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Monsoon Diseases : मॉनसून में सबसे ज्यादा होती हैं ये बीमारियां, जरूर करवाएं ये टेस्ट

Monsoon Diseases : मॉनसून में सबसे ज्यादा होती हैं ये बीमारियां, जरूर करवाएं ये टेस्ट
मानसून में सबसे ज्यादा होती हैं ये बीमारियां इसलिए जरूरी हैं ये परीक्षण। © Shutterstock.

मानसून में इम्यून सिस्टम धीमी गति में काम करता है, इसलिए इस मौसम में लोगों को बुखार सबसे ज्यादा होता है। कुछ बुखार तो आसानी से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ को ठीक करने के लिए उचित मेडिकल टेस्ट करना पड़ता है। यहां हम कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में बता रहे हैं जो मॉनसून (Monsoon Diseases) में सबसे ज्यादा होती हैं और उनसे संबंधित जरूरी (Test of monsoon diseases) टेस्ट क्या हैं, उसे भी जानें।

Written by Anshumala |Published : July 23, 2019 8:43 AM IST

मानसून अपने साथ खुशियों की बहार लेकर आता है लेकिन साथ ही यह कई प्रकार के बैक्टीरिया और वाइरस को पनपने का वातावरण भी तैयार करता है, जिसके कारण लोगों को कई बीमारियों (Monsoon Diseases in Hindi) से जूझना पड़ता है। बारिश का जमा हुआ पानी और वायु में नमी मच्छरों की बड़ी संख्या को पैदा करता है जो घातक बीमारियों का कारण बनते हैं।

3 एच केयर डॉट इन की सीईओ और संस्थापक सीए (डॉ.) रुचि गुप्ता कहती हैं कि इम्यून सिस्टम धीमी गति में काम करने लगता है, इसलिए इस मौसम में लोगों को बुखार सबसे ज्यादा होता है। डॉक्टर के परामर्श पर दी गई दवाइयों से कुछ प्रकार के बुखार को आसानी से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ को ठीक करने के लिए उचित मेडिकल टेस्ट करना पड़ता है। यदि ऐसा न किया जाए तो भविष्य में बीमारी घातक हो सकती है। यहां हम कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में बता रहे हैं जो मॉनसून (Monsoon Diseases in Hindi) में सबसे ज्यादा होती हैं और उनसे संबंधित जरूरी (Test of monsoon diseases in hindi) टेस्ट क्या हैं।

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मलेरिया (Test of monsoon diseases in hindi)

यह मॉनसून में होने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक है। मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है जो स्थिर पानी में पनपता है। मलेरिया के बुखार में व्यक्ति के शरीर में कंपकंपी और तेज दर्द के साथ पसीने की भी शिकायत होती है। इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर एक साइकल में दिखाई देते हैं, ऐसा मलेरिया पैरासाइट के कारण होता है क्योंकि वे व्यक्ति के शरीर में ही विकसित होते हैं और प्रजनन करते हैं। मलेरिया से बचने के लिए पानी की टंकी को बार-बार साफ करवाएं और आसपास सफाई रखें।

टेस्ट

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की सलाह के अनुसार मलेरिया के बुखार की पहचान के लिए मलेरिया पैरासाइट टेस्ट जिसे माइक्रोस्कोपी से किया जाता है और रैपिड एंटिजेन टेस्ट करवाना चाहिए। मलेरिया के इलाज को शुरू करने से पहले इन दोनों परीक्षणों को अच्छे से किया जाना चाहिए।

टाइफॉयड

यह पानी से पनपने वाली बीमारी है। टाइफायड गंदगी रखने के कारण होता है, इसका अर्थ यह है कि गंदगी में रखे हुए भोजन, गंदे पानी या गंदे पानी में पकाए गए भोजन के सेवन से ही ये बीमारी जन्म लेती है। टाइफायड का बुखार एस.टाइफी नाम के बैक्टीरिया के कारण होता है। समय के साथ बुखार धीरे-धीरे बढ़ता जाता है लेकिन सुबह के वक्त बिल्कुल उतर जाता है। यह उतार-चढाव वाला बुखार गंभीर पेट दर्द, दस्त, थकान और सिरदर्द से जुड़ा हो सकता है। हर समय अपने साथ एक हैंड सेनिटाइजर रखना, स्ट्रीट फूड से परहेज करना और ढेर सारा पानी पीने से टाइफायड के बुखार से बचा जा सकता है।

