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8 मार्च से सस्‍ती हो जाएंगी कैंसर निदान की ये 42 दवाएं

8 मार्च से सस्‍ती हो जाएंगी कैंसर निदान की ये 42 दवाएं
कैंसर की 42 नॉन-शेड्यूल्ड दवाओं को प्राइस कंट्रोल के तहत लाया गया है जिसके बाद ये दवाएं 85 प्रतिशत तक सस्ती हो जाएंगी। ©Shutterstock.

कैंसर की 42 नॉन-शेड्यूल्ड दवाओं को प्राइस कंट्रोल के तहत लाया गया है जिसके बाद ये दवाएं 85 प्रतिशत तक सस्ती हो जाएंगी।

Written by Yogita Yadav |Published : March 1, 2019 12:47 PM IST

कैंसर की 42 नॉन-शेड्यूल्ड दवाओं को प्राइस कंट्रोल के तहत लाया गया है जिसके बाद ये दवाएं 85 प्रतिशत तक सस्ती हो जाएंगी। MRP पर ट्रेड मार्जिन को 30% तक सीमित करने के लिए कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 42 दवाओं को चुना गया है।

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कैंसर पीड़ित मरीजों के लिए राहत की खबर है। कैंसर की 42 नॉन-शेड्यूल्ड दवाओं को प्राइस कंट्रोल के तहत लाया गया है। सरकार ने इनके लिए ट्रेड मार्जिन 30 पर्सेंट तक सीमित कर दिया है, जिसके बाद ये दवाएं 85 प्रतिशत तक सस्ती हो जाएंगी। डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स ने इसके लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें बताया गया है कि नैशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने जनहित में ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) ऑर्डर, 2013 के पैरा 19 के तहत कैंसर के इलाज में काम आने वाली 42 नॉन-शेड्यूल्ड दवाओं को शामिल किया है।

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सीमित होगा ट्रेड मार्जिन

NPPA के पास मौजूद डेटा के मुताबिक, इन दवाओं के 105 ब्रांड्स का मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) 85 प्रतिशत तक घट जाएगा। अभी कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 57 शेड्यूल्ड दवाएं प्राइस कंट्रोल के तहत हैं। नोटिफिकेशन के अनुसार, अब MRP पर ट्रेड मार्जिन को 30 पर्सेंट तक सीमित करने के लिए कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 42 दवाओं को चुना गया है।

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355 ब्रांड्स कवर होंगे

नोटिफिकेशन में कहा गया है, 'NPPA के पास मौजूदा डेटा के अनुसार, इससे 72 फॉर्म्यूलेशंस और लगभग 355 ब्रांड्स कवर होंगे। इस सूची को अंतिम रूप देने के लिए हॉस्पिटल्स और फार्मा कंपनियों से और डेटा जुटाए जा रहे हैं।' दवा कंपनियों को कीमतों को दोबारा कैलक्युलेट करने और उनकी जानकारी NPPA, राज्यों के ड्रग कंट्रोलर, स्टॉकिस्ट्स और रिटेलर्स को देने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है।

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8 मार्च से लागू होंगी नई कीमतें

नई कीमतें 8 मार्च से लागू होंगी। NPPA अभी नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसिन्स (NLEM) में मौजूद दवाओं की कीमतें तय करती है। अभी तक लगभग 1 हजार दवाओं को प्राइस कंट्रोल के तहत लाया गया है। नॉन-शेड्यूल्ड दवाओं के लिए प्रत्येक वर्ष 10 पर्सेंट तक कीमत बढ़ाने की अनुमति है। इसकी निगरानी NPPA करती है।