अगर आप सोच रहे हैं कि कोविड बूस्टर शॉट्स लगवाने के बाद आप कोरोनावायरस से सुरक्षित हो जाएंगे तो आपको अपना विचार बदलने की जरूरत है। जी हां, एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि अगर आपको वैक्सीन की दोनों डोज लगी हुई हैं और आपने बूस्टर डोज भी लगवा ली है तब भी आपको ओमिक्रोन वेरिएंट अपना शिकार बना सकता है और संक्रमित कर सकता है। आइए जानते हैं कैसे है ये संभव।
स्टडी में इस बात का जिक्र किया गया है कि अगर आपने वैक्सीन की दोनों डोजलगवा ली हैं और बूस्टर डोज भी ले चुके हैं तो आपके शरीर में एंटीबॉडी लेवल हाई होगा, जो आपको कोरोनावायरस के मूल स्ट्रेन के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेगा लेकिन ये ओमिक्रोन स्ट्रेन को फैलने से रोकने में उस हद तक प्रभावी नहीं है।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन के प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक जोएल ब्लैंकसन का कहना है कि पहले हुए कई शोध ये बताते हैं कि वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडी कोविड के मूल वायरस के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है क्योंकि ये एंटी-बॉडी वायरस के एंगियोटेंसिन को एंजाइम में बदलने से रोकती हैं। इन एंजाइम को ACE2 के रूप में जाना जाता है, जो कि कोशिकाओं की सतह पर पाया जाने वाला एक रिसेप्ट्र है, जो कोविड को शरीर में प्रवेश कराता है।
उन्होंने कहा कि हमारा अध्ययन ये संकेत देता है कि वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडी ACE2 को रोक पाने में कम प्रभावी होती है, जिसकी वजह से ओमिक्रोन स्ट्रेन शरीर में प्रवेश कर जाता है और आप कोविड का शिकार हो जाते हैं।
जर्नल ऑफ क्लीनिकल इंवेस्टिगेशन इंसाइट में 7 अप्रैल को प्रकाशित अध्ययन के लिए टीम ने 18 लोगों के ह्यमरल और सेलयुलर इम्यून रिस्पॉन्स दोनों का विश्लेषण किया। इन सभी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लगी हुई थीं। इनमें से 14 लोगों को फाइजर का बूस्टर डोज लगा हुआ था जबकि एक को माडर्ना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगी हुई थी। वहीं तीन लोगों को mRNA की बूस्टर डोज लगी हुई थी क्योंकि उन्होंने अतीत में जॉन्सन एंड जॉन्सन की वायरल वैक्टर वैक्सीन ली थी।
ब्लैंकसन ने कहा कि जब हमने ACE2 को रोकने वाले कोविड स्पाइक प्रोटीन की रोकथाम के लिए एंटी-बॉडी की जांच की तो पता चला कि अध्ययन में शामिल लोगों के सीरम में कोविड था, जिसके पीछे ओमिक्रोन इंफेक्शन सबसे बड़ी वजह हो सकती है। हां, कोविड के मूल स्ट्रेन को रोकने में ये एंटी-बॉडी बेहद प्रभावी हैं लेकिन जब बात ओमिक्रोन स्ट्रेन की होती है तो ये उस तरीके से काम नहीं करती हैं, जिस तरीके से करना चाहिए।
ACE2 को रोककर रखने वाले स्पाइक प्रोटीन को रोकने वाला एंटी-बॉडी का लेवल वायरस के मूल स्ट्रेन में तो ज्यादा होता है लेकिन ओमिक्रोन के मामले में कम हो जाता है लेकिन संक्रमण का खतरा फिर भी बरकरार रहता है।
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