टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes)
डायबिटीज एक हार्मोनल कंडीशन है जिसमें रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। डायबिटीज के 2 प्रकार हैं-टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज। वैसे टाइप 2 डायबिटीज़, टाइप 1 डायबिटीज़ की तुलना में अधिक लोगों में पायी जाने वाली स्थिति है। सेंटर्स फॉर डिज़िज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार, दुनियाभर में केवल 5 से 10% मरीज़ ही टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित हैं।
टाइप 1 डायबिटीज क्या है?
“यह स्थिति छोटे बच्चों और कम उम्र के लोगों में एक बहुत ही आम समस्या है। इसे जुवेनाइल डायबिटीज (juvenile diabetes) भी कहते हैं।” यह कहना है मुंबई स्थित डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. प्रदीप गाडगे का। टाइप 1 डायबिटीज में आपकी इम्यून सेल्स आपके पैंनक्रियाज़ यानि अग्नाशय में बीटा सेल्स को नुकसान पहुंचाती हैं। बीटा सेल्स इंसुलिन हार्मोन्स का निर्माण करती हैं। इसका मतलब है कि इन सेल्स को नुकसान पहुंचने पर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता। डॉ. गाडगे कहते हैं कि, जब शरीर में इंसुलिन का उत्पादन कम मात्रा में होता है तो शरीर रक्त में मौजूद ग्लूकोज़ से शक्ति प्राप्त नहीं कर पाता। जिससे, रक्त और यूरीन में ग्लूकोज का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है।
टाइप 1 डायबिटीज के कारण क्या हैं?
टाइप 1 डायबिटीज के सही कारणों का पता अभी तक नहीं चल सकता है। ऐसा भी नहीं कहा जा सकता कि किस समूह के लोगों को इस प्रकार के डायबिटीज का खतरा अधिक है। हालांकि, कुछ रिसर्च के अनुसार जिन लोगों के शरीर में ऑटोएंटीबॉडीज़ होती हैं। उन लोगों में टाइप 1 डायबिटीज होने का खतरा अधिक है। डॉ. गाडगे बताते हैं कि, विभिन्न रिसर्च में यह भी संकेत दिए गए हैं कि अनुवांशिकता और पर्यावरण टाइप 1 डायबिटीज होने की संभावना एक निश्चित सीमा तक बढ़ा देते हैं।
टाइप 1 डायबिटीज का खतरा किसे है ?
इस प्रकार के डायबिटीज के बारे में अभी बहुत शोध करने की ज़रूरत है। इसी तरह इसके खतरे या रिस्क फैक्टर्स के बारे में भी बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। हालांकि, रिसर्चर्स ने कुछ ऐसे ग्रुप्स का पता लगाया है जिन्हें टाइप 1 डायबिटीज का खतरा दूसरों की तुलना में अधिक है, जैसे:
- ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता दोनों को डायबिटीज हो
- जेस्टेशन डायबिटीज से पीड़ित मां के बच्चे
- पैंक्रियाज़ से जुड़े इंफेक्शन, चोट या ट्रॉमा से गुज़र चुके बच्चे
- बहुत ठंडे प्रदेशों में रहने वाले लोग
टाइप 1 डायबिटीज के नुकसान क्या हो सकते हैं ?
रक्त में ग्लूकोज़ का उच्च स्तर शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को हानि पहुंचा सकता है। इसे नियंत्रित ना किया जाए तो इन समस्याओं का ख़तरा बढ़ जाता है:
- हार्ट अटैक
- नज़र का धुंधलापन
- नसों को नुकसान
- गम्भीर इंफेक्शन्स
- किडनी फेलियर
टाइप 1 डायबिटीज का निदान क्या है?
