इनफर्टिलिटी (infertility) की समस्या काफी हद तक हमारे लाइफस्टाइल के कारण होती हैं। स्ट्रेस, प्राइवेट पार्ट में संक्रमण होना, खाने में जरूरी विटामिंस और पोषण की कमी, नींद की कमी, प्रदूषण और मोबाइल रेडिएशन ऐसी चीजें हैं जो महिला या पुरुष दोनों में से किसी को भी इनफर्टिलिटी का शिकार बना सकती है। हालांकि माता-पिता न बन पाने के पीछे और भी कई कारण जिम्मेदार होते हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि भारत में इनफर्टिलिटी की समस्या इतनी बढ़ गई है कि हर 6 में से 1 कपल इनफर्टिलिटी का इलाज ढूंढ रहा है। ऐसे में IVF, IUI और Test tube baby जैसे विकल्प लोगों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। कोरोना ने इस समस्या में आग में घी डालने का काम किया है। कोरोना संक्रमण के चलते लोगों को पिछले 1 साल से बहुत सावधानी से चलना पड़ रहा है। ऐसे में यदि आप कोरोना काल में IVF कराने की सोच रहे हैं (IVF Treatment During COVID-19) तो उससे पहले इसके Dos And Don’ts को जरूर पढ़ लें। ताकि आप न ही संक्रमण के शिकार हों और न ही किसी तरह का साइड इफेक्ट हो।
क्योंकि अब कोरोना संक्रमण के खिलाफ वैक्सीन लॉन्च हो चुकी है इसलिए इसके खतरे को कुछ कम माना जा सकता है। लेकिन वैक्सीन प्रोटोकॉल के अनुसार गर्भवती, गर्भधारण करने के बारे में सोचने वाली या हाल ही में बच्चे को जन्म देने वाली महिला कोरोना वैक्सीन नहीं ले सकती है। इसके अलावा जिन महिलाओं ने हाल ही में IVF या IUI कराया हो वो भी कोरोना वैक्सीन लेने योग्य नहीं है। अब सवाल ये है कि क्या कोरोनावायरस के इस दौर में IVF कराना सुरक्षित है? क्या इस दौरान IVF कराने से मां या बेबी को नुकसान हो सकता है? अगर किसी को IVF कराना ही है तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? अगर आप भी इन सभी सवालों का जवाब जानना चाहते हैं तो आइए जानते हैं कोरोना में IVF कराने के लिए Dos And Don’ts.
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जो भी लोग IVF कराने के लिए योग्य होते हैं उन्हें कोविड का खतरा काफी कम है। इसलिए यदि कोई आईवीएफ कराना चाहता है तो उसे करा लेना चाहिए, सिर्फ कोविड-19 की वजह से रुकना कोई समझदारी नहीं है। यदि फिर भी किसी व्यक्ति को डर लगे तो वो टेलीकन्सलटेशन कर या डॉक्टर को घर बुलाकर इस बारे में बात कर सकता है। इससे ये होगा कि एक तो मरीज के आईवीएफ से संबंधित डाउट दूर हो जाएंगे और दूसरा ये कि कोरोना से सुरक्षा भी हो जाएगी। ऐसी स्थिति में डॉक्टर पुरुषों को लैब भेजते हैं जहां उनका सीमन टेस्ट होता है और महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया जाता है।
1. 3 से 6 फीट की सोशल डिस्टेंसिंग रखें
2. जब भी पब्लिक प्लेस में जाएं या किसी व्यक्ति से मिलें तो मास्क पहनें
3. बीच बीच में हाथ धोते रहें और सेनिटाइजर का यूज करें
4. अपने आसपास सफाई रखें
5. बाहर से घर में आने के बाद नहाएं या हाथ-पैर धो कर कपड़े बदलें
6. अपने मुंह, नाक और आंखों पर बार बार हाथ न लगाएं। जब भी ऐसा करें तो उससे पहले सेनिटाइजर का प्रयोग करें।
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