Hip Dysplasia Causes : बच्चों के कूल्हों से जुड़ी समस्या को हिप डिस्प्लेसिया कहा जाता है। यह हिप के विकास से संबंधित बीमारी है। इस समस्या के कारण शिशु को चलने, बैठने और सीढ़ियों पर चढ़ने में परेशानी (Hip Dysplasia Causes) होती है। इन सभी कार्यों के लिए बच्चे को दूसरे के सहारे की आवश्यकता होती है। Also Read - Parenting Tips: बच्चों को कामयाब बनाती हैं माता-पिता की ये 7 अच्छी आदतें, बढ़ता है बच्चों का आत्मविश्वास
कूल्हों से जुड़ी परेशानी बहुत ही तकलीफ देती है, क्योंकि कूल्हे की मदद से ही शरीर के वजन को समर्थन मिलता है और हम पैरों पर थड़े हो पाते हैं। इसी वजह से बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया (Hip Dysplasia Causes) जैसी परेशानी उनके जीवन पर असर डालती है। Also Read - शिशुओं के लिए बहुत फायदेमंद है विटामिन सी, जानिए कब, किस तरह और कितनी मात्रा में देना चाहिए
क्या है हिप डिस्प्लेसिया?
बच्चों को होने वाली हिप डिस्प्लेसिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शिशु या बच्चे के कूल्हे के “बॉल और सॉकेट” सही से नहीं बनते हैं। इसे जन्मजात हिप अव्यवस्था या हिप डिस्प्लासिया भी कहा जाता है। आपके शरीर का हिप ज्वाइंट, जांघ की हड्डी को श्रोणि से जोड़ता है। ऐसे में अगर आपके कूल्हे सामान्य हैं, तो हिप बॉल स्थानांतरित करने के लिए सॉकेट में स्वतंत्र रूप से घूमती है। वहीं अगर आपको हिप डिस्प्लेसिया की परेशानी है, तो हिप बॉल और सॉकेट पूरी तरह से जांघ की हड्डी को आसानी से स्थानांतरित नहीं कर पाता है, जिससे आपके कूल्हे का जोड़ आसानी से ढीला हो सकता है। चलिए जानते हैं इसके लक्षण, कारण और इलाज क्या हैं? Also Read - सही नहीं है सबके सामने बच्चों को डांटना, बच्चे हो सकते हैं इन 4 मानसिक रोगों के शिकार
बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया के कारण (Causes of Hip Dysplasia)
अनुवांशिक रूप से
शिशु के कूल्हे और पैर मां के गर्भाशय ग्रीवा के पास होना।
मां की पहली प्रेग्नेंसी में
प्रेग्नेंसी में पेट का शख्त होना
इसका खतरा फीमेल बेबी में अधिक होता है।
शिशु में एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होना। इसकी मदद से गर्भ में शिशु का मूवमेंट सीमित हो जाता है।
हिप डिस्प्लेसिया के लक्षण
इसका लक्षण शिशु के उम्र पर निर्भर करता है। छोटे बच्चों में इसका कोई स्पष्ट लक्षण नहीं है। यह दर्द किसी भी वजह से हो सकता है, इसलिए इस समस्या का पता लगाना काफी मुश्किल हो जाता है। हालांकि, माता-पिता यह देख सकते हैं कि उनके शिशु का पैर बराबर है या नहीं। इसके अलावा जब बच्चा चलना शुरू करता है, तो आप इसके लक्षणों की पहचान कर सकते हैं। इसके यह लक्षण इस प्रकार हैं-
कूल्हे के साइड में असुविधा होना
हिप में दर्द होना
बच्चे को चलने में परेशानी होना
बैठने में भी दिक्कत का सामना करना।
हिप डिस्प्लेसिया का कैसे करें इलाज?
इसका इलाज शिशु की उम्र और लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। हिप डिस्प्लेसिया के इलाज-
पावलिक हार्नेस : बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया के इलाज के लिए पावलिक हार्नेस उपकरण को तैयार किया गया है। इस उपकरण की मदद से बच्चों के कूल्हों को सही पोजिशन में रखने में मदद मिलती है। इससे उनके कूल्हे के जोड़ का विकास सही तरीके से होता है। इस उपकरण को कुछ सप्ताह या महीनेभर के लिए पहनाया जाता है।
क्लोज्ड रिडक्शन : यह इलाज छह सप्ताह से एक वर्ष के बच्चों के लिए है। इसमें बच्चे को एनेस्थीसिया दी जाती है, जिसके बाद डॉक्टर कूल्हे को सॉकेट में सही तरीके से फिट करता है।
ओपन रिडक्शन : यह इलाज 12 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए है। इसमें हिप डिस्प्लसिया के लिए ओपन बच्चे की रिडक्शन सर्जरी की जाती है। यह गंभीर अवस्था में ही किया जाता है।