आपका डॉक्टर टाइप 1 डायबिटीज के निदान के लिए कुछ प्रकार के टेस्ट करवा सकता है:
ग्लूकोज़ टेस्टिंग
दिन के किसी विशेष समय पर आपके शरीर से रक्त का नमूना लेकर उसमें ग्लूकोज़ के स्तर की जांच की जाती है। 200 mg/dL या उससे अधिक की रीडिंग डायबिटीज़ का संकेत हो सकती है।
पोस्ट प्रैंडिअल प्लाज़्मा ग्लूकोज़ टेस्ट
अगर ब्लड टेस्ट में ब्लड ग्लूकोज़ लेवल की रीडिंग बहुत हाई आती हैं। तो, आपको इस तरह का टेस्ट (Postprandial Plasma Glucose Test) कराने के लिए कहा जा सकता है। इस टेस्ट में शरीर द्वारा ग्लूकोज़ को बर्दाश्त करने की क्षमता की जांच की जाती है। ब्लड टेस्ट के 2 घंटे बाद इस टेस्ट के लिए आपको लगभग 75 ग्राम ग्लूकोज़ लेने की सलाह दी जा सकती हैं। 200 mg/dl से अधिक की रीडिंग से डायबिटीज होने की पुष्टि की जाती है।
ए1सी टेस्ट (A1C test)
इन दोनों के अलावा आपको ए1सी टेस्ट करने के लिए भी कहा जा सकता है। जिसमें, पिछले 3 महीनों का एवरेज ब्लड ग्लूकोज़ लेवल चेक किया जाता है। इस टेस्ट की रीडिंग्स इस प्रकार होती हैं:
नॉर्मल: 5.7% से कम
प्रीडायबिटिक्स: इसमें ए1सी (A1C) 5.7 से 6.4% तक हो सकता है।
डायबिटीज़: 6.5% या उससे अधिक
टाइप 1 डायबिटीज का उपचार क्या है?
इस तरह के मरीज़ों के लिए इंसुलिन शॉट्स लेना अनिवार्य होता है। हालांकि, इंजेक्शन की जगह आप इंसुलिन पम्प का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरीके से इंसुलिन चढ़ाने के लिए इंसुलिन की एक निश्चित मात्रा स्किन में पोर्ट की मदद से दी जाती है। अगर आपको टाइप 1 डायबिटीज है, तो आपको अपने रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर की नियमित रूप से जांच करने की आवश्यकता होगी। ताकि यह पता लगाया जा सके कि, आपके शरीर को कितने इंसुलिन की आवश्यकता है। बाज़ार में कई प्रकार के इंसुलिन उपलब्ध हैं:
रैपिड-एक्टिंग इंसुलिन (Rapid-acting Insulin): इनका असर 15 मिनट में शुरु होता है और 2-4 घंटे तक रहता है।
शॉर्ट-एक्टिंग इंसुलिन (Short-acting Insulin): इसका असर 3-6 घंटे रहता है।
इंटरमिडिएट-एक्टिंग इंसुलिन (Intermediate-acting Insulin): इस तरह का इंसुलिन नसों में पीक टाइम से 2-4 घंटें पहले चढ़ाया जाता है और इसका असर 12 से 18 घंटं तक रहता है।.
लॉन्ग-एक्टिंग इंसुलिन (Long-acting Insulin): इसका असर 24 घंटों तक रहता है।
टाइप 1 डायबिटीज डायट कैसी होनी चाहिए?
आपके भोजन के आधार पर आपका ब्लड शुगर लेवल घटता और बढ़ता है। इसीलिए, डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए संतुलित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और फैट्स का सेवन करें। इसके अलावा अपने डॉक्टर्स के साथ मिलकर अपने लिए सही डायट प्लान करें। साथ ही इन बातों का ध्यान रखें-
रोज़ाना 25-30 ग्राम फाइबर का सेवन करें।
कार्बोहाइड्रेट्स की सही मात्रा चुनें। अनहेल्दी कार्ब्स खाने से बचें।
अनहेल्दी फैट्स के सेवन से बचें।
अपनी डायट में शामिल करें ये सुपरफूड्स-
- बीन्स
- हरी पत्तेदार सब्ज़ियां
- खट्टे फल
- शकरकंद
- बेरीज़
- टमाटर
- ओमेगा-3 फैटी एसिड्स वाली मछलियां
- साबुत अनाज
- नट्स
- फैट-फ्री दही और दूध
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डायबिटीज में इंसुलिन सेंसिटिविटी कम हो जाती है। जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। यहां पढ़ें कुछ ऐसे तरीके जिनसे इंसुलिन का स्तर नैचुरली बढ़ सकता है। (Tips to boost Insulin Sensitivity)
करीब 80 प्रतिशत मामलों में धूम्रपान ही कैंसर के लिए जिम्मेदार पाया गया है। हालांकि, कुछ लोगों को यह जेनेटिक और अन्य कारणों से भी हो सकता है। पर्यावरणीय कारकों में रेडॉन, एस्बेस्टस, आर्सेनिक, बेरिलियम और यूरेनियम के संपर्क में आने से इस कैंसर का जोखिम बढ़ता है। इसके अलावा फैमिली हिस्ट्री, बॉडी, उम्र, छाती में रेडिएशन और फेफड़ों की बीमारी आदि भी फेफड़े के कैंसर का कारण बनती है।
