पुरुषों को चक्कर आना और मल में खून हैं इस बवासीर के हैं लक्षण, जानें इस बीमारी को रोकने का उपाय
बवासीर दो प्रकार की होती है। अंदरूनी पाइल्स (Internal Piles) और बाहरी बवासीर (External Piles)। इन दोनों के लक्षण शरीर में अलग-अलग होते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
Written by Rashmi Upadhyay|Updated : June 24, 2022 5:17 PM IST
बवासीर (Piles) या पाइल्स (Haemorrhoids) एक लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी है। यदि किसी व्यक्ति का खानपान सही नहीं है, एक्सरसाइज या शारीरिक गतिविधि का अभाव है और जीवन में तनाव का स्तर ज्यादा है तो उस व्यक्ति को बवासीर होने की संभावना ज्यादा रहती है। हालांकि यह रोग जेनेटिक भी होता है। इस रोग में गुदा के आसपास सूजन आना, दर्द होना और मल त्यागने में दर्द व खून आना जैसे लक्षण दिखते हैं। बवासीर दो प्रकार की होती है। अंदरूनी पाइल्स (Internal Piles) और बाहरी बवासीर (External Piles). अंदरूनी पाइल्स ज्यादा खतरनाक नहीं होती है। इसमें मरीज को कभी-कभी ब्लीडिंग हो सकती है लेकिन दर्द बहुत कम होता है। जबकि बाहरी बवासीर में दर्द और खुजली के साथ मल निकलता है। इस दौरान एनस में दरार पड़ना और खून भी निकल सकता है।
बवासीर को कम करने के लिए कब्ज को कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। कब्ज़ की परेशानी को दूर करने के लिए फाइबर रीच फूड खाने की ज़रूरत होती है। स्टडी के अनुसार जो लोग बवासीर से परेशान रहते हैं उन्हें अपनी रोज की डायट में कम से कम 30-35 ग्राम फाइबर ज़रूर लेना चाहिए। बीन्स, फ़्रूट, वेजटबल और होल ग्रेन फाइबर के उच्च स्त्रोत हैं। इसके साथ ही बवासीर के मरीज़ को अपनी डायट में सूखा अंजीर, आलूबुखारा, ब्लैकबेरी, रस्पबेरी, नाशपाती, किडनी और पिन्टो बीन्स, लेन्टीन्स और ब्राउन राइस आदि को शामिल करना चाहिए ताकि बॉवेल मूवमेंट बेटर हो सके। ये सारे फूड्स मल को नरम करने में मदद करते हैं। अध्ययन के अनुसार ईसबगुल से भी नेचुरल तरीके से कब्ज़ को रोका जा सकता है।
बवासीर को रोकने के तरीके-Prevention Tips
बवासीर के रोगी को मिर्च मसाला वाला खाना खाने से परहेज करना चाहिए। मिर्च का सेवन मरीज के दर्द और जलन की समस्या को बढ़ा सकता है।
बवासीर होने पर बाहर का खाना खाने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि बाहर के खाने में नमक, मिर्च और साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता है।
राजमा-चावल या दाल-चावल खाते हैं, तो पाइल्स होने पर इनसे तौबा कर लेना ही बेहतर है। ऐसा इसलिए, क्योंकि राजमा और मसूर जैसी बीन्स और दालों का सेवन पाइल्स के रोगियों के लिए बेहद नुकसानदायक होता है।
सोने से पहले गुनगुने गर्म पानी में भुना हुआ जीरा मिलाकर काढ़े की तरह बना लें और इसका सेवन करें। इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में होता है जो मल को नरम करने में मदद करता है और पेट साफ होता है।
सुपारी, गुटखा, पान मसाला, सिगरेट आदि का सेवन आपकी तकलीफ को बढ़ा सकता है। हर तरह की सुपारी युक्त चीजें खाने से बचें।
बवासीर के दर्द से ऐसे पाएं राहत
नियमित रुप से ठंडे एलोवेरा के गूदे को एनस पर रगड़ने से इंटरनल और एक्सटरनल दोनों प्रकार के पाइल्स में आराम हो जाता है।
बादाम का तेल ठंडक पहुंचाने और सूजन को कम करने वाले गुणों के लिए जाना जाता है। ये एक्सटरनल पाइल्स के इलाज के लिए ज्यादा कारगर है। रुई को बादाम के तेल में भिगोकर एनस पर लगाने से पाइल्स के कारण होने वाली खुजली, दर्द और सूजन में आराम मिलता है।
नींबू के रस में विभिन्न पोषक तत्व होते हैं जो केपिलरीज और ब्लड वेसल्स को मजबूत बनाते हैं जिससे बवासीर में राहत मिल सकती है। रुई को नींबू के ताजे रस में भिगोकर पाइल्स पर लगाएं। शुरू में वहाँ कुछ हल्की झुनझुनी या जलन होगी लेकिन जल्द दर्द से निजात मिलेगा।
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