स्पिरुलिना (Spirulina in hindi) एक नीली-हरी शैवाल एल्गी (algae) है। यह एल्गी इंसानों में किसी भी महत्वपूर्ण दुष्प्रभाव के बिना प्रोटीन और विटामिन पूरक के स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है। स्पिरुलिना नम जमीन, अलवणीय और लवणीय जल (Alloyable and saline water), वृक्षों की छाल, नम दीवारों पर हरी, भूरी या कुछ काली परतों के रूप में मिलते हैं। यह बड़े आउटडोर क्षारीय झीलों में उगता है। दुनिया भर में इसे सिर्फ भारत, ग्रीस, जापान, अमेरिका और स्पेन आदि में ही उगाया जाता है। स्पाइरुलिना में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है लगभग 70 प्रतिशत, साथ ही इसमें विटामिन बी 12, प्रोविटामिन ए, खनिज, लौह तत्व भी पाए जाते हैं। यह एल्गी कई रोगों के लक्षणों में सुधार करती है। इसमें एंटीएलर्जिक, एंटीकैंसर, एंटीवायरल, एंटीट्यूमर, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडाइबेटिक और जीवाणुरोधी आदि प्रभाव हैं। जानें, स्पिरुलिना के फायदों (Health benefits of spirulina) के बारे में यहां...
स्पाइरुलिना में फाइकोसायनिन नामक एंटीआक्सीडेंट मौजूद होता है। फाइकोसायनिन स्पाइरुलिना को ब्लू-ग्रीन रंग प्रदान करता है। यही नहीं फाइकोसायनिन हमारे शरीर में मौजूद रैडिकल्स के साथ लड़ता है साथ ही हमारे शरीर में हुए नुकसान की भरपाई भी करता है।
कुछ अध्ययनों के मुताबिक स्पाइरुलिना में एंटी कैंसर तत्व भी पाए गए हैं, विशेषकर ओरल कैंसर। तमाम प्रयोग इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि स्पाइरुलिना के सेवन से ओरल सब म्यूकस फाइब्रोसिस से निपटने में भी सहायता मिलती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, स्पाइरुलिना में हृदय सम्बंधी बीमारी में भी कमी आती है। इतना ही नहीं इसके सेवन से खराब कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है, साथ ही ट्राइग्लीसराइड्स को भी नियंत्रण में रखा जा सकता है। यही कारण है कि स्पाइरुलिना के सेवन से हृदय संबंधी समस्या में गिरावट आती है।
तमाम अध्ययनों के मुताबिक, ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए स्पिरुलिना बेहतरीन खाद्य पदार्थ है। टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों पर हुए अध्ययनों से इस बात की पुष्टि हुई है कि स्पिरुलिना शुगर स्तर को कम करने में सहायक है। इसके सेवन से रक्त चाप और एनीमिया को भी दूर किया जा सकता है।
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