दालचीनी कई औषधीय गुण प्रदान करती है और सबसे प्रमुख यह है कि यह डायबिटीज को नियंत्रित करने की क्षमता रखती है। रिसर्चर्स का मानना है कि दालचीनी में मौजूद Cinnamaldehyde नाम का कंपाउंड मौजूद होता है जो आपके स्वास्थ्य और मेटाबॉलिज्म का ध्यान रखता है। मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर में अचानक से शुगर लेवल को बढ़ा देती है। जिसके चलते शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने और ग्लूकोज की खपत को एडजस्ट करने में असमर्थ हो जाता है। दालचीनी में कुछ ऐसे खास गुण होते हैं जो शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव कर डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन यदि आपका लाइफस्टाइल बहुत बिजी है और आप किसी भी चीज को नियमित रूप से नहीं कर पाते हैं तो तेजपत्ते से बेहतर आपके लिए कुछ नहीं है। तेजपत्ते की सही सेवन से पुरानी से पुरानी डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। तो आइए जानते हैं डायबिटीज में किस तरह फायदेमंद है तेजपत्ता।
कई बार ब्लड शुगर लेवल इतना हाई हो जाता है कि स्थिति इमरजेंसी में तब्दील हो जाती है। क्योंकि, ब्लड शुगर का बहुत ज़्यादा स्तर जानलेवा साबित हो सकता है। अगर, आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति इस तरह की स्थिति का सामना कर रहा है। तो, तुरंत ब्लड शुगर लेवल कम करने के लिए इन तरीकों को अपना सकते हैं।
हाल ही में सेल मेटाबॉलिज्म जर्नल में छपी एक स्टडी में बताया गया कि कोविड इंफेक्टेड डायबिटिक्स में मौत का ख़तरा दूसरों की तुलना में अधिक है। इस स्टडी में पाया गया कि कोविड-19 इंफेक्टेड जिन डायबिटिक्स ने अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखा था। उन्हें, एक्स्ट्रा मेडिकल हेल्फ या वेंटिलेटर सपोर्ट की ज़रूरत नहीं पड़ी। वहीं, इन लोगों को बाकी मरीज़ों की तुलना में हेल्थ प्रॉब्लम्स भी कम हुईं।
तापमान में होने वाले बदलाव से ब्लड शुगर लेवल में भी उतार-चढ़ाव हो सकता है। चूंकि, अब गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है। इसीलिए, अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने की कोशिश करें। साथ ही अपने पैरों को हेल्दी रखने के लिए इन फुट केयर टिप्स को फॉलो करें।
जहां पूरा दिन आप डायबिटीज़ और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं। वहीं, आपको रात में भी एक विशेष रूटीन फॉलो करना चाहिए। जिससे, आपको किसी प्रकार के कॉम्प्लिकेशन्स ना हों। ऐसी ही कुछ बातों के बारे में लिख रहे हैं हम
अक्सर हाई ब्लड शुगर के लोगों के मन में डर होता है कि कहीं कोई मीठी चीज़ खाने से उनका ब्लड शुगर लेवल बढ़ ना जाए। जैसा कि, शहद मीठा होता है इसीलिए, डायबिटिक्स को इसके सेवन को लेकर हमेशा उलझन बनी रहती है।
मौसम में बढ़ती गर्मी से डायबिटीज़ के मरीज़ों को कई प्रकार की हेल्थ प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं। इससे, डायबिटीज़ मैनेजमेंट में परेशानी हो सकती है। डायबिटिक्स को ऐसे में किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए,यही लिख रहे हैं हम यहां।
अपने कमज़ोर इम्यून सिस्टम की वजह से डायबिटीज़ के मरीज़ इंफेक्शन की चपेट में बहुत-ही आसानी से आ सकते हैं। इसीलिए, ऐसे लोगों को कोरोना वायरस के माहौल में भी खुद को सुरक्षित रखने के लिए सभी प्रकार की एहतियात बरतनी चाहिए
एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाई ब्लड शुगर वाले लोगों यानि डायबिटीज़ मरीज़ों को कोरोना वायरस का ख़तरा दूसरों से अधिक है। इसी तरह निमोनिया का ख़तरा भी इन लोगों को काफी अधिक है। जैसा कि हाई ब्लड शुगर की वजह से डायबिटिक्स का इम्यून सिस्टम पहले से ही कमज़ोर रहता है। इसीलिए, डायबिटिक्स को कोविड-19 (COVID-19) से बचने के लिए खास सावधानियां बरतनी चाहिए।