जांच

टाइफॉयड बुखार के लिए ब्लड कल्चर टेस्ट किया जाता है। रैपिड टाइफी आईजीएम और वाइडल एग्लूटिनेशन कुछ अन्य सामान्य परीक्षण हैं।

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डेंगू (Dengue test in hindi) 

यह एक प्रकार का फैलने वाला संक्रमण है जो मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। अचानक बहुत तेज बुखार होना, तीव्र सिरदर्द, गंभीर शारीरिक दर्द, भूख न लगना, त्वचा पर चकत्ते पड़ना और थकान डेंगू के बुखार के कुछ आम लक्षण हैं। डेंगू बुखार के कई मामलों में व्यक्ति की जान तक गई है। डेंगू का अचानक से बढ़ना बारिश के लगातार होने और उमस के उच्च स्तर पर निर्भर करता है। मच्छरों को मारने वाली दवाई और कीड़ों को मारने वाले पौधों की मदद से डेंगू के बुखार से बचाव किया जा सकता है।

[caption id="attachment_678502" align="alignnone" width="655"]monsoon diseasea and important tests- dengue test डेंगू के लिए आमतौर पर किए गए परीक्षणों में सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट), डेंगू आईजीएम और एनएस1 डेंगू एंटिजेन शामिल हैं। © Shutterstock.[/caption]

टेस्ट/जांच (Dengue test in hindi)

डेंगू बुखार की पहचान के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं। प्लेटलेट्स का कम होना डेंगू बुखार का पहला संकेत है इसलिए नियमित रूप से जांच करना जरूरी है। आमतौर पर किए गए परीक्षणों में सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट), डेंगू आईजीएम और एनएस1 डेंगू एंटिजेन शामिल हैं।

चिकनगुनिया

यह एसी, कूलर, पौधों, बर्तनों और पानी की पाइप में स्थिर हुए पानी में जन्म लेने वाले मच्छरों के कारण होता है। यह बीमारी संक्रमित एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के काटने से फैलती है। यह मच्छर आपको सिर्फ रात में ही नहीं बल्कि कड़ी धूप में भी काट सकता है। इस बुखार में उल्टी, त्वचा के चकत्ते, जी मिचलाना और जोड़ों में दर्द महसूस होता है। फर्श को साफ रखने से और कीड़ों को मारने वाले स्प्रे की मदद से चिकनगुनिया से आसानी से बचा जा सकता है।

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जांच

हलांकि, वायरस आईसोलेशन टेस्ट को पूरा होने में 1-2 हफ्ते लगते हैं लेकिन चिकनगुनिया का यह सबसे बेहतर टेस्ट है। चिकनगुनिया आईजीएम टेस्ट भी किया जा सकता है।

हेपेटाइटिस ए

यह हेपेटाइटिस ए वाइरस (एचएवी) नाम के संक्रमण से होता है। इस तरह का हेपेटाइटिस उस भोजन या पानी के सेवन के कारण होता है जो मल से संक्रमित होता है। इस बीमारी के लक्षणों में हल्का बुखार, जी मिचलाना, उल्टी, पेट के निचले हिस्से में दर्द और भूख न लगना शामिल है। बाथरूम/रेस्टरूम के इस्तेमाल के बाद अच्छी तरह से हाथ धोना जरूरी है और ऐसा तब भी किया जाना चाहिए जब आप किसी संक्रमित व्यक्ति के खून, मल और अन्य शारीरिक तरल पदार्थ के संपर्क में आते हैं। गंदे खाने और पानी से दूर रहकर भी आप इस बीमारी से बच सकते हैं।

टेस्ट

इस बीमारी के निदान के लिए खून की जांच की जाती है जो वायरल एंटिजन और हेपेटाइटिस ए आईजीएम एन्टीबॉडी की पहचान करती है। फुल बॉडी चेकअप या रेग्यूलर ब्लड टेस्ट की सलाह दी जाती है जिससे आपके स्वास्थ्य के बारे में अच्छे से जानकारी रहे और बीमारी की शुरुआत में ही इसकी पहचान की जा सके।