देश भर के 10 अस्पतालों में किए गए एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन में पाया गया है कि नॉन- इंवैसिव प्रीनैटल टेस्ट (एनआईपीटी) पारंपरिक जैव रासायनिक परीक्षणों की तुलना में अजन्मे शिशुओं में गुणसूत्र असामान्यताओं का पता लगाने में अधिक प्रभावी सटीक और सुरक्षित है। वर्तमान समय में परम्परागत परीक्षणों के तौर पर डबल मार्कर (पहली तिमाही में) और क्वाड्रुपल मार्कर टेस्ट (दूसरी तिमाही) के अलावा अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है। जीनोमिक्स संचालित अनुसंधान और डायग्नोस्टिक्स फर्म मेडजीनोम द्वारा किए गए अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता डॉ. आई. सी. वर्मा बताते हैं कि इस अध्ययन से पता चला है कि परंपरागत