Milk and risk of Diabetes: डायबिटीज़ के रिस्क को कम करने के लिए भी दूध को असरदार माना जाता है। हालांकि, डायबिटीज़ में दूध के सेवन को लेकर कोई विशेष स्पष्टिकरण नहीं आया है। इसीलिए, इस विषय में लगातार रिसर्च किया जाता है। इन रिसर्च में कहा गया है कि, दूध पीने से टाइप 2 डायबिटीज़ का ख़तरा कम होता है।
डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए भी सेब बहुत अच्छे साबित हो सकते हैं। दरअसल, सेब में फाइबर का स्तर काफी अधिक होता है। इसीलिए, सेब खाने से पेट जल्दी भरता है और इस तरह कम कैलोरी लेकर भी आप संतुष्ट महसूस होता है। सेब में सोल्यूबल फाइबर और इनसोल्यूबल फाइबर, दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं। जिससे, यह एक हेल्दी और पचने में आसान फल बन जाता है।
ब्लड शुगर लेवल को सही रखने के लिए विभिन्न तरीके से ट्रीटमेंट्स उपलब्ध हैं। लेकिन, इसके अलावा बहुत-सी नैचुरल और घरेलू चीज़ें भी हैं। जो ब्लड शुगर लेवल को सही रखने पर मदद करते हैं। सहजन की पत्तियां और दालचीनी जैसी साधारण चीज़ें ब्लड शुगर लेवल को सही रखने में सहायता करता है। जानें इनके इस्तेमाल और सेवन का तरीका।
Diabetes Diet Tips: ऐसा नहीं है कि डायबिटिक्स डायट में हर तरह के फलों से परहेज करने की ज़रूरत पड़ती है। फलों का सही चयन और सही मात्रा में उनका सेवन ही डायबिटीज़ में लोगों को फलों के फायदे पाने में मदद करता है। बस, डायबिटीज़ में फलों का सेवन करते समय इन बातों का ध्यान रखें।
ऐसी कई स्टडीज़ हैं जो, ये दर्शाती हैं कि नारियल के तेल का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल्स को मैनेज करना आसान हो जाता है। इसके, सेवन से कोलेस्ट्रॉल लेवल्स को भी नियंत्रित करना आसाव हो जाता है। इसीलिए गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल मे बढ़ोतरी और बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल में कमी देखी जाती है।
डायबिटीज के कुछ सवाल हर किसी को परेशान करते हैं. टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) में विशेष देखभाल की जरूरत होती है. मधुमेह के प्रकारों में टाइप 1 डायबिटीज का कारण अभी तक पता नहीं चल सका है. आइए जानते हैं टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण और इलाज के कुछ जरूरी सवाल और जवाब..
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दालचीनी कई औषधीय गुण प्रदान करती है और सबसे प्रमुख यह है कि यह डायबिटीज को नियंत्रित करने की क्षमता रखती है। रिसर्चर्स का मानना है कि दालचीनी में मौजूद Cinnamaldehyde नाम का कंपाउंड मौजूद होता है जो आपके स्वास्थ्य और मेटाबॉलिज्म का ध्यान रखता है। मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर में अचानक से शुगर लेवल को बढ़ा देती है। जिसके चलते शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने और ग्लूकोज की खपत को एडजस्ट करने में असमर्थ हो जाता है। दालचीनी में कुछ ऐसे खास गुण होते हैं जो शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
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कई बार ब्लड शुगर लेवल इतना हाई हो जाता है कि स्थिति इमरजेंसी में तब्दील हो जाती है। क्योंकि, ब्लड शुगर का बहुत ज़्यादा स्तर जानलेवा साबित हो सकता है। अगर, आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति इस तरह की स्थिति का सामना कर रहा है। तो, तुरंत ब्लड शुगर लेवल कम करने के लिए इन तरीकों को अपना सकते हैं।
हाल ही में सेल मेटाबॉलिज्म जर्नल में छपी एक स्टडी में बताया गया कि कोविड इंफेक्टेड डायबिटिक्स में मौत का ख़तरा दूसरों की तुलना में अधिक है। इस स्टडी में पाया गया कि कोविड-19 इंफेक्टेड जिन डायबिटिक्स ने अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखा था। उन्हें, एक्स्ट्रा मेडिकल हेल्फ या वेंटिलेटर सपोर्ट की ज़रूरत नहीं पड़ी। वहीं, इन लोगों को बाकी मरीज़ों की तुलना में हेल्थ प्रॉब्लम्स भी कम हुईं।
