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टीबी को इस तरह समाप्‍त करेंगे उत्‍तर प्रदेश के मंत्री, जानें क्‍या है भारत का संकल्‍प

टीबी को इस तरह समाप्‍त करेंगे उत्‍तर प्रदेश के मंत्री, जानें क्‍या है भारत का संकल्‍प
More cases of Tuberculosis reported in 2018 in India than 2017© Shutterstock.

भारत ने 2025 तक टीबी को पूरी तरह से समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकार की ओर से वृहत स्तर पर अभियान चलाए जा रहे हैं। इसी श्रृंखला में बुधवार को उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने एक नई पहल की घोषणा की।

Written by Editorial Team |Updated : September 25, 2019 8:32 PM IST

भारत ने 2025 तक टीबी को पूरी तरह से समाप्‍त करने का लक्ष्‍य रखा है। इसके लिए सरकार की ओर से वृहत स्‍तर पर अभियान चलाए जा रहे हैं। इसी श्रृंखला में बुधवार को उत्‍तर प्रदेश के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने एक नई पहल की घोषणा की। इसके अनुसार उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री सहित सभी मंत्री एक-एक टीबी मरीज को गोद लेंगे। ताकि टीबी से मुकाबला करने के लिए रोगी को बेहतर आहार मिल सके। टीबी को हराने में आहार की भू‍मिका बहुत महत्‍वपूर्ण होती है।

उत्‍तर प्रदेश की सराहनीय पहल

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने सभी उत्तर प्रदेश के मंत्रियों और विधायकों से एक टीबी रोगी को गोद लेने का आग्रह किया है, ताकि 2025 तक टीबी मुक्त भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिल सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी टीबी के मरीज को गोद लेंगे।

साढ़े पांच लाख से ज्‍यादा मरीज उत्‍तर प्रदेश में

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और राजभवन के अन्य अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में ही एक-एक टीबी रोगी को गोद ले लिया है। मंत्री के अनुसार, राज्य में लगभग 5.75 लाख टीबी रोगी हैं, जिनमें से 14,600 अकेले लखनऊ में हैं। राज्य सरकार ने सभी अस्पतालों को सीबी-एनएएटी परीक्षण मशीन देने निर्णय लिया है, ताकि टीबी का सही से परीक्षण हो सके।

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मरीजों को मिलेगा पोषक आहार

गोद लेने के बाद प्रत्येक टीबी रोगी को पौष्टिक आहार के लिए हर महीने 500 रुपये देने होंगे और नकद राशि सीधे रोगी के बैंक खाते में स्थानांतरित किए जाएंगे। मंत्री ने कहा, "मैं जल्द ही अपने निर्वाचन क्षेत्र सिद्धार्थनगर जिले से एक मरीज को गोद लूंगा।" उन्होंने कहा कि अगर ब्यूरोक्रेट्स भी टीबी के मरीज को गोद लेने के लिए आगे आएंगे तो वह, तो वह उनकी सराहना करेंगे। वाराणसी के टीबी अस्पताल में कई डॉक्टरों ने पहले ही रोगियों को गोद ले रखा है।

टीबी के इलाज में महत्‍वपूर्ण है आहार की भूमिका

विशेषज्ञों की मानें तो टीबी के जीवाणु सभी में मौजूद होते हैं। पर कमजोरी और पोषण के अभाव में ये बढ़ने लगते हैं। टीबी के इलाज में जहां लगातार उपचार और दवाओं की जरूरत होती है, वहीं मरीज के लिए पोषक आहार भी बहुत जरूरी है। इन रोगियों को खून की काफी कमी हो जाती है। ऐसे में इन्‍हें सबसे ज्‍यादा आयरन की जरूरत होती है। इसके साथ ही कार्बोहाइड्रेट, विटामिन डी और प्रोटीन की भी जरूरत होती है। परंतु ज्‍यादातर गरीब रोगी इस तरह का पोषण युक्‍त आहार नहीं ले पाते। जिसकी वजह से वे पूरी तरह ठीक नहीं हो पाते। निश्चित ही रोगियों को गोद लेने की उत्‍तर प्रदेश की यह पहल टीबी के मरीजों को अपनी बीमारी से मुकाबला करने में सहायता करेगी।

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