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मलेरिया रोग एनाफिलीज मच्छर (Anopheles Mosquito) के काटने पर होता है। इस मच्छर में प्लास्मोडियम नामक प्रोटोजोआ होता है जो इंसान को काटने पर उसके खून में फैल जाता है और फिर उसे मलेरिया रोग (Malaria Diseases) हो जाता है। क्योंकि बरसात की शुरुआत लगभग हो चुकी है इसलिए मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी अन्य मच्छर जनित बीमारियों (Mosquito Born Diseases In Monsoon) का खतरा बढ़ गया है। डेंगू का मच्छर जहां दिन में काटता है वहीं मलेरिया का मच्छर सुबह या फिर रात को काटता है। मलेरिया फैलाने वाले एनाफिलीज मच्छर गंदे पानी में पनपते हैं। जब ये किसी इंसान को काटते हैं तो मलेरिया के लक्षण तुरंत नहीं दिखते हैं। बल्कि इसमें 7 से 18 दिन का वक्त लग सकता है। मलेरिया के लक्षणों की शुरुआत बुखार, शरीर के टूटने, तेज सिरदर्द, पसीना आना, ठंड लगना, जी मचलना और उल्टी होने के साथ दिखते हैं। ऐसे लक्षणों के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। क्योंकि अगर लक्षणों को मामूली समझकर इग्नोर किया जाए और इलाज में देरी हो तो मरीज की जान जा सकती है। आप समझ ही रहे हैं कि ये बीमारी कितनी खतरनाक है, इसलिए जरूरी है कि आपको मलेरिया के मच्छर की पहचान करनी चाहिए। कैसे दिखते हैं मलेरिया का मच्छर? आइए जानते हैं विस्तार से-
मलेरिया रोग को पैदा करने वाले एनाफिलीज मच्छर (Anopheles Mosquito) का रंग काला या डार्क ब्राउन होता है। इसके अलावा इस मच्छर की सबसे बड़ी पहचान इनकी टांगे लंबी होती हैं और इनमें पैरों पर सफेद और काली रंग की धारियां होती हैं। इस मच्छर के शरीर के केवल 3 भाग, सिर, वक्ष और पेट होते हैं। एनाफिलीज मच्छर आम मच्छरों से इसलिए भी अलग दिखता है क्योंकि इनका पेट ऊपर की तरफ होता है। जबकि अन्य मच्छरों में ऐसा नहीं होता है।
मलेरिया होने पर बुखार, शरीर के टूटने, तेज सिरदर्द, पसीना आना, ठंड लगना, जी मचलना और उल्टी जैसे लक्षण दिखते हैं। जैसे जैसे बुखार का समय बढ़ता है वैसे वैसे ये रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। यानि कि इस बीमारी में प्लेटलेट्स 2 लाख से गिरकर हजारों में आ जाती है। इसके अलावा मलेरिया रोग इम्युन सिस्टम के साथ ही लिवर को भी प्रभावित करता है।