आज वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे(World Mental Health Day) है। इस वर्ष मेंटल हेल्थ (Mental health) को बेहतर बनाने के साथ ही लोगों को आत्महत्या से रोकना भी थीम में शामिल किया गया है। दुनिया भर में किसी बीमारी के कारण अगर सबसे ज्यादा मानव संसाधन का नुकसान हुआ है तो वह है मेंटल सिकनेस। इसमें तनाव, चिड़चिड़ापन, निराशा, आक्रोश और अवसाद सभी आते हैं। इसे समय रहते कंट्रोल न किया जाए तो इसकी परिणति आत्महत्या जैसी घातक भी हो सकती है। मानसिक समस्याओं से बचने के लिए आप कुछ सिंपल टिप्स फॉलो कर सकते हैं।
एक समय ऐसा था जब मानसिक अवसाद या समस्याओं को पागलपन समझ लिया जाता था। पर वक्त बदलने के साथ ही लोगों की सोच में भी बदलाव आया है। अब मानसिक समस्याओं को वे किसी टैबू की तरह नहीं लेते, बल्कि यह मानते हैं कि यह एक आम स्थिति है जो किसी के भी जीवन में आ सकती है। काम का दबाव, कॅरियर, पढ़ाई, कॉम्पीटिशन, रिलेशनशिप ये ऐसे मसले हैं जिनमें लोग सबसे ज्यादा दबाव महसूस करते हैं।
[caption id="attachment_693261" align="alignnone" width="655"]वैज्ञानिक शोधों पर भरोसा करें दबाव हमें कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है। तब जब यह दबाव अपनी सीमा में रहे। परंतु जब यह सीमा से ज्यादा बढ़ जाता है तब यह तनाव में परिवर्तित होने लगता है और ऐसी स्थिति में हमारी काम करने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है। किसी क्विज में आते हुए जवाब को भी भूल जाना या किसी मेहमान के आने पर चाय में चीनी डालना भूल जाना ये दबाव के छोटे-छोटे उदाहरण हैं। पर प्रमोशन न होने पर सुसाइड के बारे में सोचने लगा तनाव की घातक परिणति है।
डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि आने वाले समय में यानी वर्ष 2030 तक ग्लोबल इकोनॉमी को 3 ट्रिलियन यूएस डॉलर का नुकसान होने वाला है। इसकी वजह है मानसिक बीमारियां। विश्व भर में 264 मिलियन लोग मानसिक समस्याओं का सामना करना रहे हैं। हर 40 सैकिंड में एक व्यक्ति अवसाद के कारण आत्महत्या कर रहा है। इनके खिलाफ अगर तत्काल एक्शन प्लान नहीं बनाया गया तो दुनिया भर को अमूल्य मानव संसाधन का बहुत भारी नुकसान होने वाला है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे अन्य कई सरकारी-गैरसरकारी संगठनों के प्रयास के परिणामस्वरूप विश्व भर में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ी है। कुछ देशों ने भी इसे अपने एक्शन प्लान में शामिल किया है। पर ये प्रयास इतने थोड़े हैं कि समस्या के सामने नाकाफी लगते हैं। दुनिया भर के सिर्फ 38 देशों ने अपनी स्वास्थ्य प्राथमिकताओं को कॉम्प्रेंसिव मेंटल हेल्थ प्लान से जोड़ा है।
