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Astrophobia : बादल को गजरते देखकर अधिकतर लोगों को बहुत ही खुशी होती हैं, लेकिन कभी-कभी बादल गरजने से इंसान के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। जी हां, आपको ये लाइन पढ़कर थोड़ा आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन यह सच है। दुनियाभर में 10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे (World Mental Health Day) मनाया जाता है। ऐसे में हम आपको इस मौके पर एक अजीबों-गरीब मानसिक समस्या के बारे में बताएं, जो बड़ों से अधिक बच्चों को होती है। कुछ बच्चों को आकाशीय बिजली और बादल के अधिक कड़कने की वजह से एस्ट्राफोबिया (Monsoon and Astrophobia) बीमारी का खतरा होता है। यह एक बहुत ही अजीब समस्या है। आइए जानते हैं क्या है एस्ट्रोफोबिया (Astrophobia)-
एस्ट्रोफोबिया (Astrophobia) एक मानसिक बीमारी है, जिसमें बच्चों को बादल, आकाशीय बिजली की चमक, आंधी तूफान, सितारों और अन्य खगोलीय पिंडों से अत्यधिक डर लगता है। इसके कारण बच्चों के मानसिक स्वभाव में काफी परिवर्तन आता है। इसके कारण बच्चे काफी अजीब हरकतें करने लगते हैं।
एस्ट्रोफोबिया से पीड़ित बच्चों में दो तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। एक है शारीरिक और दूसरा संज्ञानात्मक।
मानसून में अगर बच्चों की इन समस्याओं का सही समय पर इलाज नहीं कराया गया, तो इससे बच्चों में डिप्रेशन की समस्या बढ़ जाती है। मानसून सीजन में अधिक समय तक मौसम खराब होने के कारण बच्चों की शारीरिक और मानसिक स्थिति काफी खराब हो जाती है।
ऐस्ट्राफोबिया का इलाज मनोवैज्ञानिक कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी के जरिए करते हैं। इस स्थिति में मनोवैज्ञानिक desensitization में मरीजों को काल्पनिक तरीके से फोबिया से संबंधित स्थितियों की एक श्रृंखला से अवगत कराते हैं। जो धीरे-धीरे रोगी के भय को कम करता है। इसके साथ ही चिंता के स्तर को कम करने के लिए विश्राम टेक्नीक लागू की जाती है।
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इसके अलावा व्यापक रूप से इलाज के लिए लाइव एक्सपोडजर किया जाता है, जिससे मरीज के सीधे और धीरे-धीरे डर की स्थिति में सामने आता है। हालांकि, इन तकनीकों को हमेशा एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर की देखरेख और मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए।
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इसके अलावा इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को कभी भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
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