदस्य में ऐसे लक्षण देख रहे हैं तो आपको विटामिन डी डिफिशिएंसी टेस्ट करवाना चाहिए है। यह टेस्ट थोड़ा महंगा होता है। पर इससे पता चल जाता है कि आप में कितना विटामिन डी है। आजकल कुछ लैब कॉम्बो ऑफिर में यह टेस्ट फ्री भी कर देते हैं। एक सामान्य व्यक्ति में विटामिन डी का लेवल 50 ng/mL या इससे ज्यादा होना चाहिए। हालांकि 20 से 50 ng/mL के बीच नॉर्मल रेंज है लेकिन डॉक्टर 50 को ही बेहतर मानते हैं। अगर लेवल 25 से कम है तो डॉक्टर की सलाह से विटामिन डी सप्लिमेंट जरूर लेना चाहिए।
विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए बच्चों को एक बार में 6 लाख IU (इंटरनैशनल यूनिट) दी जाती हैं। यह कई बार इंजेक्शन के जरिए भी दिया जाता है। फिर नॉर्मल रेंज आने तक एक महीने हर हफ्ते 60,000 यूनिट और फिर हर महीने 60,000 यूनिट दी जाती है, जोकि ओरली दी जाती है। 50 किलो से ज्यादा वजन के बच्चे को अडल्ट के मुताबिक ही डोज दी जा सकती है लेकिन छोटे बच्चों को डॉक्टर की सलाह से डोज दें।
बड़ों में पहले तीन महीने हर हफ्ते 60,000 यूनिट और फिर हर महीने एक बार 60,000 यूनिट का सैशे दिया जाता है। अगर धूप में नहीं निकलते हैं तो 25-30 साल की उम्र के बाद हर महीने एक सैशे लेना चाहिए।
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