नवजात शिशु को होने वाले पीलिया के बारे में जानिये 5 बातें
डिस्चार्ज के कुछ दिनों बाद भी बच्चे का दोबारा पीलिया का चेकअप ज़रूर करवाएं!
Written by Editorial Team|Published : July 20, 2017 11:43 AM IST
हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मनाया जाता है। नवजात शिशुओं में पीलिया (Neonatal jaundice) होना एक सामान्य बीमारी है और अक्सर यह जन्म के शुरुवाती पांच दिनों के अंदर ही होता है। ऐसा बच्चों के शरीर में बिलीरुबिन के बढ़ जाने के कारण होता है। बिलीरुबिन रेड ब्लड सेल्स में मौजूद प्रोटीन युक्त ब्लड के विघटन से उत्पन्न एक तरह का गंदा पदार्थ है। इस आर्टिकल में पंचकुला स्थित पारस ब्लिस हॉस्पिटल के कंसलटेंट नियोनैटोलॉजी डॉ. मनु शर्मा शिशुओं में होने वाले पीलिया से जुड़े कुछ ख़ास तथ्य के बता रहे हैं।
जब बच्चा मां की गर्भ में बढ़ रहा होता है तो प्लेसेन्टा शरीर से बिलीरुबिन को हटा देता है जिसके परिणामस्वरूप अधिकांश नवजात शिशुओं में जन्म के तुरंत बाद बिलीरुबिन का लेवल बढ़ जाता है। आंकड़े बताते हैं कि लगभग 60% नवजात शिशु पीलिया से प्रभावित होते हैं जो उनके जन्म के दूसरे या तीसरे दिन से शुरू होता है। अगर लंबे समय तक इसका इलाज नहीं किया जाता है तो शिशुओं में पीलिया से गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं और बाद में गंभीररूप से मस्तिष्क को भी क्षति पहुंच सकती है।
शिशु जन्म के तुरंत बाद पीलिया से पीड़ित हो सकता है जिससे उनकी त्वचा पीली हो जाती है। वयस्कों की अपेक्षा नवजातों में रेड ब्लड सेल्स का लाइफ स्पैन आमतौर पर कम होता है और लीवर बिलीरुबिन के बढ़े भार को संभालने के लिए अपरिपक्व होता है। इसके परिणामस्वरूप बिलीरुबिन बनने और उत्सर्जन के बीच असंतुलन के कारण ही पीलिया हो जाता है।
सामान्य तौर पर फुलटर्म बेबी की तुलना में प्री मैच्योर बेबी में पीलिया होने की संभावना ज्यादा रहती है। इसके पीछे एक कारण यह हो सकता है कि नवजात शिशु का बढ़ने वाला लीवर ब्लड से पर्याप्त बिलीरुबिन को हटा नहीं पाता है या आंत में बिलीरुबिन को तेजी से अवशोषित करने की प्रवृत्ति होती है।
You may like to read
हालांकि कई माता-पिता बच्चे के जन्म के समय पीलिया को बहुत हल्के में लेते हैं लेकिन उन्हें इस बात पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए कि इस बीमारी से भविष्य में इंटरनल ब्लीडिंग, लीवर की बीमारी, इन्फेक्शनऔर अन्य गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। हालांकि पीलिया से पूरी तरह से बचने का कोई विश्वसनीय तरीका नहीं है लेकिन इससे पैदा होने वाले जोखिम के बारे में जानकारी होने से इससे लड़ने के लिए तैयार रहा जा सकता है और शिशु का बचाया जा सकता है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पैडियाट्र में यह सलाह दी गयी है कि सभी नवजात शिशुओं में पीलिया का जरूरी परीक्षण कर हर बार उनके महत्वपूर्ण आंकड़ों को मापते रहना चाहिये। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने से पहले और डिस्चार्ज होने के कुछ दिन बाद भी आप पीलिया का चेकअप ज़रूर करवाएं।
Don’t Miss Out on the Latest Updates. Subscribe to Our Newsletter Today!
Subscribe Now
Enroll for our free updates
Thank You for Subscribing
Thanks for Updating Your Information
By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts. Cookie Policy.