[caption id="attachment_693259" align="alignnone" width="655"]संगठनों, सरकारों के साथ ही हर व्यक्ति को भी मानसिक समस्याओं के प्रति जागरुक होना होगा। विश्व की बहुत बड़ी-बड़ी हस्तियां ऐसी हुईं हैं जिन्हें भयंकर मानसिक तनाव और अवसाद का सामना करना पड़ा है। पर वे उससे हारी नहीं। अपनी जीजिविषा से तनाव को हराया और वापस सफलता पाई। हमें भी यह समझना होगा कि हम और तनाव दोनों ही इसी दुनिया के हिस्से हैं। यह इतना सामान्य दबाव है कि किसी की भी जिंदगी में दाखिल हो सकता है। इससे हारने की बजाए इसका मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
सोशल मीडिया के आने के बाद से लोगों में मानसिक तनाव और अवसाद दोनों ही बहुत ज्यादा बढ़ गया है। गैजेट्स में सिर डुबोए रहने वाले लोग अपने आसपास के समाज, समुदाय और जीवन से बिल्कुल कट जाते हैं। जबकि यही असली जीवन है। जहां सब कुछ अच्छा नहीं है, कुछ बहुत अच्छा है तो कुछ कम अच्छा और कुछ खराब भी है। इस असली दुनिया से खुद को कनेक्ट करें और इसके हर शेड को एन्ज्वॉय करें।
आप फूडी हैं या नहीं हैं, यह मायने नहीं रखता। बस जरूरी यह है कि अपने भोजन को अपना तनाव न बनाएं। सादा भोजन सबसे बेहतर माना जाता है और आपकी पसंद का खाना अति उत्तम। यानी जो मिल गया वह बेस्ट है। तरह-तरह के व्यंजन ट्राय करें, पर उसके लिए जान देने को तैयार न हो जाएं। हेल्दी फूड खाएं और उसे बर्न करें। कैलोरी गिनना और कमर को नापते रहना सीरियसली बेवजह का तनाव पालना है।
[caption id="attachment_693257" align="alignnone" width="655"]अधिकांश लोगों की दिनचर्या ऐसी ही होती है, घर से ऑफिस और ऑफिस से घर। जबकि दोनों ही जगह हर दिन आपका मुकाबला ढेर सारी डिमांड्स और अपेक्षाओं से होता है। इनके बीच अपने लिए एक तीसरा झरोखा भी बनाएं, जिसकी ताजी हवा आपको डिमांड्स और अपेक्षाओं के बीच भी तरोताजा बनाए रखे। लिखना, पढ़ना, स्विमिंग, फोटोग्राफी, म्यूजिक आदि के लिए वीकेंड का इंतजार न करें। हर दिन इनके साथ कुछ समय बिताएं, यानी खुद के लिए समय निकालें।
आप जबरन घड़ी देखकर बिस्तर पर लेट गए हैं कि आपको आठ घंटे की नींद लेनी है, क्योंकि सब कहते हैं कि यह जरूरी है। और नींद है कि आ ही नहीं रही। आप लगातार करवट बदल रहे हैं और जब उठने का समय हुआ तो नींद ने ऐसा जकड़ा कि आंख ही नहीं खुली। यानी सब गड़बड़। इस गड़बड़ से बचने के लिए जरूरी है कि अपने शरीर को थकने दें। तभी बिस्तर पर जाएं। घड़ी देकखर नींद न तय करें, शरीर को तय करने दें। कुछ लोगों को नींद पूरी करने के लिए आठ घंटे भी कम पड़ते हैं जबकि कुछ खुद को पांच से छह घंटे सोने के बाद ही फ्रेश फील करने लगते हैं। अपनी बॉडी के सिस्टम को समझें और उसी अनुसार ट्रीट करें।
[caption id="attachment_693256" align="alignnone" width="655"]क्या आपको ऐसा लगता है कि दोस्तों के साथ चैट करने में, फोन करने में, आउटडोर पार्टी में आपका बहुत समय बर्बाद होता है। तो आप बिल्कुल गलत सोच रहे हैं। अगर दोस्त ये समय न लें, तो डॉक्टर लेने लग जाएंगे। ये सच है, जो लोग अपने जीवन में बिल्कुल अकेले होते हैं और खुद को सिर्फ काम में झोंके रखते हैं वे जल्दी मानसिक अवसाद और तनाव के शिकार होते हैं। इससे बचने के लिए दोस्त बनाते रहें। उनके साथ तफरी करें, गपशप करें और खूब हंसें।
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