जीवनशैली और खान-पान में बदलाव का नतीजा है कि किशोर और युवाओं में पेट के अल्सर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। सामान्य भाषा में कहें तो पेट में छाले व घाव हो जाने को अल्सर कहा जाता है। सोने का नियत समय न होना, ऑफिस में बेहतर प्रदर्शन का तनाव, जंक फूड का बढ़ता चलन और अधिक डाइटिंग से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। उस पर धूम्रपान, एल्कोहल और तंबाकू का सेवन पेट की परत को नुकसान पहुंचाने का कारण बन जाता है।
क्या है पेप्टिक अल्सर ?
पेट में घाव या छाले होने को चिकित्सकीय भाषा में पेप्टिक अल्सर कहते हैं। पेट में म्युकस की एक चिकनी परत होती है, जो पेट की भीतरी परत को पेप्सिन और हाइड्रोक्लोरिक एसिड से बचाती है। इस एसिड की खासियत यह है कि जहां यह एसिड पाचन प्रक्रिया के लिए जरूरी होता है, वहीं शरीर के ऊतकों को नुकसान भी पहुंचाता है। इस एसिड और म्युकस परतों के बीच तालमेल होता है। इस संतुलन के बिगड़ने पर ही अल्सर होता है। आमतौर पर यह आहार नली, पेट और छोटी आंत के ऊपरी भाग की भीतरी झिल्ली में होता है।
गैस्ट्रिक अल्सर:
यह पेट के अंदर विकसित होता है। इसोफैगियल अल्सर: यह भोजन नली (इसोफैगस) में होता है, जो भोजन को गले से पेट में ले जाती है। यह अल्सर कम देखने में आता है।
ड्योडेनल अल्सर:
यह छोटी आंत के ऊपरी भाग में होता है, जिसे ड्योडनम कहते हैं। इसके मामले अधिक सामने आते हैं। अधिक तला-भुना, मसालेदार भोजन और चाय-कॉफी लेना पेट में एसिड के स्तर को प्रभावित करता है। इसके संक्रमण से बचने का सबसे आसान और सस्ता तरीका साफ-सफाई का खास ध्यान रखना है।
लक्षण
पेट में दर्द होना इसका प्रमुख लक्षण है। खाली पेट होने पर यह दर्द और तेज हो जाता है। पेट का एसिड अल्सरग्रस्त कोशिकाओं पर असर डालने लगता है। रात के समय पेट में जलन बढ़ जाती है। कुछ मामलों में खून की उल्टी होना, मल का रंग गहरा हो जाना, जी मिचलाना, भार में तेजी से कमी आना या भूख प्रक्रिया में बदलाव आने जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं।
क्या करें परहेज ?
- चाय, कॉफी और सोडा का सेवन न करें। इससे पेट में एसिड का उत्पादन बढ़ जाता है, जो अल्सर को बढ़ाता है।
- अधिक तेल और मसालेदार भोजन न खाएं।
- ऐसे खाद्य पदार्थ, जिनमें साइट्रिक एसिड की मात्रा अधिक होती है, अल्सर के दौरान इनके सेवन से पेट के घावों को नुकसान पहुंचता है। नीबू, मौसंबी, संतरा, अंगूर, अनन्नास, फलों का जूस, जैम और जैली में सिट्रिक एसिड अधिक होता है।
- लाल मांस, मैदे से बनी चीजें, सफेद ब्रेड, चीनी, पास्ता और प्रोसेस्ड फूड भी कम से कम खाएं।
- खान-पान में साफ-सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। खुले में रखे खाद्य पदार्थों को खाने से बचें। देर से कटा रखा हुआ सलाद न खाएं। खाने से पहले हाथ जरूर धोएं।
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