होंठों पर फुंसियां या हर्पिस 2 तरह से होती हैं। पहला है एचएसवी-1 (HSV-1) और दूसरा है एचएसवी-2 (HSV-2). एचएसवी-1 हर्पीस तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी का झूठा खाता है या वह किसी दूसरे व्यक्ति से उसकी लार के संपर्क में आता है। एचएसवी-1 किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। लगभग 85 फीसदी लोग एचएसवी टाइप-1 (HSV-1) से संक्रमित हो चुके हैं। ओरल सेक्स के जरिए भी एचएसवी -1 संक्रमण फैल सकता है। दूसरा है एचएसवी-2 (HSV-2). यह संक्रमित व्यक्ति से फैलता है। अगर एक व्यक्ति एचएसवी-2 (HSV-2) से पीड़ित है, तो उसके संकर्प में आने से दूसरा व्यक्ति भी इसका शिकार हो सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी (एएडी) के अनुसार, अमेरिका में 20 फीसदी एचएसवी-2 से संक्रमित हैं।
1. कुछ दिनों या हफ्तों तक होठों के आसपास फुंसी के साथ घाव बनना। होंठ के अलावा ये पेनिस की बाहरी स्किन या योनि की आंतरिक हिस्से, गुदे, जांघ पर पर भी हो सकता है। इनमें मवाद या फफोले पड़ सकते हैं। इन्हें ठीक होने में कम से कम दो हफ्ते लगते हैं।
2. अक्सर घाव या फफोले होने से पहले रोगी को खुजली या जलन का अनुभव हो सकता है। चाहे वो जननांग हर्पीज़ हो या चेहरे के।
3. अगर योनि में इस तरह का घाव हुआ है तो योनि में जलन हो सकती है। इस तरह की परेशानी पेशाब के समय अधिक तकलीफ़देह हो जाती है।
4. बार बार बुखार आना भी हर्पिस का एक लक्षण है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि घावों के कारण आमतौर पर मांसपेशियों में दर्द और सिर दर्द के साथ-साथ बुखार भी हो सकता है। ये दोनों तरह के हर्पीज़ के आम लक्षण हैं।
5. इस तरह के इन्फेक्शन से लसीका ग्रंथि बढ़ सकती है। इससे गर्दन की लसीका ग्रंथि में सूजन हो सकती है, जो दर्द और बेचैनी का कारण बन सकता है।
1. अधिक लोगों या अनजान व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध न बनाएं।
2. जलन और दर्द को दूर करने के लिए घाव पर एलोवेरा जेल लगाएं।
3. घाव को हाथों से ना छुएं, दवाई लगाने के लिए रुई का इस्तेमाल करें।
4. शरीर के जिस हिस्से में हर्पीस की समस्या हुई है, वहां कॉर्नस्टार्च लगाएं। ऐसा करने से घाव कम होगा।
5. पेशाब करते समय फफोले पर एक बोतल से पानी डालें। ऐसा करने से दर्द कम होगा।
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