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Home / Hindi / Diseases & Conditions / भारत में बच्चों में बढ़ रही है मिर्गी की समस्या, कारण जानकर सही उपचार से ठीक हो सकती है समस्या

भारत में बच्चों में बढ़ रही है मिर्गी की समस्या, कारण जानकर सही उपचार से ठीक हो सकती है समस्या

भारत में मिर्गी के इलाज के अंतर की मात्रा शहरी, मध्यम-आय वाले लोगों में 22 प्रतिशत से लेकर गांवों में 90 प्रतिशत तक है।

By: Anshumala   | | Published: January 22, 2019 6:56 pm
Tags: Epilepsy cure  Epilepsy disease  
Pediatric epilepsy cases in india
भारत में बढ़ते मिर्गी के मामले और कारण। © Shutterstock.

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मिर्गी की पुष्टि करना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह न केवल अनावश्यक उपचार और हस्तक्षेप को रोकता है, बल्कि रोगी और परिवार की चिंता को भी कम करता है। मानसिक मंदता, व्यवहार और सीखने की समस्याओं वाले बच्चों में मिर्गी की बीमारी आम है। वेस्ट सिंड्रोम और एलर्जी सिंड्रोम जैसी कुछ मिर्गी रोगी भी विकलांग की श्रेणी से जुड़ी हो सकती है। मिर्गी का सही निदान और इसके उपचार के साथ-साथ उचित दवा का उपयोग इसके उपचार में सबसे महत्वपूर्ण है। आमतौर पर मिर्गी का उपचार माता-पिता या दोस्तों आदि द्वारा दिए गए विवरणों पर ही आधारित होता है। Also Read - पेट के बल सोना, इस एक बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों के लिए हो सकता है खतरनाक

मिर्गी का उपचार

मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (साकेत) के न्यूरोलॉजी विभाग और प्रमुख व्यापक मिर्गी सेवा के वरिष्ठ निदेशक डॉ. विनोद पुरी के अनुसार, ”ईईजी उपचार कई रोगियों में पूरक है, विशेष रूप से एक्यूट मिर्गी के साथ। मिर्गी के प्रकार के दस्तावेज के लिए वीडियो ईईजी की आवश्यकता होती है। गलत डायग्नोसिस से सही उपचार संभव नहीं, लेकिन उचित उपचार करने से सफलता जरूर मिलती है।”

ये हैं वे डायबिटीज से जुड़े मिथ, जिन्हें अक्सर लोग सच मान लेते हैं

मिर्गी मस्तिष्क में असामान्य रूप से अत्यधिक या अंशकालिक न्यूरोनल गतिविधि के कारण उत्पन्न होती है। वैसे, संकेतों और लक्षणों की एक क्षणिक घटना भी इसमें समाहित होती है। बच्चों को अजीबो-गरीब दौरे, कुछ अलग-अलग तरह के दौरे, वेस्ट सिंड्रोम, एलजी सिंड्रोम आदि के कारण पड़ते हैं। फैब्राइल सीजर्स बुखार के साथ होता है और 6 महीने से लेकर 5 साल की उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। बता दें कि यह बुखार तीव्र दिमागी संक्रमण के कारण नहीं होता। यह केवल 3 से 5 प्रतिशत बच्चों में ही होता है। वैसे, यह जानना भी जरूरी है कि एक तिहाई बच्चों में फैब्राइल सीजर्स की पुनरावृत्ति किसी न किसी रूप में होती है।

भारत में मिर्गी प्रबंधन से जुड़ी चुनौती

एक सच यह भी है कि भारत में मिर्गी प्रबंधन से जुड़ी एक और चुनौती यह है कि मिर्गी से पीड़ित लगभग तीन चैथाई लोगों को उस अनुपात में उपचार नहीं मिल पाता है, जिसकी उन्हें जरूरत होती है। इसे “ट्रीटमेंट गैप“ कहा जाता है। यह बीमारी मिर्गी-रोधी दवाओं, गरीबी, सांस्कृतिक मान्यताओं, कलंक, खराब स्वास्थ्य वितरण बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध संसाधनों के असमान वितरण और उपचार की उच्च लागत के लिए उपयोग या ज्ञान की कमी के कारण भी हो सकता है।

इलाज में फर्क और मिर्गी के केसेज

डॉ. विनोद पुरी का कहना है कि भारत में मिर्गी के इलाज के अंतर की मात्रा शहरी, मध्यम-आय वाले लोगों में 22 प्रतिशत से लेकर गांवों में 90 प्रतिशत तक है। दुनिया भर में यह अनुमान लगाया जाता है कि 15 वर्ष से कम उम्र के 10.5 मिलियन बच्चों को सक्रिय मिर्गी है, जो वैश्विक स्तर पर मिर्गी की आबादी का लगभग 25 प्रतिशत है। 3.5 मिलियन लोग, जो मिर्गी का सालाना विकास करते हैं, उनमें से 40 प्रतिशत 15 साल से छोटे हैं और 80 प्रतिशत से अधिक विकासशील देशों में रहते हैं। मिर्गी से पीड़ित लगभग 10 मिलियन लोगों का घर भारत है। हाल ही में प्रकाशित और अप्रकाशित अध्ययनों का एक विश्लेषण भारत में मिर्गी की व्यापक प्रसार दर प्रति 1,000 जनसंख्या 5.59 पर रखता है।

बच्चों में सही निदान करना बेहद जरूरी

शहरी आबादी में 0.6 प्रतिशत की तुलना में ग्रामीण आबादी में प्रसार 1.9 प्रतिशत पाया गया है। हालांकि, भारत से बहुत कम घटनाएं रिपोर्ट में आती हैं। माता-पिता के स्वास्थ्य, शैक्षिक, सामाजिक पहलुओं पर इसके प्रभाव के कारण बच्चों में मिर्गी का सही निदान करना अधिक जरूरी है। इसके अलावा, इसके सूक्ष्म अभिव्यक्तियों के कारण वयस्कों की तुलना में नवजात शिशुओं और बच्चों में गलत उपचार भी आम बात है। मिर्गी से लड़ने के लिए मैक्स हेल्थकेयर पर 24*7 हाइली क्वालिफाई डॉक्टर्स की एक टीम गठित की गई है। यह टीम ऐसे बच्चों का अच्छी तरह से देखभाल करती है। एक प्रारंभिक उपचार आपको और आपके बच्चों को मिर्गी की गंभीर जटिलताओं से बचा सकता है।

स्रोत: प्रेस रिलीज

Published : January 22, 2019 6:56 pm
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