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फैटी लिवर की समस्या किसी को भी घेर सकती है। जबकि दो तरह की होती है। पहली नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर यानी एनएएफएलडी और दूसरी अल्कोहलिक फैटी लिवर। नॉन अल्कोहलिक लिवर की बीमारी भी दो तरह की होती हैं। जो नॉर्मल फैटी लिवर और स्टीटोहेपेटाइटिस है। वहीं अगर किसी को स्टीटोहेपेटाइटिस या एनएएसएम हो जाए तो, उसे लिवर में सूजन से लेकर कैंसर और सिरोसिस होने तक का खतरा रहता है। वहीं दूसरी तरफ अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस एक ऐसी स्थिति है, जो अल्कोहल युक्त चीजों के ज्यादा सेवन की वजह से होती है। अल्कोहल लिवर में जहरीले पदार्थों को फैलाने का काम करता है। जिससे शरीर के टिशू को नुकसान पहुंचता है और इस वजह से सूजन हो जाती है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दुनिया की लगभग 25 फीसदी आबादी एनएएफएलडी से प्रभावित है। वहीं भारत में यह करीब 9 से 32 फीसदी तक फैली है। एक्सपर्ट्स इस बात का दावा करते हैं कि, लगभग सभी उम्र के लोग नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की बीमारी से प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन यह आमतौर पर 40 से 50 साल के लोगों को ज्यादा परेशान करती है। जिनमें मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, पीसीओएस, स्लीप एपनिया और मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। इसके अलावा यह पेट में सूजन, स्किन और आंखों में पीलापन और हथेलियों में लालपन की स्थिति पैदा कर सकता है।
डैमेज लिवर या उससे जुड़ी किसी भी तरह की समस्या से निदान के लिए हम किचन में रखीं कुछ खास चीजों की मदद ले सकते हैं। ये चीजें कौन सी हैं, चलिए जान लेते हैं।
किचन में रखी हल्दी का इस्तेमाल अमूमन हर व्यंजन में किया जाता है। आयुर्वेद में भी हल्दी का इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने में किया जाता है। हल्दी में करक्यूमिन की अच्छी मात्रा होती है। जो लिवर को नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की बीमारी से बचाने में मदद करती है।
दालचीनी को अगर हम किचन की रानी कहेंगे तो गलत नहीं होगा। अपनी खुशबू और महक की वजह से ये किसी भी खाने में जान डाल सकती है। दालचीनी में एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण होते हैं। जो लिवर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
विटामिन सी से भरपूर आंवला एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत होता है। आंवले को किसी न किसी रूप में हिस्सा जरूर बनाना चाहिए। यह ना सिर्फ लिवर को किसी भी तरह के नुकसान से बचाता है, बल्कि जहरीले पदार्थों को भी बाहर निकालने में मदद करता है।
सेब का सिरका जिसे एप्पल विनेगर के नाम से भी जाना जाता है। जो हेल्थ के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है। घरेलू उपचार के लिए सेब के सिरके का इस्तेमाल लोगों की पहली पसंद होता है। इससे शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। वहीं लिवर को भी कई तरह की बीमारियों से बचाता है।
ये सभी चीजें आसानी से आपको किचन में मिल सकती हैं। लिवर के बेहतर इलाज के लिए आप इन चीजों को अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। लेकिन ज्यादा समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लेनी भी जरूरी है।
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