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एक बेहद दुर्लभ मामले में 73 वर्षीय व्यक्ति में मल्टीपल आर्टरी ब्लाॅकेज (keyhole surgery) का इलाज किया गया। इन्द्रप्रस्थ अपोलो हाॅस्पिटल्स के सीनियर कन्सलटेन्ट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी डाॅ. एन एन खन्ना ने अपनी टीम के साथ मिलकर कीहोल सर्जरी (keyhole surgery) के द्वारा मल्टीपल स्टेंटिंग के जरिए उनका इलाज किया।
मरीज रूप सिंह सिधु कई बीमारियों से पीड़ित थे। उनमें हाइपरटेंशन, ट्रांजिएंट पैरालिसिस/ट्रांजिएन्ट इश्केमिक अटैक हाइपरटेंशन और वेरिकोज वेन्स का इतिहास था। रूप पैरों में दर्द की वजह से चल-फिर नहीं पाते थे, जिसके कारण उनका रोजमर्रा का जीवन मुश्किल हो गया था। यह सब ब्रेन आर्टरी, किडनी आर्टरी और टांग की आर्टरी में मल्टीपल ब्लाॅकेज की वजह से था। आमतौर पर ब्लाॅकेज का इलाज ओपन हार्ट सर्जरी के द्वारा किया जाता है। हालांकि, इस मामले में बिना चीरा लगाए कीहोल सर्जरी (keyhole surgery) के जरिए मल्टीपल ब्लाॅकेज का इलाज किया गया।
डाॅ. खन्ना ने कहा, ‘‘कुछ साल पहले तक स्टेंट और ओपन हार्ट सर्जरी के द्वारा इस तरह के मामलों में इलाज किया जाता था। हालांकि, आधुनिक तकनीकों के चलते अब सर्जरी का स्थान कीहोल एंडोवैस्कुलर थेरेपी ने ले लिया है। कार्डियोवैस्कुलर प्रक्रिया में आर्टरी या वेन में छोटा पंक्चर किया जाता है और एक माइक्रो-कैथेटर को आर्टरी में भेजा जाता हे। इसके बाद बैलून, एथेरोटोम, रोटेशनल एथेरेक्टोमी या स्टेंट के द्वारा ब्लाॅकेज को खोला जाता है। रूप के मामले में उनकी उम्र और मल्टीपल ब्लाॅकेज को देखते हुए सर्जरी में बहुत अधिक जोखिम था। हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि मरीज स्वस्थ और सामान्य जीवन जी सके।’’
अपोलो हाॅस्पिटल्स के सीईओ पी शिवकुमार ने कहा, ‘‘गतिहीन जीवनशैली, जंक फूड एवं अस्वास्थ्यप्रद आहार के बढ़ते सेवन और शारीरिक व्यायाम की कमी के चलते भारत में गैर-संचारी रोगों (Non-communicable diseases) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में हर व्यक्ति को इन बीमारियों से बचने के लिए अपने स्वास्थ्य की विशेष देखभाल करनी चाहिए।’’
कीहोल प्रक्रिया के बाद मरीज रूप ने कहा, ‘‘मैं 73 की उम्र में 30 की उम्र जैसा महसूस कर रहा हूं। मेरे इलाज की प्रक्रिया बेहद सहज थी। मुझे सिर्फ दो दिनों के अंदर छुट्टी दे दी गई। पिछले एक साल से मेरा चलना-फिरना तक मुश्किल हो गया था। मैं मल्टीपल ब्लाॅकेज और वेरिकोज वेन्स की वजह से घर में रहने के लिए मजबूर था। अब मैं आराम से चल-फिर सकता हूं और सभी सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकता हूं।’’
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