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इस उम्र में दूसरे लोगों की तुलना में 7 गुना तक ज्यादा बनती हैं एंटी-बॉडीज, क्या आपकी भी उम्र है इसमें शामिल

इस उम्र में दूसरे लोगों की तुलना में 7 गुना तक ज्यादा बनती हैं एंटी-बॉडीज, क्या आपकी भी उम्र है इसमें शामिल
इस उम्र में दूसरे लोगों की तुलना में 7 गुना तक ज्यादा बनती हैं एंटी-बॉडीज, क्या आपकी भी उम्र है इसमें शामिल

यह कहना काफी मुश्किल है कि टीका लगवाने के बाद किसके शरीर में ज्यादा एंटीबॉडीज बनेगी या किन लोगों के संक्रमित होने का खतरा कम होगा। जानिए कौन सा है ये एज ग्रुप।

Written by Jitendra Gupta |Updated : July 27, 2021 12:25 AM IST

कोरोनोवायरस के नए-नए वेरिएंट के सामने आने से वायरस को रोकने के लिए लगाए जा रहे टीकों की प्रभावकारिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे बहुत से मामले सामने आए हैं जहां कोविड वैक्सीन की दोनों डोज लगवााने के बावजूद भी COVID के डेल्टा और लैम्ब्डा वेरिएंट पॉजिटिव पाए गए हैं। हालांकि सच्चाई ये है कि वैक्सीन कभी भी आपको वायरस से पूर्ण सुरक्षा नहीं देती है। हां, वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी बनाने का काम जरूर करती हैं, जो शरीर को वायरस के संपर्क में आने के बाद आपकी रक्षा जरूर करती है।

कुछ टीके वेरिएंट पर प्रभावी होते हैं, जबकि अन्य टीके अधिक सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं। यह कहना काफी मुश्किल है कि टीका लगवाने के बाद किसके शरीर में ज्यादा एंटीबॉडीज बनेगी या किन लोगों के संक्रमित होने का खतरा कम होगा। एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि वैक्सीन भी एक उम्र के लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज बनाने का काम करती हैं। आइए जानते हैं वो कौन सा एज ग्रुप है।

किसके शरीर में बनती है ज्यादा एंटीबॉडी?

अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कम उम्र के लोगों में बुजुर्गों की तुलना में अधिक एंटीबॉडी का निर्माण होता है। ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी (OHSU) ने एक शोध किया, जिसमें करीब 50 लोग शामिल हुए थे। इन्होंने दो सप्ताह पहले ही फाइजर वैक्सीन की दूसरी खुराक ली थी। बता दें कि इन लोगों को उम्र के अनुसार विभाजित किया गया था। जिसके बाद इन्हें कोरोनावायरस और वैक्सीन के बाद पनपी एंटीबॉडी की जांच के लिए ब्लड सीरम का टेस्ट किया गया।

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क्या अध्ययन से सामने?

अध्ययन के निष्कर्षों से ये पता चला कि जिनकी उम्र 20 साल या उससे अधिक थी उनमें 70 से ऊपर के लोगों की तुलना में सात गुना तक अधिक एंटीबॉडी बनी थीं। अध्ययन से एकत्र किए गए आंकड़ों से ये पता चला कि युवा की तुलना में बुजुर्ग में कम एंटीबॉडी का निर्माण होता है।

किन लोगों को ज्यादा चिंता?

अध्ययन के सह-लेखक ने इस बात का जिक्र किया है कि बुजुर्गों में एंटीबॉडी रिस्पॉन्सका स्तर कम होता है, लेकिन वैक्सीनेशन कराना भी जरूरी है। वैक्सीनेशन, सुरक्षित रहने और वायरस के खिलाफ होने वाली परेशानियों के जोखिम को कम करने का एकमात्र तरीका है। संक्रमण से बचने के लिए बुजुर्ग वैक्सीनेशन ले सकते हैं, जिससे मजबूत एंटीबॉडी रिसपॉन्स पैदा होता है। किसी भी मामले में COVID की गंभीर जटिलताओं से बचाव के लिए वैक्सीन लेना ही एकमात्र तरीका है। बुजुर्गों के लिए टीकाकरण बहुत ही जरूरी है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है और उन्हें अधिक सुरक्षा की आवश्यकता होती है।