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कोविड की वजह से शरीर में कई तरह की दिक्कतें होती हैं, जिसमें आपके बिहेवियर से लेकर आपके काम करने की क्षमता तक प्रभावित होती है। हाल ही में हुई एक स्टडी में ये सामने आया है कि वे लोग, जिन्हें लॉन्ग कोविड हुआ और गंध न आने का लक्षण महसूस हुआ उनके दिमाग के कुछ हिस्सों में अलग-अलग गतिविधियों के पैटर्न दिखाई दिए। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के एक शोध में लॉन्ग कोविड के शिकार लोग, जिन्हें गंध महसूस नहीं होती थी उनके दिमाग की गतिधियों को जांचने के लिए एमआरआई स्कैन का यूज किया गया।
ये जांच उन लोगों में भी की गई जिन्हें कोविड इंफेक्शन के बाद गंध महसूस होने लगी थी और ऐसे लोगों में भी जिनका कोविड टेस्ट कभी भी पॉजिटिव नहीं आया था।
ईक्लीनिकल मेडिसिन में प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि लॉन्ग कोविड के शिकार लोगों में दिमागी गतिविधियां कम पाई गई हैं और दिमाग के दो हिस्सों के बीच कम्युनिकेशन गैप में अंतर पाया गया है, जो गंध और सूचना जैसी जरूरी चीजों का काम करते हैं। ये दो हिस्से हैंः
1-ऑर्बिटोफ्रंटल कोर्टेक्स
2-प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स
हालांकि ये कनेक्शन उन लोगों में इतना अंतर नहीं पाया गया, जिन लोगों की कोविड के बाद गंध महसूस होने की क्षमता वापस आ गई थी।
अध्ययन में ये पाया गया है कि गंध महसूस होना, जिसे मेडिकल की भाषा में एनोस्मिया कहते हैं लॉन्ग कोविड से होने वाली परेशानी है, जो कि हमारे दिमाग में होने वाले बदलाव से जुड़ा हुआ है और ये सही तरीके से गंध महसूस होने की प्रक्रिया को रोकता है।
चूंकि ये अपने आप ठीक होने वाली एक स्थिति है इसलिए कुछ लोगों में ये देखा गया है कि ऐसा हो सकता है कि लोगों में गंध महसूस होने वाली शक्ति वापस से लौट आए, जो कि लॉन्ग कोविड का एक साइड इफेक्ट है।
यूसीएल डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर और स्टडी के मुख्य लेखक डॉ. जेड विंग्रोव का कहना है कि ज्यादा दिनों तक गंध महसूस न होना एक तरह का लॉन्ग कोविड है, जो लोगों की जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि हमारे अध्ययन में ये संकेत दिया गया है कि ज्यादातर लोगों की गंध महसूस होने की क्षमता वापस आ गई और उनकी दिमाग गतिविधियों में कोई स्थायी बदलाव नहीं देखा गया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि स्टडी में ये भी पाया गया है कि लॉन्ग कोविड के शिकार लोग, जिन्हें गंध महसूस नहीं हुआ उनके दिमाग के दूसरे संवेदनशील हिस्सों के साथ कनेक्शन को बूस्ट करने वाली क्षमता कम हो गई थी। इतना ही नहीं मस्तिष्क के गंध महसूस करने वाले हिस्से और देखने वाले हिस्से (विजुअल कोर्टेक्स) के बीच गतिविधियां बढ़ी हुई पाई गई।
डॉ. विंग्रोव का कहना है कि ये हमें बताता है कि न्यूरोन, जो कि गंध की प्रक्रिया को बढ़ाते हैं वो अभी भी मौजूद होते हैं लेकिन बस अलग तरीके से काम करना शुरू कर देते हैं।
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