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भारत में लगभग 10 हजार से ज्यादा बच्चों को थैलेसीमिया है। थैलेसीमिया (thalassemia in hindi) एक वंशानुगत बीमारी है जिसमें कि शरीर में खून नहीं बनता या कहिए कि हमारी रक्त कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं या नष्ट हो जाती हैं जिससे खून नहीं बन पाता है। ये असल में क्रोमोजोम में होने वाली खराबी के कारण होता है। जब इसमें एक क्रोमोजोम खराब होता है तो इसे थैलेसीमिया माइनर (thalassemia minor) कहते हैं और जब दोनों क्रोमोजोम खराब हो जाते हैं तो इसे थैलेसीमिया मेजर (thalassemia major) कहते हैं। आमतौर पर ऐसे मरीजों में हीमोग्लोबिन लेवल 9 से 11 के बीच में होता है। लेकिन अगर ये इससे कम होने लगे तो ये चिंता की बात हो सकती है।
इस स्थिति ये बचने के लिए ज्यादातर लोग आयरन से भरपूर फूड्स के सेवन पर खास ध्यान देते हैं ताकि शरीर में खून बने और हीमोग्लोबिन लेवल सही रहे। पर आपको जान कर हैरानी हो सकती है कि थैलेसीमिया मेजर में आयरन से भरपूर फूड्स का सेवन नुकसानदेह भी हो सकता है। जी हां, ये हम नहीं बल्कि डॉ. राहुल भार्गव (Dr Rahul Bhargava), प्रिंसपिल डायरेक्टर,हेमेटोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम का कहना है, जिन्होंने हमें इस बीमारी के बारे में समझाया और थैलेसीमिया में क्या खाना चाहिए (Thalassemia diet in hindi) इस बारे में सही जानकारी दी।
डॉ. राहुल भार्गव (Dr Rahul Bhargava), बताते हैं कि थैलेसीमियामें क्या खाएं और क्या नहीं इसे समझने के लिए पहले आपको इसके प्रकार के बारे में जानना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जहां थैलेसीमिया माइनर (thalassemia minor) में आयरन से भरपूर फूड्स लेना फायदेमंद है वहीं, थैलेसीमिया मेजर (thalassemia major) में इसकी जरूरत नहीं और ये रोगी को नुकसान पहुंचा सकती है। जैसे कि
डॉ. राहुल बताते हैं कि थैलेसीमिया माइनर में व्यक्ति बिलकुल नॉर्मल लाइफ जीता है क्योंकि इसमें सिर्फ एक क्रोमोजोम ही खराब होता है। ऐसे में हीमोग्लोबिन लेवल को 9 से 11 के बीच रखना होता है। हालांकि, अगर 9 से कम है हीमोग्लोबिन लेवल तो ये आयरन की कमी के कारण हो सकता है और ऐसे में हमें आयरन से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए। जैसे कि
-नॉर्मल डाइट लें जैसे कि हरी सब्जियां और ताजे मौसमी फल
-हाई प्रोटीन डाइटलें यानी कि वे चीजें खाएं जिनमें प्रोटीन ज्यादा हो जैसे कि सोया, पनीर, अंडा और दाल।
-इसके अलावा काजू, बादाम, किशमिश और अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट्स और नट्स का सेवन करें जो कि खून बनने में मदद करते हैं।
थैलेसीमिया मेजर (thalassemia major in hindi) में दोनों क्रोमोजोम खराब हो जाते हैं। ये ज्यादातर बच्चों में होता है खास कर कि तब जब माता-पिता दोनों ही थैलेसीमिया माइनर हो, तो बच्चा थैलेसीमिया मेजर का शिकार हो जाता है। इसमें बच्चे में 6 महीने की उम्र से खून लगता है। वो आयरन से भरपूर चीजों को नहीं खा सकता है। दरअसल, खून लेने की वजह से उसमें हमेशा आयरन रहता है और आजीवन उसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है और बाद में ब्रोन मैरो ऑपरेशन की। ऐसे बच्चों में या फिर बड़े होने के बाद भी आयरन से भरपूर फूड्स के सेवन से बचना चाहिए। ऐसे ध्यान रखें कि
-हरी सब्जियां ज्यादा ना खाएं खास कर कि वो जिनमें आयरन की मात्रा ज्यादा हो। जैसे कि साग
-ड्राई फ्रूट्स और नट्स का सेवन भी कम करें।
इसलिए थैलेसीमिया से बचने के लिए हर व्यक्ति को थैलेसीमिया की जांच करवानी चाहिए। खास कर कि शादी के बाद और प्रेग्नेंसी से पहले। ताकि, आपका होने वाला बच्चा आपकी वजह से इस बीमारी का शिकार ना हो जाए।
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