हाई बीपी अब एक बहुत सामान्य बीमारी हो गई। सिटिंग जॉब या ओवर बर्डन रहने वाले लोगों में यह बहुत आम बीमारी है। वहीं शुगर या ज्यादा वजन वाले लोगों में भी हाई बीपी होना सामान्य है। इसलिए आपको भी इस बीमारी के बारे में सभी जरूरी बातें जान लेनी चाहिए।
हाई बीपी यानी शिराओं में बहने वाले रक्त का असंतुलन। ब्लड प्रेशर कम और ज्यादा दोनों ही खतरनाक होते हैं। इन दिनों ज्यादातर लोगों को हाईबीपी यानी हाइरपटेंशन की समस्या है। पर वे इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते। इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि कुछ ऐसी जरूरी बातें, जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहे हर व्यक्ति को जानना चाहिए।
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हाई बीपी बहुत ही कॉमन बीमारी है। भारत में करीब तीस प्रतिशत लोगों को यह बीमारी है। इसलिए जरूरी है कि 25 और 30 की उम्र के बाद आप भी अपना बीपी जरूर चैक करवाते रहें। अगर आपके परिवार में किसी को हाई बीपी है, या आप मोटे हैं या आपकी जीवन शैली में श्रम नहीं है, तो आपको यह जरूर चैक करवाना चाहिए।
शराब और सिगरेट की लत भी आपका ब्लड प्रेशर बढ़ा सकती है। महिलाओं में 80 और पुरुषों में 90 सेंटीमीटर से ज्यादा कमर हो तो भी बीपी बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। टेंशन यानी मानसिक तनाव का हाई बीपी से कोई सीधा संबंध नहीं है। तनाव होने पर बीपी असंतुलित हो सकता है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि आपको तनाव नहीं है तो बीपी सामान्य ही होगा।
कुछ लोगों को लगता है कि अगर उन्हें गहरी शारीरिक समस्याएं होंगी, तभी बीपी बड़ा हुआ होगा। वे कहतेह हैं न सिरदर्द, न चक्कर, न छाती में दर्द, और कुछ भी नहीं। पता नहीं बीपी कैसे बढ़ गया। इस तरह की बातें करने वाले लोगों को संदेह से परे जाकर अपने डॉक्टर पर भरोसा करना चाहिए।
आपको हाईबीपी के कारण कोई समस्या नहीं हो रही है, तो इसका अर्थ यह नहीं कि आपको परहेज और दवाओं की जरूरत नहीं है। बीपी की दवाएं नियमित और जीवनभर खाने को आप ऐसे समझें कि आज आप जो दवा ले रहे हैं, वह जीवन बीमा की किस्त चुकाने जैसा है। चुकाने में दिक्कत जरूर होती है, फिर भी हम किस्त चुकाते हैं क्योंकि न जाने कब हमारे ऊपर मुसीबत आ जाए! कुल मिलाकर जान लें कि हाई बीपी की दवाइयां आपको कई मुसीबतों से बचा सकती हैं।
जो नियमित दवाएं नहीं लेते, हाई बीपी के ऐसे मरीजों को पता होना चाहिए कि वे कितना खतरा उठा रहे हैं। बीपी कंट्रोल में नहीं है तो आपको हार्ट अटैक की आशंका दोगुनी, हार्ट फेल्योर की तीन गुनी और किडनी फेल होने की आशंका दोगुनी बढ़ जाती है। इन आपात बीमारियों का कोई बहुत अच्छा इलाज आज भी उपलब्ध नहीं है।
अगर डॉक्टर ने आपको हल्का-सा, बॉर्डर लाइन को छूता हुआ भी हाई बीपी बताया है तो आपको नियमित दवाएं लेकर, नियमित जांच करवाते हुए सुनिश्चित करते रहना चाहिए कि बीपी हमेशा 140/90 के नीचे ही रहे। अगर आपको डायबिटीज़ है तब तो बीपी और भी कम रहना चाहिए।
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दवाएं लगभग जीवनभर चलनी हैं, परंतु उनका डोज़ आवश्कतानुसार बदल सकता है। इसलिए नियमित बीपी जांच जरूरी है। हर बार का डोज़ जांच के बाद तय होगा। जिस भी अंतराल पर डॉक्टर आपको बुलाए, जांच के लिए जाते रहें।
सिगरेट (या तंबाकू) का सेवन एकदम बंद कर दें। दारू बंद कर दें या इतनी कम कर दें जो शराफत या बीपी का तकाज़ा होता है। कई बार हल्का बीपी तो इतने से ही कंट्रोल हो जाता है।
इसके अलावा नियमित व्यायाम करें। नियमित चालीस मिनट घूम लिया करें बस। बैठे न रहें, एक्टिव रहें।
नमक बीपी को बढ़ाता है तो नमक पूरी तरह बंद कर देना चाहिए? कतई नहीं। नमक भी शरीर के लिए जरूरी है। हां, ज्याद न लें। सलाद में न डालें। अचार-चटनी-पापड़ में नमक होता है तो इन्हें कभी-कभार ही खाने के साथ लें।
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