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Men's Mental Health : मानसिक समस्याओं (Mental problem) जैसे तनाव, चिंता, डिप्रेशन आदि से पुरुष-महिला दोनों ही ग्रस्त होते हैं, लेकिन महिलाओं की तुलना में अधिकतर पुरुष अपनी मेंटल कंडीशन को दूसरों से शेयर करने से कतराते हैं। वे अपनी परेशानियों, मानसिक समस्याओं को अपने अंदर ही सीमित रखते हैं। मेंटल हेल्थ (Mental Health of Men) के बारे में दूसरों से बात करने में आज भी लोग कतराते हैं। इसके बारे में हर कोई खुलकर बात नहीं कर पाता है, क्योंकि आज भी यह समाज में एक टैबू (Taboo) की तरह है। इस कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौर में अधिकतर लोगों में मेंटल हेल्थ इशू देखने को मिली हैं। यह एक ऐसी समस्या है, जिसमें लोग अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। अपनी परेशानियों को दूसरों से शेयर करने से बचते हैं। ऐसे में स्ट्रेस (Stress) और डिप्रेशन (Depression) से ग्रस्त अधिकतर लोग अपनी जिंदगी समाप्त कर लेते हैं। खराब मानसिक स्वास्थ्य आज एक ग्लोबल मुद्दा बन गया है। एक सर्वे के ताजा आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1999 की आखिरी रिपोर्ट के बाद से पुरुषों में आत्महत्या की दर चार गुना ज्यादा बढ़ गई है। इन मौतों की वजह है उनकी मेंटल हेल्थ कंडीशन। आखिर क्या वजह है, जो पुरुषों को रोकती है उनकी मेंटल कंडीशंस को दूसरे से शेयर करने में? आइए जानते हैं इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल (दिल्ली) के साइकियाट्रिस्ट डॉ. संदीप वोहरा से.....
पुरुष बचपन से यही पढ़ते-सुनते आए हैं कि पुरुष स्ट्रॉन्ग होते हैं। उनकी इमेज एक मजबूत, शक्तिशाली व्यक्ति की होती है। एक ऐसा व्यक्ति जो किसी भी चीज को बहुत आसानी से हैंडल कर सकता है। जब बचपन से ही एक लड़का और लड़की का पालन-पोषण किया जाता है, तो लड़का शुरू से ही अपने पिता या अन्य घर के बड़े पुरुषों को देखकर यही जानता-समझता है कि पुरुष एक डिसिजन मेकर है। और कोई भी कार्य कर सकता है, किसी भी तरह का निर्णय या तनाव ले सकता है। खुद को मैचो इमेज वाला समझते हैं। मैचो इमेज यानी स्ट्रॉन्ग व्यक्ति, जो कभी भी अपने इमोशन को शो नहीं करेगा। पुरुषों को लगता है कि इमोशंस को दूसरों के साथ शेयर करना, आंखों में आंसू लाना ये सभी एक कमजोर व्यक्ति की निशानी है। ये सभी चीजें कहीं ना कहीं चेतन-अवचेतन मन में पुरुषों को किसी भी चीज को शेयर करने से बचाती हैं।
यदि पति-पत्नी दोनों घर चला रहे हैं, तो पति को लगता है कि मैं कुछ ऐसी बात करूंगा तो कहीं मैं कमजोर ना पड़ जाऊं। इस कारण से अपनी भावनाओं को शेयर करने में परुष अनिच्छुक होते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी इमेज खराब हो जाएगी। उन्हें नेगेटिव रूप में देखा जाएगा या ये किसी भी काम की जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं ले सकते हैं। इन कारणों से वे अपनी मानसिक समस्याओं को दूसरों से देर में शेयर करते हैं। ऐसे में यह समस्या गंभीर हो सकती है।
पुरुष हों या महिलाएं, दोनों को ही मेंटल डिसऑर्डरहो सकता है। फिर चाहे कोई भी एज ग्रुप के हों। मेंटल हेल्थ की जब बात आती है, तो पुरुष दूसरों से मदद लेने की बजाय एल्कोहल, स्मोकिंग आदि का सेवन अधिक करने लग जाते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि समाज में एक मिथ फैला हुआ है कि शराब पीने से थकान, स्ट्रेस, मानसिक परेशानियां दूर हो सकती हैं, पर ऐसा नहीं है। आपको एंग्जायटी, डिप्रेशन, ओसीडी, सीजोफ्रेनिया आदि कोई भी मानसिक बीमारी हो सकती है। स्ट्रेस में आकर अधिक स्मोक करना, एल्कोहल का सेवन ठीक नहीं है।
प्रत्येक 5 में से 1 व्यक्ति मेंटल हेल्थ समस्याओं से जूझता है। यह एक बेहद ही आम समस्या है, जो पुरुष और महिला दोनों में ही देखा जाता है। जो पुरुष मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त होते हैं, उनमें काफी हद तक सब्सटांस एब्यूज, पर्सनालिटी डिसऑर्डर, आत्महत्या करने के विचार आते हैं। इसके अलावा यदि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से संबंधित कुछ आम शारीरिक और भावनात्मक संकेतों और लक्षणों (Symptoms of Mental Health problem) की बात करें, तो थकान, भूख में कमी, बेचैनी, सेक्स में रुचि कम होना, एल्कोहल और नशीली दवाओं का सेवन करना, उदासी और घबराहट महसूस करना, अलग-थलग रहना, अपराधबोध और निराशा की भावना, गुस्सा करना, हिंसक व्यवहार आदि नजर आ सकते हैं।
1 रात में भरपूर सोएं। 6-8 घंटे की नींद पूरी लें। यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
2 योग, प्राणायाम, मेडिटेशन, ब्रिस्क वॉकिंग, जिमिंग, फिजिकल एक्टिविटी करें।
3 पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच बैलेंस बनाकर चलें। वर्क लोड अधिक ना लें।
4 किसी भी तरह के नशे का सेवन ना करें वरना इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाती है।
5 किसी भी तरह की फिजिकल या मेंटल समस्या होने पर जितनी जल्दी डॉक्टर से कंसल्ट करें, उतनी ही जल्दी आराम मिल सकता है।
6 शुरुआती स्टेज में समस्या को जीरो पर लाया जा सकता है। मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए हेल्दी हरी सब्जियां और फलों को खूब शामिल करें।
7 लगातार बैठकर काम ना करते रहें। इससे शरीर और मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन का निर्माण कम होता है।