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भारत में कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। हर दिन लाखों लोग संक्रमित हो रहे हैं। वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाई तो है मगर वह 100 प्रतिशत कारगर नहीं है। ऐसे में बचाव ही कोरोना वायरस से छुटकारा पाने का एकमात्र विकल्प है। इसके लिए आवश्यक है कि आप फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखें, मास्क का प्रयोग करें और सरकार की गाइडलाइन को फॉलो करें। कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर देश के तमाम ऐसे विशेषज्ञ हैं, जो कोविड का उपचार करने के अपने अनुभव साझा करते रहे हैं। ताकि लोग उससे जागरूक हो सकें।
ऐसे ही दिल्ली के जाने-माने फिजिशियन और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण गुप्ता ने कोरोना महामारी के दौरान बहुत से कोविड पॉजिटिव पेशेंट्स का अपने ओपीडी में इलाज किया। उन्होंने पिछले एक महीने में कोरोना के लगभग एक हजार पेशेंट्स के लक्षणों की जांच की और कुछ तथ्यों का अवलोकन किया उसे हमारे साथ साझा किया है। अपने अनुभवों से बताई गई उनकी ये बातें आपको जाननी चाहिए।
1. अगर किसी व्यक्ति में एक दिन के लिए भी फ्लू के लक्षण दिखाई देते है तो वह कोविड पॉजिटिव हो सकता है उसको तुरंत आइसोलेट करें और आरटीपीसीआर टेस्ट कराने की सलाह दें।
2. पुरुषों में कोविड संक्रमण अधिक पाया गया। पुरुष और महिलाओं का कोविड पॉजिटिव रेट 70:30 है।
3. लगभग 15-20 प्रतिशत लोगों में निमोनिया के लक्षण पहले दिन से चौथे दिन दिखाई देते है जबकि पिछली कोरोना वेव में यह लक्षण छठे से आठवें दिन के बाद दिखते थे।
4. कोरोना की दूसरी वेव 30-50 वर्ष के लोगों को ही अपनी चपेट में ले रही है।
5. पुरूषों में पांचवें दिन से उन्हें बुखार, खांसी, कमज़ोरी और कुछ लोगों को सांस लेने में तकलीफ जैसी शिकायतें सामने आई और छठे से आंठवे दिन में ज़्यादातर पेशेंट्स का सीटी स्कोर 10-15/25 पाया गया।
6. जबकि महिलाओं में हल्का बुखार, शरीर में दर्द, थकान, स्वाद न आना, जी मिचलाना जैसे लक्षण पाए गए (3 दिन की बीमारी के बाद महिलाओं में तेज़ बुखार की समस्या नहीं पाई गई)
7. स्वाद न आने की शिकायत लोगों में 5 दिन से लेकर 12-15 दिन तक रहती है जबकि पहली वेव में सूंघने की शक्ति खत्म होने की शिकायत ज्यादा देखी गई थी।
8. महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में निमोनिया और हाइपोक्सेमिया की शिकायत ज्यादा देखी गई। अगर बुखार 5 दिन से ज़्यादा रहता है तो स्टेरॉइड्स की मदद से आप पेशेंट को हाइपोक्सिया से बचा सकते हैं।
9. लगभग 20 प्रतिशत लोगों पर आरटीपीसीआर टेस्ट फेल साबित हुआ क्योंकि तीसरे दिन टेस्ट करने पर उनकी रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई लेकिन इसके बावजूद भी उनमें कोरोना के लक्षण दिख रहे थे और छठे दिन पर इंफ्लेमेटरी मार्कस और सीटी चेस्ट टेस्ट करने पर उनके शरीर में इंफेक्शन पाया गया।
10. निमोनिया की शुरुआती स्टेज में सही मात्रा में स्टेरॉइड्स का सेवन, किसी भी पेशेंट की जान बचाने में लाभकारी सिद्ध हुआ। हालांकि, आज कल सभी जानते है कि स्टेरॉइड्स जान बचाने में कारगर है लेकिन स्टेरॉइड्स का सेवन डॉक्टर की सलाह अनुसार ही करें।
11. करीब 10 प्रतिशत पेशेंट्स में एपीगैस्ट्रियम में गंभीर दर्द के साथ बुखार की समस्या पाई गई।
12. 60 वर्ष से अधिक आयु के पेशेंट्स ज़्यादा बीमार नहीं थे और इलाज के दौरान उनकी रिकवरी भी अच्छे से हुई और बहुत ही कम पेशेंट्स को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ी।
13. बहुत से पेशेंट्स ऐसे भी थे जिन्हें वैक्सीनेशन सेंटर से कोविड हुआ और या तो वैक्सीन लगवाते समय वह कोविड से पूरी तरह से रिकवर नहीं हुए थे।
14. कोरोना के केसों में वृद्धि का अगला कारण है कि लोग बीमार होने पर डॉक्टर के पास जाने के बजाए घरेलु नुस्खे और अपनी मर्ज़ी से दवाइयों का सेवन कर रहे थे।
15. अगर आरटीपीसीआर टेस्ट को शुरुआत में ही कराया जाए तो रिपोर्ट नेगेटिव आ सकती है, रिपोर्ट नेगेटिव आने पर भी आपको लक्षण महसूस हो रहे है तो आप तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
डॉ. प्रवीण गुप्ता का कहना है कि, लॉकडाउन लगने के बावजूद कोविड के केसों में बहुत तेज़ी से वृद्धि आई क्योंकि लोग यह स्वीकार ही नहीं करना चाहते थे कि उन्हें कोविड हुआ है, बहुत से लोगों ने बहाने बनाए कि उन्होंने कोल्ड ड्रिंक या ठंडे जूस का सेवन कर लिया है जिसकी वजह से उन्हें गले में ख़राश और बुखार हो गया है, इस दौरान वह लोग अपने परिवार में इन्फेक्शन फैला चुके थे। इस ही तरह से लोगों की लापरवाही की वजह से दिन प्रतिदिन केस बढ़ते गए।
ऐसे में डॉ. गुप्ता ने सलाह दी कि किसी भी फ्लू के लक्षणों को नजरअंदाज न करें, लक्षणों का पता चलते ही खुद को जल्द से जल्द आइसोलेट करें और डॉक्टर की सलाह लें, मास्क पहने, शारीरिक दूरी बनाए रखें।