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बच्चों में किडनी से जुड़ी बीमारियां अब असाधारण बात नहीं रहीं। दिल, फेफड़े और लीवर की बीमारियों के विपरीत, किडनी से जुड़ी समस्याओं के लक्षण तब तक दिखायी नहीं पड़ते जब तक कि यह अंगों का काम करना 80% तक बंद न हो जाए और इसलिए इनकी जांच भी काफी देर से होती है। ऐसे में अभिभावको के लिए यह बहुत ज़रूरी हो जाता है कि गंभीर स्थिति से बचने के लिए इन समस्याओं के शुरुआती लक्षणों की ओर ध्यान दें। के.जे. सोमैया मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में प्रोफेसर और प्रमुख प्रभारी, बाल चिकित्सा नेफ्रोलोजी प्रभाग, बाल रोग और न्यूनैटॉलॉजी विभाग, डॉ. वर्षा फडके बता रही हैं किडनी से जुड़ी बच्चों की आम बीमारियों के बारे में ताकि अभिभावकों को इन बीमारियों के प्रति जागरुक बनाया जा सके।
किडनी की बीमारियों के लक्षण
किडनी की बीमारियों के प्रकार
जांच और निदान
इलाज़
हर व्यक्ति की किडनी की बीमारियों का इलाज अलग-अलग तरीके से किया जाता है। जैसे यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन में 10-14 दिनों तक एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं। नेफ्रॉटिक सिंड्रोम में प्रीडिनीसोलोन या स्टेरॉइड दिए जाते हैं। तो वहीं कुछ विकृतियों के लिए सर्ज़री करानी पड़ती है।
जब वयस्कों की किडनी फेल हो जाती है तो डायलिसिस किया जाता है और कई बार किडनी ट्रांसप्लांटेशन ही आखिरी इलाज़ बचता है। इसी तरह के इलाज बच्चों के लिए भी उपलब्ध हैं।
डायलिसिस के 2 प्रकार हैं, पेरिटोनियल डायलिसिस(Peritoneal dialysis) जिसकी सलाह बच्चों के लिए दी जाती है और हेमोडायलिसिस (hemodialysis) जिसे किडनी फेलियर, यूरिया, क्रिएटिनिन, पोटैशियम, फोस्फिरस और शरीर में बहुत आधिक पानी का जमाव जैसी तकलीफों से राहत पाने के लिए किया जाता है। लेकिन ध्यान देने वाली यह है कि डायलिसिस किडनी की अज्ञात बीमारियों का इलाज नहीं करता।
हमारे देश में बच्चों का किडनी ट्रांसप्लांट तभी किया जाता है जब किडनी की किडनी की किसी बीमारी से पीड़ित बच्चे की बीमारी आख़िरी स्टेज पर होती है। इसमें किडनी दान करनेवाले व्यक्ति की अच्छी किडनी बीमार बच्चे की ख़राब किडनी क़ी जगह पर सर्जरी की मदद से लगायी जाती है। किसी मृत या जीवित व्यक्ति की किडनी लेकर ट्रांसप्लांट की जा सकती है। साथ ही हमारे देश में किडनी ट्रांसप्लांटेशन के लिए एक कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है।
किडनी की बीमारियों से बचाव
किडनी फेलियर का इलाज बहुत मुश्किल, दर्दभरा और महंगा होता है। इसलिए इन किडनी की बीमारियों से बचने के लिए हमें खुद का बहुत अधिक ध्यान रखने की ज़रूरत पड़ती है। किडनी की बीमारियों से बचने के लिए इन 5 चीज़ों को खाया जा सकता है।
सलाह मशविरा कब और किससे करें?
बच्चों के किडनी डॉक्टर को पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट (paediatric nephrologists) कहा जाता है। जिससे आप यूरीन की जांच और किडनी से जुड़ी समस्याओं के बारे में बात करने के लिए संपर्क कर सकते हैं। अगर किडनी की समस्याएं 3 महीने से अधिक समय तक रहे, ब्लड क्रिएटिनिन (blood creatinine) का स्तर अधिक हो या सोनोग्राफी में किडनी अलग दिखायी दे रही हो तो से पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट से सम्पर्क करना चहिए।
ऐसी बहुत सी संस्थाएं हैं जो बच्चों की किडनी संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए काम करती हैं। किडनी फाउंडेशन फॉर चिल्ड्रेन भी ऐसी ही एक संस्था है। जिसका मकसद है किडनी के लिए आवश्यक साधन उपलब्ध कराना ताकि हर बच्चे की बीमारी का सही समय पर और सही तरीके से इलाज कराया जा सके।
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अनुवादक -Sadhna Tiwari
चित्र स्रोत- Shutterstock