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महिलाओं में बांझपन की समस्या काफी तेजी से बढ़ती जा रही है और स्थिति इतनी खराब हो रही है कि प्रजनन की उम्र में ही बांझपन की समस्याओं के मामले देखने को मिल रहे हैं। गर्भाशय में फाइब्रॉएड होना एक नोन-कैंसर ग्रोथ है, जो आमतौर पर प्रजनन से जुड़ी समस्याओं का कारण बनता है। कुछ अस्पतालों में हर 10 महिलाएं में लगभग दो महिलाएं गर्भाशय में फाइब्रॉएड के मामलों से पीड़ित ही आ रही हैं। कुछ विशेषज्ञ डॉक्टरों का मानना है कि 10 से 35 साल की महिलाओं में इसके मामले सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं और मामलों में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। इस नोन कैंसर ग्रोथ को नोन कैंसर ट्यूमर भी कहा जाता है, जो आमतौर पर गंभीर दर्द पैदा करने के साथ-साथ मासि धर्म में रुकावट, रक्तस्राव कम या ज्यादा होना और प्रजनन में समस्याएं पैदा करते हैं। गर्भाशय फाइब्रॉएड एक महिला की गर्भधारण करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है और इस कारण से जो कपल प्रेगनेंसी के लिए ट्राई कर रहे हैं, उनके लिए यह बीमारी चिंता का विषय बन सकती है।
गर्भाशय में फाइब्रॉएड महिलाओं में बांझपन के सबसे बड़े खतरों में से एक है। मुंबईतील अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. केकिन गाला के अनुसार बांझपन के वैसे तो कई कारण है, जिनमें पीसीओए, ज्यादा उम्र, शुक्राणु की कमी और कैंसर आदि, लेकिन गर्भाशय में फाइब्रॉएड ऐसी स्थिति है, जो सफल प्रेगनेंसी में भी परेशानियां पैदा कर सकता है। डॉक्टर ने बताया कि यदि आपको गर्भाशय में फाइब्रॉएड है और आप गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं तो आपको जल्द से जल्द इसका इलाज करा लेना चाहिए। इस बीमारी का इलाज जितना जल्दी शुरु होता है, उतना ही उसके सफल होने की संभावना बढ़ती है।
डॉक्टर गाला ने बताया कि हर 2 से 3 महिलाओं में गर्भाशय में फाइब्रॉएड की समस्या देखी जा रही है। गर्भ में सिस्ट बनने के कारण अक्सर ज्यादा रक्तस्राव होना, अनियमित मासिक धर्म, संभोग के दौरान दर्द, पेट व पीठ में तेज दर्द रहना, गर्भधारण में कठिनाई और यहां तक कि गर्भधारण जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। डॉक्टर गाला ने आगे बताया कि गर्भाशय में फाइब्रॉएड के सबसे ज्यादा मामले 25 से 30 की उम्र की महिलाओं में ही पाए जाते हैं।
गर्भाशय में फाइब्रॉएड के कारण जेनेटिक होने के अलावा पर्यावरणीय भी हो सकते हैं। गर्भाशय में फाइब्रॉएड के मामलों की वृद्धि काफी उल्लेखनीय है, जो भविष्य में उनकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है। डॉक्टर ने बताया की कई पर्यावरणीय कारक हैं, जो गर्भाशय में फाइब्रॉएड विकसित होने के खतरे को बढ़ाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ प्रदूषकों और रसायनों के संपर्क में आने के कारण कम उम्र में ही फाइब्रॉएड विकसित होने लगता है और बाद में यह गंभीर स्थिति का रूप धारण कर लेता है।
गर्भाशय में फाइब्रॉएड विकसित होने के पीछे हार्मोन से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। झाइनोवा शाल्बी हॉस्पिटल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर माधुरी मेहेंदळे का मानना है कि हार्मोन से जुड़े कुछ प्रभाव भी इसका कारण बन सकते हैं। क्योंकि शरीर में हार्मोन में कुछ बदलाव होने के कारण ऊतकों का विकास होने लगता है और इस कारण से गर्भाशय में सिस्ट बनने लगती है। यदि आपको महीने में दो बार मासिक धर्म, भारी रक्तस्राव, दर्दनाक माहवारी, पेशाब करने में कठिनाई, बार-बार पेशाब आना जैसे लक्षण महसूस हों तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।