तापमान में होने वाले बदलाव से ब्लड शुगर लेवल में भी उतार-चढ़ाव हो सकता है। चूंकि, अब गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है। इसीलिए, अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने की कोशिश करें। साथ ही अपने पैरों को हेल्दी रखने के लिए इन फुट केयर टिप्स को फॉलो करें।
जहां पूरा दिन आप डायबिटीज़ और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं। वहीं, आपको रात में भी एक विशेष रूटीन फॉलो करना चाहिए। जिससे, आपको किसी प्रकार के कॉम्प्लिकेशन्स ना हों। ऐसी ही कुछ बातों के बारे में लिख रहे हैं हम
अक्सर हाई ब्लड शुगर के लोगों के मन में डर होता है कि कहीं कोई मीठी चीज़ खाने से उनका ब्लड शुगर लेवल बढ़ ना जाए। जैसा कि, शहद मीठा होता है इसीलिए, डायबिटिक्स को इसके सेवन को लेकर हमेशा उलझन बनी रहती है।
मौसम में बढ़ती गर्मी से डायबिटीज़ के मरीज़ों को कई प्रकार की हेल्थ प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं। इससे, डायबिटीज़ मैनेजमेंट में परेशानी हो सकती है। डायबिटिक्स को ऐसे में किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए,यही लिख रहे हैं हम यहां।
अपने कमज़ोर इम्यून सिस्टम की वजह से डायबिटीज़ के मरीज़ इंफेक्शन की चपेट में बहुत-ही आसानी से आ सकते हैं। इसीलिए, ऐसे लोगों को कोरोना वायरस के माहौल में भी खुद को सुरक्षित रखने के लिए सभी प्रकार की एहतियात बरतनी चाहिए
एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाई ब्लड शुगर वाले लोगों यानि डायबिटीज़ मरीज़ों को कोरोना वायरस का ख़तरा दूसरों से अधिक है। इसी तरह निमोनिया का ख़तरा भी इन लोगों को काफी अधिक है। जैसा कि हाई ब्लड शुगर की वजह से डायबिटिक्स का इम्यून सिस्टम पहले से ही कमज़ोर रहता है। इसीलिए, डायबिटिक्स को कोविड-19 (COVID-19) से बचने के लिए खास सावधानियां बरतनी चाहिए।
Milk and risk of Diabetes: डायबिटीज़ के रिस्क को कम करने के लिए भी दूध को असरदार माना जाता है। हालांकि, डायबिटीज़ में दूध के सेवन को लेकर कोई विशेष स्पष्टिकरण नहीं आया है। इसीलिए, इस विषय में लगातार रिसर्च किया जाता है। इन रिसर्च में कहा गया है कि, दूध पीने से टाइप 2 डायबिटीज़ का ख़तरा कम होता है।
डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए भी सेब बहुत अच्छे साबित हो सकते हैं। दरअसल, सेब में फाइबर का स्तर काफी अधिक होता है। इसीलिए, सेब खाने से पेट जल्दी भरता है और इस तरह कम कैलोरी लेकर भी आप संतुष्ट महसूस होता है। सेब में सोल्यूबल फाइबर और इनसोल्यूबल फाइबर, दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं। जिससे, यह एक हेल्दी और पचने में आसान फल बन जाता है।
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डायबिटीज के कुछ सवाल हर किसी को परेशान करते हैं. टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) में विशेष देखभाल की जरूरत होती है. मधुमेह के प्रकारों में टाइप 1 डायबिटीज का कारण अभी तक पता नहीं चल सका है. आइए जानते हैं टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण और इलाज के कुछ जरूरी सवाल और जवाब..
डायबिटीज से जुड़े मिथक बहुत से हैं. मधुमेह या टाइप 2 डायबिटीज रोगियों के लिए हर किसी के पास टिप्स मिल जाते हैं. डायबिटीज रोगी को कई तरह के मिथक और फैक्ट्स की जानकारी होनी चाहिए.
डायबिटीज में इंसुलिन सेंसिटिविटी कम हो जाती है। जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। यहां पढ़ें कुछ ऐसे तरीके जिनसे इंसुलिन का स्तर नैचुरली बढ़ सकता है। (Tips to boost Insulin Sensitivity)
Food for Diabetics: कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट्स की अधिक मात्रा रोटी को डायबिटिक्स के लिए नुकसानदायक साबित कर सकती है। ऐसे में, रोटी को ज़्यादा हेल्दी बनाने के लिए आप उसमें कुछ डायबिटीक फ्रेंडली फूड मिला सकते हैं। जो, ब्लड शुगर को बढ़ने से रोक सकता है। साथ ही, पेट भरने और शरीर का पोषण करने में भी मदद करता है।
खास टिप्स जो डायबिटीज को रोगियों को खान-पान में अपनाना चाहिए।