अगर आप भी गर्मियों होने वाली, खुजली, रेशेज या किसी और तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं तो जान लें नीम का इस्तेमाल।
Written by Yogita Yadav|Published : April 5, 2019 11:30 AM IST
भारतीय आयुर्वेद पद्धति में नीम को सर्वोत्तम औषधि माना गया है। इसकी पत्तियां, फल, जड़ और छाल तक कई औषधीय गुण लिए रहती हैं। यह स्वाद में भले ही कड़वा हो, लेकिन इससे होने वाले लाभ अमृत के समान होते हैं। इसलिए गर्मियों में नीम का होना किसी आशीर्वाद से कम नहीं है। अगर आप भी गम्रियों में होने वाली, खुजली, रेशेज या किसी और तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं तो जान लें नीम का इस्तेमाल।
धूल और धुएं के कण शरीर में खुजली और रेशेज पैदा करते हैं। इसके लिए आप नहाने के पानी में नीम की पत्तियां मिला सकते हैं। पर जरूरी है कि पहले पत्तियों को धो लें, ताकि उन पर जमी धूल हट जाए और कुछ देर पानी में पड़ी रहने दें। उसके बाद ही नहाएं।
दाद या खुजली की समस्याएं होने पर, नीम की पत्तियों को दही के साथ पीसकर लगाने पर काफी जल्दी लाभ होता है।
बिच्छू ततैया जैसे विषैले कीटों द्वारा काट लेने पर, नीम के पत्तों को महीन पीस कर काटे गए स्थान पर उसका लेप करने से राहत मिलती है और जहर भी नहीं फैलता।
किसी प्रकार का घाव हो जाने पर भी नीम के पत्तों का लेप लगाने से काफी लाभ मिलता है। इसके अलावा जैतून के तेल के साथ नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर लगाने से नासूर भी ठीक हो जाता है।
गुर्दे में पथरी होने की स्थिति में नीम के पत्तों की राख को 2 ग्राम मात्रा में लेकर, प्रतिदिन पानी के साथ लेने पर पथरी गलने लगती है, और मूत्रमार्ग से बाहर निकल जाती है।
मलेरिया बुखार होने की स्थिति में नीम की छाल को पानी में उबालकर, उसका काढ़ा बना लें। अब इस काढ़े को दिन में तीन बार, दो बड़े चम्मच भरकर पीने से बुखार ठीक होता है और कमजोरी भी ठीक होती है।
त्वचा रोग होने पर, नीम के तेल का प्रयोग करना लाभकारी होता है। नीम के तेल में थोड़ा सा कपूर मिलाकर शरीर पर मालिश करने से त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं।
नीम के डंठल में, खांसी, बवासीर, प्रमेह और पेट में होने वाले कीड़ों को खत्म करने के गुण होते हैं। इसे प्रतिदिन चबाने या फिर उबालकर पीने से लाभ होता है।
सिरदर्द, दांत दर्द, हाथ-पैर दर्द और सीने में दर्द की समस्या होने पर नीम के तेल की मालिश से काफी लाभ मिलता है। इसके फल का उपयोग कफ और कृमिनाशक के रूप में किया जाता है।