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क्या आपको चिकनगुनिया बुखार और डेंगू बुखार के बीच अंतर पता है? क्या आप चिकनगुनिया के लक्षण जानते हैं? आपको बता दें कि अगर लक्षण मलेरिया या डेंगू के नहीं हैं, तो चिकनगुनिया के हो सकते हैं। मुंबई स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में कंसल्टेंट फिजिशियन डॉक्टर प्रदीप शाहआपको बता रहे हैं कि चिकनगुनिया किस तरह डेंगू से अलग है।
डॉक्टर के अनुसार, चिकनगुनिया मच्छर की उसी प्रजाति के कारण होता है जिससे डेंगू होता है। चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षण भी लगभग एक जैसे होते हैं। चिकनगुनिया में तेज बुखार, शरीर में दर्द विशेषकर मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है। ऐसा दर्द गठिया के रोगियों में देखा जाता है। रोगी को जोड़ों के दर्द के साथ-साथ जोड़ों में अकड़न भी महसूस हो सकती है, जोकि पेनकिलर लेने के बाद भी ठीक नहीं होती है। कई मामलों में जोड़ों के दर्द और अकड़न के कारण रोगी स्थिर हो सकता है। चिकनगुनिया एक महामारी की बीमारी है, जिसका अर्थ है कि यह एक बड़ी आबादी को प्रभावित कर सकती है। अगर संक्रमित मच्छर किसी एक व्यक्ति को काट ले, तो पूरे समुदाय को बीमारी का खतरा हो सकता है। इसलिए निवारण हमेशा इलाज से बेहतर है।
इन दोनों रोगों के अलग होने की पहचान लक्षणों की अवधि के आधार पर भी की जा सकती है। डेंगू के विपरीत चिकनगुनिया में जोड़ों का दर्द तीन महीने तक हो सकता है और अगर हालत ज्यादा गंभीर है, तो छह महीने तक हो सकता है। कई मामलों में रोगी को एक साल तक जोड़ों में दर्द हो सकता है। उदहारण के लिए चिकनगुनिया के 100 मामलों में 90 फीसदी तीन से चार महीनों में ठीक हो जाते हैं जबकि 10 फीसदी लोगों को छह महीनों तक कई जोड़ों में दर्द का अनुभव रहता है।
चिकनगुनिया और डेंगू वायरस के कारण होता है मलेरिया परजीवी संक्रमण (parasitic infection)। मलेरिया के मामले में यह लीवर और रेड ब्लड सेल्स पर भी हमला कर सकता है। हालांकि चिकनगुनिया और डेंगू के मामले में वायरस एन्डोथीलीअल सेल्स (endothelial cells) को प्रभावित करता है। इसका मतलब यह हुआ कि चिकनगुनिया के मामले में साइनोविअल मेम्ब्रेन (synovial membrane) यानि जोड़ों में मौजूद झिल्ली प्रभावित होती है।
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अनुवादक – Usman Khan
चित्र स्रोत - Shutterstock